जब आप किसी ऐप से बैंक बैलेंस चेक करते हैं, या ऑनलाइन बुकिंग करते हैं, तो पीछे एक छिपा हुआ जादू काम कर रहा होता है — जिसे कहते हैं एपीआईसी, एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस का संक्षिप्त रूप, जो अलग-अलग सॉफ्टवेयर के बीच डेटा का आदान-प्रदान संभव बनाता है। ये सिर्फ कोड का एक टुकड़ा नहीं हैं — ये भारत के डिजिटल इकोसिस्टम की नसें हैं। एपीआईसी के बिना, UPI, ऑनलाइन बैंकिंग, डिजिटल बुकिंग, यहाँ तक कि आपका राशन कार्ड भी काम नहीं करता।
भारत में एपीआईसी का इस्तेमाल सिर्फ बैंकों तक सीमित नहीं है। ये डेटा शेयरिंग का एक बेहतरीन तरीका है, जहाँ सरकारी सेवाएँ, निजी कंपनियाँ और नागरिक एक ही प्लेटफॉर्म पर जुड़ जाते हैं। डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर, एपीआईसी के आधार पर बनाई गई ऐसी संरचना जो डेटा के आदान-प्रदान को सुगम बनाती है ने आधार, डिजिटल आयुष्मान, और डिजिटल पेमेंट सिस्टम को जीवंत किया। अगर आप ने कभी अपने बैंक अकाउंट से आधार की पुष्टि की है, तो आपने एपीआईसी का इस्तेमाल किया है। ये तकनीक बिना आपके डेटा को डाउनलोड किए या भेजे, सीधे सिस्टम के बीच जानकारी बदलती है।
इसका असर बहुत गहरा है। डिजिटल इकोसिस्टम, एपीआईसी के जरिए जुड़े हुए सेवाओं, एप्लिकेशन और यूजर्स का एक विस्तृत नेटवर्क ने छोटे व्यापारियों को भी बड़े प्लेटफॉर्म्स के साथ जोड़ दिया है। एक छोटा दुकानदार अब अपने बिल को एक क्लिक से बैंक तक पहुँचा सकता है। एक डॉक्टर अपने पेशेवर रिकॉर्ड्स को सुरक्षित तरीके से अन्य अस्पतालों के साथ शेयर कर सकता है। ये सब एपीआईसी के बिना असंभव होता।
भारत में एपीआईसी का इस्तेमाल अब बस टेक्नोलॉजी के बारे में नहीं है — ये लोगों की जिंदगी बदलने का साधन बन गया है। इसलिए जब आप इस टैग के तहत आने वाले लेखों को पढ़ेंगे, तो आपको एपीआईसी के जरिए कैसे भारत के बैंकिंग, स्वास्थ्य, और नागरिक सेवाएँ बदल रही हैं, ये सब दिखेगा। कुछ लेख तो ऐसे हैं जहाँ एपीआईसी के बिना कोई डिजिटल सेवा नहीं चलती — जैसे डिजिटल आयुष्मान, या एक बैंक का लोन अप्लाई करना। आपको ये सब एक जगह मिल रहा है — बिना किसी बहाने, बिना किसी फालतू के शब्द के।
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