निर्वाचन आयोग ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए मतदान के लिए 12 वैकल्पिक फोटो आईडी जारी कर दी हैं, जिससे लाखों पर्दानशीन महिलाओं के लिए मतदान का रास्ता खुल गया है। यह ऐतिहासिक घोषणा चीफ इलेक्शन कमिश्नर ग्यानेश कुमार द्वारा नई दिल्ली में 2025 की ऑक्टोबर 7 की आधिकारिक अधिसूचना के जरिए की गई। यह कदम बिहार के 38.2 मिलियन नामांकित मतदाताओं के लिए एक बड़ा सुधार है, खासकर उन 12.7 मिलियन महिलाओं के लिए जिनके लिए सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाएँ मतदान को लगभग असंभव बना देती हैं।
कौन-सी 12 आईडी स्वीकार्य हैं?
अब मतदाता अपना एपीआईसी (EPIC) नहीं लाने के बावजूद भी मतदान कर सकते हैं। स्वीकार्य दस्तावेजों में शामिल हैं: (1) आधार कार्ड, (2) एमएनआरईजीए जॉब कार्ड, (3) बैंक या डाकघर द्वारा जारी फोटो वाली बैंक बुक, (4) आयुष्मान भारत या मंत्रालय द्वारा जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, (5) ड्राइविंग लाइसेंस, (6) पैन कार्ड, (7) राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के तहत रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया द्वारा जारी स्मार्ट कार्ड, (8) भारतीय पासपोर्ट, (9) वेतन दस्तावेज फोटो के साथ, (10) केंद्रीय या राज्य सरकार, पीएसयू या पब्लिक लिमिटेड कंपनियों द्वारा जारी सेवा आईडी कार्ड, (11) सांसद, विधायक या विधान परिषद सदस्यों के आधिकारिक पहचान पत्र, और (12) सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी यूनिक डिसेबिलिटी आईडी (UDID) कार्ड।
यह लिस्ट केवल तकनीकी बदलाव नहीं, बल्कि सामाजिक समावेशन की एक गहरी भावना को दर्शाती है। जिन महिलाओं के पास एपीआईसी नहीं है, या जिनके नाम अभी तक वोटर लिस्ट में नहीं आए, वे भी अब अपनी पहचान साबित कर सकती हैं। यह बदलाव उन गांवों में खासकर असरदार होगा, जहां महिलाओं के पास आधिकारिक दस्तावेजों की कमी होती है।
पर्दानशीन महिलाओं के लिए क्या खास व्यवस्था है?
यहाँ असली क्रांति है। निर्वाचन आयोग ने बिहार के 55,233 मतदान केंद्रों पर एक नई नीति लागू की है: हर पोलिंग स्टेशन पर कम से कम एक महिला पोलिंग अधिकारी तैनात की जाएगी। ये महिलाएँ आधिकारिक तौर पर ट्रेनिंग प्राप्त कर चुकी हैं, और उनकी भूमिका सिर्फ वोटर की पहचान करना नहीं, बल्कि उनकी गरिमा बचाना है।
पर्दानशीन महिलाओं को अपना चेहरा उजागर करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी। एंगनवाड़ी कार्यकर्ता उनकी पहचान की पुष्टि करेंगे — आंखों के आकार, आवाज़, या शरीर की रूपरेखा के आधार पर। यह तरीका बिल्कुल निजी है, और इसे अपनाने के लिए एंगनवाड़ी कर्मचारियों को निर्वाचन आयोग द्वारा विशेष ट्रेनिंग दी गई है। यह एक ऐसा कदम है जिसे भारत में पहली बार लागू किया जा रहा है।
एपीआईसी का स्थान क्या है?
अगर आपके पास एपीआईसी है, तो आप उसे अभी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। निर्वाचन आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि बिहार के लगभग 100 प्रतिशत मतदाताओं को एपीआईसी जारी कर दिया गया है। लेकिन जो नए मतदाता जुड़ रहे हैं — खासकर युवा महिलाएँ या शहरों से आए लोग — उन्हें अंतिम मतदाता सूची जारी होने के ठीक 15 दिनों के भीतर एपीआईसी मिल जाएगा।
यह व्यवस्था सिर्फ एक तकनीकी छूट नहीं, बल्कि एक सामाजिक संकल्प है। यह बताता है कि डिजिटल अधिकार और सामाजिक न्याय एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
क्यों यह बदलाव इतना महत्वपूर्ण है?
2021 की जनगणना के अनुसार, बिहार में 3.2 मिलियन महिलाएँ नियमित रूप से पर्दा पहनती हैं। इनमें से बहुत सी महिलाएँ अपने घरों से बाहर निकलने से डरती हैं — न सिर्फ निर्वाचन के लिए, बल्कि बैंक, डाकघर या सरकारी कार्यालय जाने से भी। अगर आपके पास एपीआईसी नहीं है, तो आपका नाम वोटर लिस्ट में होने के बावजूद आप मतदान नहीं कर सकतीं। यह एक असमानता थी।
अब यह असमानता खत्म हो रही है। यह बदलाव उन महिलाओं के लिए एक आत्मविश्वास का संकेत है — जिन्हें लगता था कि वे राजनीति के बाहर हैं। अब वे जानती हैं कि उनकी पहचान के लिए उनके चेहरे को दिखाने की जरूरत नहीं है। उनकी आवाज़ काफी है।
अगले कदम क्या हैं?
अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को जारी की जाएगी, और मतदान नवंबर 2025 में होगा। निर्वाचन आयोग ने अभी तक यह भी स्पष्ट कर दिया है कि मतदान स्लिप या ऑनलाइन नोटिफिकेशन को पहचान पत्र के रूप में स्वीकार नहीं किया जाएगा।
अब बाकी सिर्फ एक बात है: क्या यह नीति वास्तव में लागू होगी? क्या गांवों में लोगों को इसके बारे में पता चलेगा? क्या पोलिंग अधिकारी इसे बिना भेदभाव के लागू करेंगे? यह सब अगले दो महीनों में तय होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
क्या एपीआईसी अब अनिवार्य नहीं है?
नहीं, एपीआईसी अब अनिवार्य नहीं है, लेकिन यह अभी भी सबसे आसान और सुरक्षित विकल्प है। अगर आपके पास एपीआईसी है, तो आप उसे ही इस्तेमाल करें। वैकल्पिक दस्तावेज केवल उन लोगों के लिए हैं जिनके पास एपीआईसी नहीं है या जिन्हें उसे लाने में कठिनाई हो रही है।
पर्दानशीन महिलाएँ अपना चेहरा उजागर करेंगी?
नहीं, कोई भी महिला अपना चेहरा उजागर नहीं करेगी। एंगनवाड़ी कार्यकर्ता और महिला पोलिंग अधिकारी आंखों के आकार, आवाज़, या शरीर की रूपरेखा के आधार पर पहचान करेंगे। यह प्रक्रिया पूरी तरह निजी है और निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार की जाएगी।
क्या यह व्यवस्था सिर्फ बिहार के लिए है?
हाँ, यह व्यवस्था अभी केवल बिहार के विधानसभा चुनाव 2025 के लिए लागू है। लेकिन यह एक नए मानक की शुरुआत है। अगर यह सफल होता है, तो अन्य राज्यों में भी इसकी नकल की जा सकती है।
क्या आधार कार्ड से वोटिंग संभव है?
हाँ, आधार कार्ड अब एक मान्य फोटो आईडी है, लेकिन यह फोटो के साथ होना चाहिए। अगर आपके आधार कार्ड पर फोटो नहीं है, तो आप इसे उपयोग नहीं कर सकते। इसलिए, अगर आपका आधार कार्ड बिना फोटो का है, तो आपको बैंक बुक या पैन कार्ड जैसे अन्य विकल्प चुनने होंगे।
क्या नए मतदाताओं को एपीआईसी मिलेगा?
हाँ, नए मतदाताओं को अंतिम मतदाता सूची जारी होने के 15 दिनों के भीतर एपीआईसी मिल जाएगा। यह निर्वाचन आयोग का ठोस वचन है। अगर आप नए नामांकित हैं, तो अपने जिला निर्वाचन अधिकारी से संपर्क करें — यह आपका अधिकार है।
मतदान स्लिप क्यों स्वीकार नहीं किया जाता?
मतदान स्लिप केवल एक सूचना पत्र है — यह आपके नाम की पुष्टि करता है, लेकिन आपकी पहचान नहीं। इसलिए, इसे पहचान पत्र के रूप में नहीं माना जाता। यह धोखेबाजी रोकने के लिए एक जरूरी सुरक्षा उपाय है।