बॉम्बे हाई कोर्ट ने 'हमारे बारह' फिल्म को दी मंजूरी
बॉम्बे हाई कोर्ट ने विवादित फिल्म 'हमारे बारह' को कुछ आपत्तिजनक कंटेंट हटाने के बाद रिलीज की अनुमति दे दी है। कोर्ट ने निर्माताओं को निर्देश दिया है कि वे आपत्तिजनक दृश्यों को हटा लें और उसके बाद ही फिल्म को रिलीज करें। यह फिल्म महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और जनसंख्या वृद्धि पर केंद्रित है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह फिल्म न तो मुस्लिम समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाती है और न ही कुरान की शिक्षाओं को विकृत करती है।
विवाद और बहस
फिल्म का ट्रेलर रिलीज होते ही विवाद हो गया था। ट्रेलर में कुछ ऐसी दृश्य शामिल थे जिन्हें मुस्लिम समुदाय के लिए आपत्तिजनक माना गया था। इसके चलते ट्रेलर को अदालत ने विवादास्पद करार दिया था और निर्माताओं पर 5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था। यह रकम एक चैरिटी संस्था को दान की जाएगी, जिसे याचिकाकर्ता द्वारा चुना गया है।
नई रिलीज तारीख अभी अनिश्चित
फिल्म 'हमारे बारह' की रिलीज पहले 7 जून और फिर 14 जून के लिए निर्धारित की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रिलीज पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट का मानना था कि फिल्म का टीज़र आपत्तिजनक है और इससे मुस्लिम महिलाओं के प्रति अनुचित तस्वीर पेश होती है। इस रोक के बाद फिल्म की रिलीज की नई तारीख अभी तय नहीं की गई है। फिल्म में प्रमुख भूमिका में अन्नू कपूर हैं और यह फिल्म मुख्यतः महिलाओं के सशक्तिकरण और जनसंख्या वृद्धि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर आधारित है।
फिल्म के उद्देश्य और संदेश
फिल्म 'हमारे बारह' का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा देना और समाज में बढ़ती जनसंख्या समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करना है। फिल्म के निर्माताओं का कहना है कि उन्होंने समाज के हाथियों को जागरूक करने और पुराने रूढ़ियों को तोड़ने के उद्देश्य से यह फिल्म बनाई है। फिल्म के माध्यम से यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों की वास्तविकता को महत्व दिया जाए।
फिल्म पर लगी पाबंदी और उसका प्रभाव
फिल्म पर लगी पाबंदी ने समाज में एक चर्चा खड़ी कर दी। कई सामाजिक संगठन और धार्मिक समुदाय फिल्म के खिलाफ थे और इसे अविलंब रोकने की मांग कर रहे थे। कई बार ऐसा होता है कि जब फिल्में संवेदनशील मुद्दों पर बातें करती हैं, तो उन्हें विरोध का सामना करना पड़ता है। लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि फिल्म धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाती है और इस पर लगी पाबंदी हटा ली गई है।
फिल्म की मुख्य बातें
- फिल्म महिलाओं के सशक्तिकरण पर केंद्रित है।
- फिल्म में जनसंख्या वृद्धि की समस्याओं पर प्रकाश डाला गया है।
- फिल्म में अन्नू कपूर मुख्य भूमिका में हैं।
- फिल्म में कुछ आपत्तिजनक दृश्यों को हटाने के बाद ही रिलीज की अनुमति दी गई है।
- निर्माताओं पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है जो एक चैरिटी संस्था को दान दी जाएगी।
निष्कर्ष
बॉम्बे हाई कोर्ट के इस फैसले से न सिर्फ फिल्म निर्माताओं को राहत मिली है बल्कि उन दर्शकों को भी खुशखबरी मिली है जो इस फिल्म का इंतजार कर रहे थे। यह फिल्म न केवल एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे को उजागर करती है बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण और समाज में बदलाव लाने का संदेश भी देती है।अब देखना होगा कि फिल्म अपने रिलीज के बाद कैसा प्रतिक्रिया प्राप्त करती है और कितना प्रभावी साबित होती है।
11 टिप्पणियाँ
Avijeet Das
फिल्म में जो दृश्य हटाए गए हैं, वो असल में बहुत जरूरी थे। अब जब तक बात नहीं कर पाएंगे, तब तक समाज बदलेगा कैसे? कोर्ट ने ठीक किया, लेकिन थोड़ा देर हो गई।
Sachin Kumar
5 लाख रुपये जुर्माना? अच्छा, अब ये पैसे चैरिटी में जाएंगे, तो फिल्म बनाने वाले को फिर से बनाना पड़ेगा।
Ramya Dutta
अब तो फिल्म बनाने वाले भी अल्लाह के नाम पर बात करने से डरने लगे हैं। क्या अब महिलाओं के अधिकारों के लिए भी फतवा चाहिए?
Ravindra Kumar
ये फिल्म बस एक बड़ा धोखा है! एक तरफ महिलाओं को सशक्त बनाने का नाटक, दूसरी तरफ धर्म की बात करके बहस छेड़ना! ये सब बाजार की चाल है, नहीं तो क्या? कोर्ट को भी धोखा दे दिया!
arshdip kaur
कोर्ट ने फिल्म को अनुमति दी, लेकिन जब तक समाज ने अपने अंदर के भय को नहीं छोड़ा, तब तक कोई फिल्म बदलाव नहीं ला सकती।
khaja mohideen
इस फिल्म का मतलब ये नहीं कि महिलाएं बच्चे नहीं पैदा करें। मतलब ये है कि वो चुन सकें। और चुनाव का अधिकार किसी के धर्म का हिस्सा नहीं होता।
Diganta Dutta
अब तो फिल्म रिलीज होगी तो लोग भी देखेंगे 😎🔥 और फिर ये बात भूल जाएंगे कि किसने रोका था... 🤷♂️
Meenal Bansal
मैं तो बस इतना कहूंगी कि अगर ये फिल्म नहीं बनी होती, तो क्या होता? क्या कोई बात होती? नहीं। तो अब जो बन गई है, उसे देखो। और अगर तुम्हें बुरा लगा, तो बस बंद कर दो। कोई तुम्हें जबरदस्ती नहीं देख रहा।
Akash Vijay Kumar
मुझे लगता है, कि फिल्म ने एक बहुत जरूरी बात को उठाया है... और अगर इसके लिए जुर्माना लगा है, तो ये अच्छी बात है। इससे लोगों को पता चलेगा कि बात करने के लिए भी कीमत चुकानी पड़ती है।
Dipak Prajapati
अब तो फिल्म बनाने वाले ने धर्म को टारगेट किया, और अब कोर्ट ने उनका साथ दिया। ये तो बस एक बड़ा राजनीतिक खेल है। जिसने ज्यादा चिल्लाया, उसकी फिल्म रिलीज हो गई।
Mohd Imtiyaz
फिल्म में जो दृश्य हटाए गए हैं, वो असल में बहुत जरूरी थे। अब जब तक बात नहीं कर पाएंगे, तब तक समाज बदलेगा कैसे? कोर्ट ने ठीक किया, लेकिन थोड़ा देर हो गई।