सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को भेजा नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को सेट किया गया नोटिस जारी किया है। यह नोटिस नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) अंडरग्रेजुएट (UG) परीक्षा 2024 में पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं के आरोपों के संदर्भ में जारी किया गया है। यह याचिका 10 छात्रों द्वारा दायर की गई है, जिन्होंने दावा किया है कि परीक्षा में पेपर लीक और अन्य अनियमितताएं हुई हैं।
याचिकाकर्ताओं के आरोप
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में तर्क दिया है कि पेपर लीक की घटनाओं ने उन छात्रों को अनुचित लाभ दिया है, जिन्होंने परीक्षा में निष्पक्ष रूप से भाग लिया। उनका कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है। याचिकाकर्ताओं ने माना कि ये घटनाएं छात्रों के परिश्रम और परिशोध को नुकसान पहुंचाती हैं और पूरी परीक्षा प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठाती हैं।
कोर्ट की प्रतिक्रिया
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच द्वारा की गई, जिसमें न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह शामिल थे। कोर्ट ने छात्रों के दाखिले की काउंसलिंग प्रक्रिया को रोकने से इंकार कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने इस मामले के आगे की सुनवाई के लिए 8 जुलाई की तारीख तय की है।
छात्रों के संघर्ष
यह मामला केवल 10 छात्रों तक सीमित नहीं है। Physics Wallah के CEO अलख पांडे ने भी लगभग 20,000 छात्रों की तरफ से याचिकाएं दायर की हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि एनटीए ने कुछ छात्रों को मनमाने तरीके से ग्रेस मार्क्स दिए हैं। उनकी याचिकाएं भी बाद में सुनी जाएंगी। इन आरोपों ने छात्रों को इस परीक्षा पद्धति पर गहरा संदेह कर दिया है।
आगे की राह
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का अगला कदम क्या होगा और एनटीए इन आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया देता है। इतने महत्वपूर्ण परीक्षाएं जिन पर लाखों छात्रों का भविष्य निर्भर करता है, उनमें इस तरह की अनियमितताएं राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था में एक गंभीर सवाल खड़ा करती हैं।
छात्रों की मांग
छात्र अपील कर रहे हैं कि इस मामले की गहराई से जांच की जाए और जो भी दोषी पाये जाएं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। वे यह भी चाहते हैं कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं ताकि शिक्षा प्रणाली में उनकी आस्था बनी रहे।
आखिरी बात, ऐसे कई छात्र जो कड़ी मेहनत करते हैं और अपनी पूरी ईमानदारी से परीक्षाओं की तैयारी करते हैं। उनके लिए यह मामला विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो जाता है। इस प्रकार के आरोप केवल छात्रों के मनोबल को गिरा सकते हैं और उनकी मेहनत को कमजोर कर सकते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट की यह जाँच और निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा व्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं। उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में निष्पक्ष और प्रभावी कार्रवाई करेगा।
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