इजरायल-हिज़बुल्ला संघर्ष: अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला
सितंबर 24, 2024 का दिन लेबनान के लिए एक काला दिन साबित हुआ जब इजरायली वायु सेना ने हिज़बुल्ला को निशाना बनाते हुए बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए। इन हमलों में लेबनानी स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार लगभग 500 लोग मारे गए, और 1600 से अधिक लोग घायल हो गए।
इजरायली सैन्य अधिकारियों ने कहा कि वे 'जो भी आवश्यक है' वह करेंगे ताकि हिज़बुल्ला को लेबनान-इजरायल सीमा से दूर किया जा सके। यह टकराव इजरायल-हमास युद्ध के बीच हो रहा है, जो पहले से ही क्षेत्र में तनाव बढ़ा रहा है। दक्षिणी लेबनान के हजारों निवासी अपनी जान बचाने के लिए भाग रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप बेरूत की ओर जाने वाले मुख्य राजमार्ग पर बड़ी भागदौड़ मच गई है।
हिज़बुल्ला का पलटवार और प्रतिक्रिया
हिज़बुल्ला ने सोमवार को इजरायल के खिलाफ 100 से अधिक प्रक्षेपास्त्र दागे, जो कि इजरायल के उत्तरी शहर हाइफा और कब्जे वाले पश्चिमी तट के हिस्सों तक पहुंचे। अधिकांश मिसाइलें इजरायली रक्षा प्रणाली द्वारा इंटरसेप्ट की गईं, लेकिन उत्तर इजरायल में गिरती शार्दियों से दो लोग हल्के घायल हो गए।
गाजा पर भी हमले और हताहत
गाजा में, फिलिस्तीनी अधिकारियों ने बताया कि मंगलवार सुबह खान यूनिस शहर पर इजरायली हमलों में कम से कम सात लोग मारे गए और 15 से अधिक लोग घायल हुए। इनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने हिज़बुल्ला पर आरोप लगाया कि वह नागरिकों का मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा है। यह संघर्ष पिछले कुछ दिनों में काफी बढ़ गया है, जिसमें दोनों पक्ष एक दूसरे के खिलाफ गोलीबारी और हवाई हमले कर रहे हैं।
लेबनान का सबसे बड़ा पलायन: 2006 के बाद
दक्षिणी लेबनान में रहने वाले हजारों लोग इस संघर्ष के चलते अपने घर छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। ये लोग बेरूत की ओर जा रहे मुख्य राजमार्ग पर इकठ्ठा हुए, जो 2006 के इजरायल-हिज़बुल्ला युद्ध के बाद से सबसे बड़े पलायन के दृश्य को घोषित कर रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने इस संघर्ष में उभरती मानवीय त्रासदी पर अपनी चिंता व्यक्त की है। संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने सभी पक्षों से संयम बरतने और मानवीय सहायता पहुंचाने की अपील की है।
लेबनानी अधिकारियों ने और अधिक सहायता और समर्थन की मांग की है, ताकि प्रभावित लोगों को पुनर्वास और आवश्यक सहायता मिल सके।
समस्या का समाधान कब?
इजरायल-हिज़बुल्ला संघर्ष और इजरायल-हमास युद्ध ने पूरे क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ा दी है। यह देखना बाकी है कि यह संघर्ष कब और कैसे समाप्त होगा और इसके परिणामस्वरूप क्षेत्रीय स्थिरता को कैसे बहाल किया जा सकेगा।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा प्रभावित आम नागरिक हैं, जो संघर्ष की चपेट में आकर अपना घर, अपनों और अपना जीवन खो रहे हैं। अत्यधिक हिंसा के इस दौर में मानवता की पुकार समझना और उस पर कार्रवाई करना आवश्यक है।
15 टिप्पणियाँ
nihal bagwan
इज़राइल‑हिज़बुल्ला संघर्ष की अंधेरी सूरत हमें मानवीय मूल्यों के पतन की चेतावनी देती है। राष्ट्रों को अंतरराष्ट्रीय कानून का सम्मान करके शांति की राह अपनानी चाहिए, नहीं तो निरंतर रक्तपात अनिवार्य हो जाएगा। हमारे देश की सुरक्षा और नैतिक स्थिरता के लिए इस अतिरेक को रोकना अत्यावश्यक है।
Arjun Sharma
इज़राइल का हवाई हमला तो फुल फाइलॉन है, एकदम बिंदास।
Sanjit Mondal
संघर्ष के मानवीय परिणामों को समझते हुए, अंतरराष्ट्रीय संगठनों को त्वरित मानवीय सहायता प्रदान करनी चाहिए। बहरे और घायल लोग दोनों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए, विशेषकर बच्चों और महिलाओं को। विमर्श के बजाय शांतिपूर्ण संवाद की जरूरत है, क्योंकि लगातार हिंसा से कोई समाधान नहीं निकलेगा।
Ajit Navraj Hans
देख भाई हिज़बुल्ला की रॉकेट फेंकने वाले टेस्टिंग पर इज़राइल ने जवाब दिया ये तो फटाफट का खेल है असीमित शक्ति के दुरुपयोग से बस दूर रहें
arjun jowo
हम सभी को मिलकर पीड़ितों की मदद करनी चाहिए। राहत सामग्री का वितरण तेज़ी से होना चाहिए। साथ मिलकर इस आपदा को कम किया जा सकता है।
Rajan Jayswal
भयावह विनाश, लेकिन आशा की किरण अभी भी जगी हुई है।
Simi Joseph
इज़राइल की कठोर नीति सिर्फ और केवल शक्ति की लालसा है। नरसंहार नहीं, न्याय चाहिए।
Vaneesha Krishnan
दिल टूट गया देख कर 😢 कितनी ज़रूरत है तुरंत मानवीय सहायता की 🚑 हम सबको साथ मिलकर आवाज़ उठानी चाहिए 🙏
Satya Pal
इजेराइल व हिज़बुल्ला का कंफ्लिक्ट बिलकुल बेहतरीन बर्ताव है। इशका नतीजा हर इंसान को भुगतना पड़ेगा।
Partho Roy
इज़राइल‑हिज़बुल्ला का हालिया संघर्ष पूरे मध्य‑एशिया में धड़कन तेज़ कर रहा है। इस वायवीय हमला ने लेबनान में अनगिनत जनहानि की है। हजारों लोग घरों से बेघर हो गए हैं। गाजा में भी समान त्रासदी जारी है। दोनों पक्ष ने एक‑दूसरे को प्रहार किया है जिससे नागरिकों की सुरक्षा खतरे में है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ निरंतर शांति की अपील कर रही हैं। लेकिन मौजूदा राजनीति में समझौता बहुत कठिन दिख रहा है। स्थानीय समुदायों को तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता है। अस्पतालों में रक्त की कमी और दवाओं की कमी देखी जा रही है। कई युवा लड़के लड़ाई में शामिल हो रहे हैं जिससे भविष्य की पीढ़ी पर असर पड़ेगा। इस हिंसा का कारण कई बार गहरी गुप्त कारणों में छिपा रहता है। हमें इस जटिल स्थिति को समझने के लिए कई पहलुओं का विश्लेषण करना चाहिए। इतिहास में ऐसे कई उदाहरण रहे हैं जहाँ दीर्घकालिक शांति के लिए कूटनीति ने ही काम किया है। इस बार भी कूटनीति को प्राथमिकता देनी होगी। अंत में, यदि हम सब मिलकर आवाज़ उठाएँ और दबाव बनायें तो शायद अंतरराष्ट्रीय दबाव से कम से कम हिंसा में कमी आए।
Ahmad Dala
सम्पूर्ण स्थिति को देख कर लगता है कि कई नेता अपने ही राष्ट्रीय हितों में उलझे हुए हैं। ऐसा रवैया शांति के लिए हानिकारक है। हमें अधिक जिम्मेदार नेतृत्व की अपेक्षा करनी चाहिए।
RajAditya Das
यहाँ के लोग बहुत पीड़ित हैं, क्या हम सब मिलकर मदद कर सकते हैं? :)
Harshil Gupta
भाईयों और बहनों, इस कठिन समय में एक दूसरे का सहारा बनना ही सबसे बड़ा कदम है। छोटा-छोटा योगदान भी बड़ी परिवर्तन लाएगा। आप सब को शुभकामनाएँ।
Rakesh Pandey
वास्तव में ये संघर्ष पुराने भू-राजनीतिक खेल का हिस्सा है, जिसका मूल कारण कहीं और छुपा है 🤔
Simi Singh
लगता है कि इस युद्ध के पीछे छिपे हुए सत्तारूढ़ तंत्र ने मनिया है कि हम सब गलती से इस घोटाले में फँस जाएँ।