Nikkei 225: 35 साल पुराना रिकॉर्ड टूटा, जापान का शेयर बाजार चर्चा में
जापान का Nikkei 225 इंडेक्स जुलाई 2024 में इतिहास रच गया। 1989 के उस पुराने बुलबुले वाले दौर को पीछे छोड़ते हुए इंडेक्स पहली बार 42,426.77 के ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गया। बहुत से लोगों के लिए ये आंकड़ा सिर्फ एक नंबर है, लेकिन जापान की अर्थव्यवस्था के लिए ये बड़ी बात बन गई। 35 साल पहले, जब जापान में रियल एस्टेट और शेयर बाजार में बोलबाला था, तब Nikkei 225 ने जो स्तर छुआ था, अब उस रफ्तार को फिर से पकड़ना बड़ी उपलब्धि है।
इस तेज उछाल के पीछे मुख्य वजह रही येन का कमजोर होना। कमजोर येन के चलते जापानी एक्सपोर्टर्स को विदेशों में ज्यादा मुनाफा मिलने लगा। इससे मित्सुबिशी, टोयोटा, होंडा जैसे दिग्गज कंपनियों के शेयर नए शिखर तक जा पहुंचे। 2024 के अंत में Nikkei 225 ने 19% की ग्रोथ दिखाई और साल का समापन 39,894.54 पर किया। बाजार में कुछ समय के लिए उम्मीदें बनी रहीं कि 2025 में यह 45,000 के पड़ाव तक भी जा पहुंचेगा।

2025 में उतार-चढ़ाव, जापानी अर्थव्यवस्था की नई दिशा
2025 ने परिदृश्य को उलट दिया। 21 मई 2025 को Nikkei 225 गिरकर 37,164 पर पहुंच गया, यानी 6.79% की गिरावट दिखाई। इस गिरावट ने निवेशकों की चिंता बढ़ा दी, क्योंकि उनका अनुमान इससे बिल्कुल उलटा था। बाजार पहले जितनी तेजी से बढ़ा, अब उतनी ही जल्दी उसमें उथल-पुथल देखने को मिल रही है।
- एक्सपोर्टर्स को कमजोर येन का फायदा मिला, जिससे जापान का निर्यात ग्रोथ पर रहा।
- लेकिन, डॉलर-येन में भारी उतार-चढ़ाव, ग्लोबल डिमांड में गिरावट, और नए अमेरिकी प्रशासन की नीतियां फोकस में आ गईं।
- चीन, जर्मनी जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं जब चुनौतियों का सामना कर रही हैं, तो जापान का ये सुधार बाकी दुनिया के लिए भी मायने रखता है।
Nikkei 225 में जापान की 225 सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनियां शामिल हैं, इसलिए ये इंडेक्स वहां की आर्थिक सेहत का आईना माना जाता है। जब ये इतना ऊपर पहुंचा, तो वैश्विक निवेशकों को जापान की तरफ से नए संकेत मिले। खास बात ये है कि जहां बाकी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं—जैसे चीन—मंदी के दबाव में हैं, वहीं जापान अपनी नीतियों से नया माहौल बना रहा है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि आगे चलकर AMERICA के नए प्रशासन की नीति, डॉलर-येन में हलचल और एशियाई बाजारों की तल्खी Nikkei 225 की दिशा तय करेंगी। फिलहाल इस इंडेक्स की चाल पर दुनिया की नजरें टिकी हैं, क्योंकि यहां की हर बड़ी हलचल विदेशी निवेशकों, एशिया के पड़ोसियों और भारत जैसे बाजारों के लिए संदेश लेकर आती है।
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