जब हम इण्डिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट, भारत के मौसम से जुड़ी सभी जानकारी, चेतावनी और भविष्यवाणी प्रदान करने वाला सरकारी निकाय. Also known as भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD), यह विभाग उपग्रह डेटा, सतही उपकरण और मॉडलिंग का उपयोग करके बारिश पूर्वानुमान, आगामी दिन‑ओँ में बरसात की मात्रा और स्थान तैयार करता है।
इण्डिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट के तीन मुख्य काम हैं: पहला, मौसम भविष्यवाणी देना; दूसरा, बाढ़, लैंडस्लाइड और तेज़ हवाओं जैसी प्राकृतिक आपदा की चेतावनी जारी करना; तीसरा, जलवायु परिवर्तन के दीर्घकालिक रुझानों को ट्रैक करना। ये तीनों चीज़ें आपस में जुड़ी हुई हैं – भविष्यवाणी से चेतावनी निकलती है, और चेतावनी से लोगों को सुरक्षित रहने के उपाय मिलते हैं।
वर्तमान में विभाग ने कई क्षेत्रों में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है। उदाहरण के तौर पर पश्चिम बंगाल, गुजरात और केरल में 26 सितंबर को 300 mm‑से‑अधिक वर्षा की संभावना थी, जिससे जलस्तर बढ़ा और कई जगहों पर बाढ़ की स्थिति बन गई। इसी तरह डार्जीलिंग में अचानक 300 mm बारिश ने लैंडस्लाइड को जन्म दिया, 18 लोगों की मौत और कई पुल डगमगाए। ये घटनाएँ बताती हैं कि विभाग की चेतावनी और समय पर कार्रवाई कितनी जरूरी है।
क्योंकि मौसम बहुत ही तेज़ी से बदलता है, इण्डिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट लगातार उपग्रह इमेज, रडार रीडिंग और ग्राउंड स्टेशन डेटा को अपडेट करता है। यह प्रक्रिया वायुमंडलीय स्थितियाँ, हवा की दिशा, गति और तापमान प्रोफ़ाइल को मॉडल में डालकर सटीक भविष्यवाणी बनाती है। जब मॉडेलिंग में सुधार होता है, तो चेतावनी भी पहले और सटीक मिलती है, जिससे जीवन बचाने में मदद मिलती है।
इण्डिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट का काम सिर्फ़ आँकड़े देना नहीं है, बल्कि लोगों को समझाने का भी है। विभाग अक्सर स्थानीय प्रशासन और मीडिया को विस्तृत ब्रीफ़िंग देता है, ताकि प्रधानमंत्री, राज्य के मुख्यमंत्री और एम्बुलेंस सेवाएँ तुरंत तैयार हो सकें। जब कोई राज्य भारी बारिश की चेतावनी प्राप्त करता है, तो वह जलरोधी उपाय, विस्थापन योजना और आपातकालीन संसाधन जुटाने के लिए कदम उठाता है। इस प्रकार विभाग का डेटा सामाजिक सुरक्षा का अहम हिस्सा बन जाता है।
डिपार्टमेंट के कुछ प्रमुख प्रोजेक्ट भी हैं, जैसे कि “इंडियन मौसम नेटवर्क” (IMN) जिसमें 1000 से अधिक मौसम स्टेशन शामिल हैं। ये स्टेशन हर घंटे तापमान, आर्द्रता, वायु दाब और वर्षा वॉल्यूम रिकॉर्ड करते हैं। इन डेटा पॉइंट्स का उपयोग करके वैज्ञानिक लंबे समय तक जलवायु परिवर्तन के पैटर्न को भी समझते हैं। इस कारण, इण्डिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट न केवल रिटर्निंग एक्सपर्ट नहीं, बल्कि भविष्य के मौसम को समझने का बीज भी देता है।
आज की खबरों में हम देख रहे हैं कि कैसे एक ही चेतावनी कई राज्यों में अलग‑अलग प्रभाव डालती है। गुजरात के दक्षिणी और उत्तरी भाग में बारिश की तीव्रता अलग‑अलग बताई गई है – जहाँ दक्षिण में हल्की‑मध्यम बारिश जारी है, वहीं उत्तर में तेज़ बाढ़ की आशंका है। इसी तरह उत्तर प्रदेश और दिल्ली में मिलीज़ुली परिस्थितियों की चेतावनी जारी की गई है, जिससे किसानों को फसलों की सुरक्षा के लिए उपाय करने का समय मिल रहा है।
समाचार पढ़ते समय यह याद रखें कि इण्डिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट के डेटा को समझना आसान नहीं होता, लेकिन इस डेटा के मुख्य बिंदु पकड़ना बहुत मददगार है। यदि कोई रिपोर्ट कहती है “पश्चिम बंगाल में अगले 48 घंटों में 150 mm‑से‑अधिक वर्षा होगी”, तो इसका मतलब है कि जलस्तर तेज़ी से बढ़ेगा और बाढ़ के जोखिम में वृद्धि होगी। ऐसे समय में स्थानीय स्वयंसेवी समूह, स्कूल और औद्योगिक इकाइयाँ अपने आपातकालीन प्लान को फिर से चेक कर लेनी चाहिए।
भविष्य में, इण्डिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट नई तकनीकें अपनाने की योजना बना रहा है – जैसे कि AI‑आधारित मॉडल्स, हाई‑रेजोल्यूशन उपग्रह इमेज और रीयल‑टाइम रडार डेटा। इन तकनीकों से न केवल भविष्यवाणी की सटीकता बढ़ेगी, बल्कि चेतावनी के समय में भी कमी आएगी। जब चेतावनी जल्दी आएगी, तो लोग सुरक्षित स्थानों पर जल्दी जा सकेंगे और राहत कार्य बेहतर तरीके से भरोसा किया जा सकेगा।
तो अब आप देख सकते हैं कि इण्डिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट का काम मौसम से जुड़ी हर चीज़ को कवर करता है – शुरुआती पूर्वानुमान, चेतावनी जारी करना, डेटा संग्रह, और दीर्घकालिक जलवायु अध्ययन। नीचे सूचीबद्ध लेखों में आपको इस विभाग की ताज़ा रिपोर्ट, भारी बारिश के केस स्टडी, बाढ़ प्रबंधन के उपाय और लैंडस्लाइड घटनाओं की विस्तृत जानकारी मिल जाएगी। पढ़ते रहें, अपडेट रहें और मौसम से जुड़ी सही जानकारी के साथ तैयार रहें।
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