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इज़राइल ने यमन में हौथी पर त्वरित हवाई हमले, संघर्ष तेज

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इज़राइल ने यमन में हौथी पर त्वरित हवाई हमले, संघर्ष तेज
  • अक्तू॰, 12 2025
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

जब बेंजामिन नेतन्याहू, इज़राइल के प्रधानमंत्री, ने 5 मई 2025 को यमन में हौथी समूह पर भारी हवाई हमले शुरू किए, तो पूरे मध्य‑उत्तरी क्षेत्र में थरथराहट फैल गई। यह कार्रवाई सीधे बेन गुरियन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा पर 4 मई को हुए बॉलिस्टिक मिसाइल हमले के जवाब में ली गई थी, जहाँ कई उड़ानों को रद्द कर दिया गया था। इज़राइल-यमन संघर्ष के इस नए चरण में साना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का पूर्ण विस्थापन और हुडैदा पोर्ट पर उडान‑सटीक गोला‑बारूद के प्रयोग ने क्षेत्रीय तनाव को नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया।

पृष्ठभूमि और कारण

हौथी आंदोलन, आधिकारिक नाम अन्सर अल्लाह, 2014 से यमन के कई हिस्सों में सत्ता में है और इसने लगातार रेड सी में शिपिंग लाइनों को निशाना बनाया है। मार्च 2025 में गाज़ा में समझौते के टूटने के बाद इज़राइल की सुरक्षा स्थिति बिगड़ गई, जिससे हौथियों ने इज़राइल के ऊपर बॉलिस्टिक मिसाइलों की कतार चलायी। 26 मिसाइलों को इज़राइली एंटी‑एयर सिस्टम ने रोक दिया, पर एक टकराव आखिरकार बेन गुरियन के किनारे तक पहुंचा।

विस्तृत विकास और घटनाक्रम

पहला हवाई हमला 5 मई को हुआ, जब अमिकाम नॉर्किन, इज़राइली वायु सेना के कमांडर, ने F‑35I ऐडिर स्टेल्थ जेट्स को आदेश दिया। ये विमान हुडैदा पोर्ट के सैन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर को लक्ष्य बनाकर सैंकड़ों प्रिसिजन‑गाइडेड म्युटिकेन फेंके। अगले दिन, 6 मई को साना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा को नाटकीय तरीके से ध्वस्त किया गया, जिससे पूरी नागरिक हवाई सेवाएँ बंद हो गईं। इस हमले में हौथी के प्रमुख राजनैतिक नेता अह्मद अल‑रहावी भी मार पे गए, जिन्हें हौथी का सबसे वरिष्ठ प्रधानमंत्री पद कार्यकारी माना जाता था।

जून 2025 में इज़राइली नौसेना ने इस अभियान में प्रवेश किया। कमांडर एली शर्वित के नेतृत्व में पनडुब्बी और सतह पोत रेड सी में तैनात हुए, जिससे हौथी के समुद्री टार्गेटों को दमन किया गया।

संलग्न पक्षों की प्रतिक्रियाएँ

हौथी ने तुरंत इस कदम का विरोध किया, उन्होंने जारी किए गए बयान में कहा कि यह इज़राइल के खिलाफ निर्णायक प्रतिशोध का पहला चरण है और वे अपने ईरानी सहयोगियों से और अधिक मिसाइल समर्थन माँगेगे। दूसरी ओर, इज़राइल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कार्रवाई ‘सुरक्षा के लिए अनिवार्य’ है और “भविष्य में ऐसे हमलों को रोका जाएगा”।

इज़राइल के प्रमुख गठजोड़ियों—संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब—में से कुछ ने इस नई विस्तार को लेकर चिंता जताई। कतर, ओमान और पाकिस्तान ने इज़राइल के नाटकीय कदम की निंदा की और अंतरराष्ट्रीय समुद्री व्यापार की सुरक्षा की आवाज़ उठाई।

प्रभाव विश्लेषण

साना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ध्वस्ति ने यमन की मानवीय सहायता को एक झटका दिया। पहले यह हवाई अड्डा एएफपी और यूएन सहायता की प्रमुख प्रवेश द्वार था, अब इसे नवीनीकरण या वैकल्पिक मार्ग की आवश्यकता होगी। साथ ही, रेड सी में शिपिंग के लिए 100‑से‑अधिक देशों की नौकाएँ इस प्राधिकरण के तहत अटक सकती हैं, जिससे वैश्विक तेल और माल की आपूर्ति पर असर पड़ेगा।

  • हौथी के मारक क्षेपणास्त्र कार्यक्रम पर इज़राइल ने लगभग 12 रॉकेट लॉन्च साइटों को नष्ट किया।
  • साना हवाई अड्डे के विनाश से 250 + कर्मचारियों का रोजगार तुरंत समाप्त हुआ।
  • हूडैदा पोर्ट की क्षति के कारण लगभग 15 % समुद्री माल की दैनिक आवाज़ में कमी आई।

आर्थिक प्रभाव अभी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है, पर अनुमानित है कि यमन के शेष शेष बुनियादी ढाँचे में 3‑4 बिलियन डॉलर की अतिरिक्त लागत लग सकती है।

भविष्य की संभावनाएँ और आगे का रास्ता

इज़राइल ने बताया है कि वह जून के अंत तक हौथी के सभी बॅलिस्टिक क्षमताओं को समाप्त करने की योजना बना रहा है। हौथी, जो ईरान से मिल रही तकनीकी सहायता पर निर्भर है, संभवतः नए रॉकेट विकास को तेज़ी से जारी रखेगा। इसके बीच, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता समूहों से आह्वान आया है कि दोनों पक्ष एक अस्थायी मानवतावादी ठहराव पर सहमत हों, ताकि एंबुलेंस और खाद्य आपूर्ति जलस्रोतों तक पहुँच सके।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

हौथी और इज़राइल के बीच तनाव पहले भी दिखा था, खासकर 2015‑2016 में जब हौथी ने प्रथम बार अपनी रेंज से इज़राइल के ऊपर मिसाइल फायर किया था। उस समय इज़राइल ने यमन के उत्तरी हिस्से में कई एंटी‑टेरर ऑपरेशन्स चलाए थे, पर व्यापक हवाई हमले 2025 में ही शुरू हुए। इस बीच, इज़राइल‑हौथी टकराव को अक्सर ईरान‑इज़राइल प्रतिद्वंद्विता के विस्तार के रूप में देखा जाता है।

यमन में इस युद्ध का विस्तार, विशेष रूप से साना हवाई अड्डे के नष्ट होने से, यह स्पष्ट करता है कि स्थानीय संघर्ष अब वैश्विक रणनीतिक खेल का हिस्सा बन गया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अब इस जटिल परिदृश्य में संतुलन बनाने की आवश्यकता है, ताकि क्षेत्र में व्यापक युद्ध का खतरा न बढ़े।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

इज़राइल के इस हमले का यमन के नागरिकों पर क्या असर पड़ेगा?

साना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का विनाश यमन के नागरिकों को प्राथमिक चिकित्सा और मानवीय सहायता के मुख्य केन्द्र से वंचित कर देगा। अब हवाई माध्यम से आपूर्ति पूरी तरह बंद है, जिससे ग्राउंड ट्रांसपोर्ट पर निर्भरता बढ़ेगी और मदद पहुंचाने में देरी होगी।

हौथी के प्रमुख नेता की मृत्यु का समूह पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

अह्मद अल‑रहावी की हत्या से हौथी के राजनैतिक दल में नेतृत्व का एक बड़ा अंतराल पैदा हुआ है। यह अंतराल अस्थायी रूप से उनके बॉलिस्टिक कार्यक्रम को धीमा कर सकता है, पर ईरानी समर्थन से वे जल्द ही नई कमान जारी कर सकते हैं।

रेड सी में अंतरराष्ट्रीय शिपिंग पर इस संघर्ष का क्या असर पड़ता है?

रेड सी एक प्रमुख तेल और माल की शिपिंग रूट है। हौथी के हाई‑प्रोफ़ाइल हमले और इज़राइल की जवाबी कार्रवाइयाँ दोनों ही इस मार्ग की सुरक्षा को खतरे में डालती हैं, जिससे बीमा लागत बढ़ रही है और माल की डिलीवरी में देरी हो सकती है।

अमेरिका और अन्य सहयोगी इस स्थिति में कैसे प्रतिक्रिया देंगे?

संयुक्त राज्य ने इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार को समर्थन दिया है, पर साथ ही अंतरराष्ट्रीय समुद्री सुरक्षा पर चिंता जताई है। कतर और ओमान जैसे देशों ने दोनों पक्षों को डायलॉग में लौटने का आह्वान किया है।

भविष्य में इस संघर्ष को रोकने के लिए क्या कूटनीतिक कदम उठाए जा सकते हैं?

डेटा दिखाता है कि मानवीय ठहराव, अंतरराष्ट्रीय निगरानी मिशन और एटरनल प्लेन कॉन्ट्रोल के माध्यम से शिपिंग को सुरक्षित रखना प्राथमिक उपाय होगा। इसके साथ ही, ईरान‑हौथी कनेक्शन को डिप्लोमैटिक तौर पर कमजोर करने से दीर्घकालिक शांति की राह खुल सकती है।

Divya B
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Divya B

1 टिप्पणियाँ

Prince Naeem

Prince Naeem

इज़राइल‑यमन की इस नई टकराव की जड़ में केवल सैन्य दांव नहीं, बल्कि गहरी रणनीतिक गणनाएँ हैं।
हौथियों की रॉकेट क्षमताएँ पहले से ही लाल सागर के शिपिंग को खतरे में डाल रही थीं, जिससे तेल की कीमतें असर देख सकती हैं।
इज़राइल ने अब अपना जवाबी कार्रवाई इस तरह से दिखाया है कि वह न केवल सीधा प्रतिकार कर रहा है, बल्कि भविष्य में संभावित क्षमताओं को भी क्षीण कर रहा है।
यह कदम दर्शाता है कि मध्य‑पूर्व में शक्ति संतुलन अब केवल स्थानीय दलों पर नहीं, बल्कि एशिया‑पैसिफिक के व्यापक हितधारकों पर भी निर्भर करता है।
भारत जैसी देशों को इस तनाव से जुड़ी लॉजिस्टिक चुनौतियों पर पुनर्विचार करना चाहिए, क्योंकि हमारे व्यापारिक जहाज लाल सागर से होते हुए गुजरते हैं।
इज़राइल के लिए यह मोहिमात्मक सफलता उनके एंटी‑एयर सिस्टम की विश्वसनीयता को पुनः स्थापित करती है।
हौथी समूह, अपने ईरानी समर्थन के कारण, शायद अब अधिक उन्नत प्रॉक्सी हथियारों की ओर रुख करेगा।
वर्तमान में, अंतरराष्ट्रीय समुद्री बीमा कंपनियों ने रेट प्रीमियम बढ़ा दिया है, जिससे माल की लागत में वृद्धि होगी।
इन घटनाओं से यह स्पष्ट हो रहा है कि मानवीय सहायता के लिए पारंपरिक हवाई मार्ग अब असुरक्षित हो गया है।
साना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे की ध्वस्ति ने राहत सामग्री के वितरण में गंभीर बाधाएँ उत्पन्न कर दी हैं।
भविष्य में, अंतरराष्ट्रीय संगठनों को ग्राउंड लॉजिस्टिक्स को सुदृढ़ करने की आवश्यकता होगी।
इज़राइल के जल सैन्य कदम, जैसे पनडुब्बी का उपयोग, समुद्री सुरक्षा के नए मानक स्थापित करेंगे।
हौथी के नेतृत्व में बदलाव शायद अस्थाई हो, लेकिन उनका प्रतिशोधी स्वर लंबे समय तक बना रहेगा।
इज़राइल के सहयोगी देशों, विशेषकर US और GCC, को इस संघर्ष को रोकने के लिए कूटनीतिक दबाव बढ़ाना चाहिए।
अन्यथा, क्षेत्र में एक बड़े स्तर का युद्ध उभर सकता है जो वैश्विक ऊर्जा बाजार को प्रभावित करेगा।
सारांश में, यह टकराव सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि आर्थिक, मानवीय और कूटनीतिक पहलुओं को भी सम्मिलित करता है, जिसे सभी पक्षों को सगाई से देखना चाहिए।

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