ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति और उनकी भूमिका
भारत के नए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, 1988 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं, जिन्हें एक नए चयन प्रक्रिया के माध्यम से चुना गया है। उनका कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक है और उनके नेतृत्व में 2029 के लोकसभा चुनाव, 20 विधानसभा चुनाव और 2027 के राष्ट्रपति/उप-राष्ट्रपति चुनाव संपन्न होंगे।
ज्ञानेश कुमार ने आईआईटी कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बीटेक और हार्वर्ड विश्वविद्यालय से पर्यावरण अर्थशास्त्र का अध्ययन किया है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण सरकारी भूमिकाएं निभाई हैं, विशेष रूप से 2019 में जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के निरसन के दौरान गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में। इसके अलावा, उन्होंने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के गठन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।

नियुक्ति प्रक्रिया और विवाद
उनकी नियुक्ति एक तीन-सदस्यीय समिति द्वारा की गई, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और विपक्ष के नेता राहुल गांधी शामिल थे। यह नियुक्ति 2023 के एक नए कानून के तहत हुई है, जो पूर्व की चयन प्रक्रिया को बदलता है। इस नए कानून ने कांग्रेस का विरोध झेला, जो इसे निर्वाचन आयोग की स्वतंत्रता के लिए खतरा मानती है।
राहुल गांधी ने इस चयन प्रक्रिया के खिलाफ असहमति जताई, इसे राजनीतिक पक्षपातपूर्ण कहा, और सुप्रीम कोर्ट में इस कानून की संवैधानिकता पर सुनवाई तक नियुक्ति को स्थगित करने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट में नए कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाएं दायर की गई हैं, जो भविष्य में मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्तियों पर असर डाल सकती हैं।
आगामी वर्षो में, ज्ञानेश कुमार का दायित्व महत्वपूर्ण चुनावों को सुचारू रूप से संपन्न करवाना है, जैसे कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव, 2026 के विधानसभा चुनाव (केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुदुचेरी) और 2029 के लोकसभा चुनाव।
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