दिल्ली की एक अदालत ने घोषणा की है कि वह 5 जून को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की आपत्ति पर आदेश सुनाएगी। यह आदेश दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 से जुड़े मामले पर आया है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था।
प्रवर्तन निदेशालय के आरोप
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोर्ट में यह तर्क दिया है कि अरविंद केजरीवाल अंतरिम जमानत के हकदार नहीं हैं क्योंकि उन्होंने जांच में सहयोग नहीं किया है और साथ ही गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की है। एजेंसी ने यह भी बताया कि केजरीवाल ने पूछताछ के दौरान संतोषजनक उत्तर नहीं दिए हैं और वे मुख्य आरोपी हैं।
अन्य आरोपी और आपराधिक षड्यंत्र
इस मामले में अन्य आरोपियों में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी शामिल हैं। ED ने आरोप लगाया है कि केजरीवाल और सिसोदिया सहित अन्य आरोपियों ने एक आपराधिक षड्यंत्र के तहत कुछ शराब लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ प्रदान किया। यह जांच नवंबर 2022 से चल रही है और इस मामले में कई उच्च पदस्थ अधिकारी गिरफ्तार हो चुके हैं।
अदालत की सुनवाई
आरोपों के बावजूद, केजरीवाल के वकील ने कोर्ट में यह दलील दी है कि ED के आरोप बिना आधार के हैं और एजेंसी उनके किसी भी आरोप का सबूत प्रस्तुत करने में विफल रही है। अदालत अब 5 जून को इस मामले में अंतिम फैसला सुनाएगी।
अंतरिम जमानत की मांग
अरविंद केजरीवाल की टीम का तर्क है कि उन्हें अंतरिम जमानत मिलनी चाहिए क्योंकि वे जांच में सहयोग के लिए तैयार हैं और उनके खिलाफ लगे आरोप बेबुनियाद हैं। इसके बावजूद, ED ने जोर देकर कहा है कि केजरीवाल ने गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की और जांच में सहयोग नहीं किया।
दिल्ली आबकारी नीति 2021-22
यह मामला दिल्ली की आबकारी नीति 2021-22 से जुड़ा है, जिसमें भ्रष्टाचार के आरोप सामने आने के बाद नीति को रद्द कर दिया गया था। इस नीति के तहत शराब लाइसेंस धारकों को लाभ पहुँचाने का आरोप है, जिसके चलते ED ने यह जांच शुरू की।
जांच की प्रगति
नवंबर 2022 से चल रही इस जांच में अब तक कई महत्वपूर्ण गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। इसमें उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सहित कई उच्च पदस्थ अधिकारी शामिल हैं। ED ने आरोप लगाया है कि इस पूरी योजना का मकसद कुछ खास शराब लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ पहुँचाना था।
आरोपों का प्रतिकार
अरविंद केजरीवाल के वकील ने कोर्ट में यह तर्क दिया है कि ED के आरोप बिना आधार के हैं और उनके मुवक्किल के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि जांच एजेंसी उनके मुवक्किल को जानबूझकर फंसा रही है और इससे उनका राजनीतिक करियर प्रभावित हो रहा है।
अदालत की भूमिका
अब सभी की नजरें 5 जून पर टिकी हैं, जब दिल्ली की अदालत इस मामले में अपना अंतिम फैसला सुनाएगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत किस पक्ष के तर्कों को मान्यता देती है और किस आधार पर अपना निर्णय सुनाती है।
अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की रणनीति
अभियोजन पक्ष का जोर इस बात पर है कि केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने जानबूझकर गवाहों को प्रभावित करने और जांच में अड़चन पैदा करने की कोशिश की है। वहीं, बचाव पक्ष का कहना है कि उनके मुवक्किल निर्दोष हैं और उनके खिलाफ लगे आरोप राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा हैं।
कोर्ट अब इस बात का निर्णय करेगी कि अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए या नहीं। यह एक महत्वपूर्ण फैसला होगा, जो इस मामले की दिशा को तय करेगा और इससे जुड़े कई राजनीतिक और कानूनी पहलुओं को प्रकट करेगा। 5 जून को सभी की निगाहें दिल्ली की अदालत पर होंगी, जो इस मामले में न्याय का तराजू किस पक्ष में झुकाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
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