जब इण्डिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट ने 30 सितंबर 2025 को दिल्ली‑एनसीआर में हल्की‑से‑भारी बारिश का अलर्ट जारी किया, तो शहर के लोग राहत की सांस लेकर देखते थे—पर साथ ही दुर्गा पूजा और दशहरा की खुली मेले‑जगहों में उधड़ते सवाल भी।
पिछले हफ्ते का मौसम‑परिदृश्य
सितंबर के शुरुआती दिनों में राष्ट्रीय राजधानी ने 38.1 °C तक का तापमान झेला – पिछले दो वर्षों में इस महीने का सबसे अधिक रिकॉर्ड। 28 सितंबर को 38.1 °C, 29 सितंबर को 37.5 °C, और 30 सितंबर को अधिकतम 36 °C तक गिरावट आती रही, लेकिन न्यूनतम तापमान 27‑28 °C के बीच रह गया, जिससे रातों‑रात भी गरमी महसूस हुई। उच्च आर्द्रता (84 %) और हवा का दबाव (100.4 kPa) मिलकर ‘गरम‑बरफ़’ जैसी स्थिति पैदा कर रहे थे।
बारिश का अचानक आना और उसका प्रभाव
सुबह 6:30 बजे के बाद, दिल्ली‑एनसीआर में बारिश ने शहर भर में जलभराव कर दिया। ज़खीरा अंडरपास सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ; पानी की लहरें गाड़ियों को रोकने लगीं, और कई कम्यूटर्स को वैकल्पिक मार्ग अपनाना पड़ा। उसी दौरान इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा) पर भी लाइट‑टू‑हेवी रेन के कारण टेरेन पर जाम बन गया।
इंडिगो एयर्स (इंडिगो एयर्स) ने अपनी सोशल‑मीडिया पर कहा, “दिल्ली में तेज़ बारिश के कारण उड़ानों में देरी हो सकती है, कृपया यात्रियों को अतिरिक्त समय निकालने की सलाह देते हैं।” उसी तरह एयर इंडिया (एयर इंडिया) ने यात्रियों को “फ्लाइट स्टेटस चेक करने और धीमी ट्रैफिक के कारण अतिरिक्त समय जोड़ने” का निर्देश दिया।
त्योहारों पर पड़ता असर
बारिश ने दुषहरा और दुर्गा पूजा के खुले मेले‑जगहों को धक्का दिया। कई पंडाल में ध्वनि‑प्रकाश व्यवस्था ठप हो गई, और जुलूस को अल्पकालिक रूप से रोकना पड़ा। आयोजक परिषद ने बताया कि 30 सितंबर को ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी होने के बाद, स्थानीय प्राधिकारी ने जैल‑रहाई क्षेत्रों में भी भीड़‑भाड़ को नियंत्रण में रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस तैनात कर दी।
हालांकि, मौसम वैज्ञानिकों ने कहा कि हल्की‑से‑भारी बारिश के बाद वायु‑गुणवत्ता में सुधार देखेगा; ए़क्यूआई 92 तक गिर गया, PM2.5 38 µg/m³ और PM10 90 µg/m³ पर स्थिर रहा।
स्थानीय अधिकारी और जनता की प्रतिक्रियाएँ
दिल्ली के मौसम विभाग ने बताया कि ‘थंडर इन विटिनिटी’ वाले सिस्टम ने उत्तर हरियाणा के ऊपर 3.1 किमी की उँचाई पर साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनाया है, जिससे मौसम में नमी का संचार बढ़ा। इस सिस्टम के कारण 15 km/h की साउथ‑ईस्टर्न हवाएँ और 30‑50 km/h के गजुटी हवाएँ प्रचलित हैं।
नागरिकों ने सोशल‑मीडिया पर अपने अनुभव शेयर किए—किसी ने कहा, “हवा के साथ मज़े की बारिश, लेकिन ट्रैफिक बिलकुल जाम।” जबकि एक पर्यावरण कार्यकर्ता ने लिखा, “बारिश ने धूल को दबा दिया, वायु‑गुणवत्ता सुधरी, पर अस्थायी जलभराव के कारण कई क्षेत्रों में जल‑अभाव की चिंता बनी रहेगी।”
आगे का मौसम‑प्रवर्तन
इण्डिया मीटियोरोलॉजिकल डिपार्टमेंट की आगामी प्रोजेक्शन के अनुसार, 1 अक्टूबर को धूप छाएगी, लेकिन 2 अक्टूबर से हल्की‑बारीश फिर से शुरू होगी। 4‑5 अक्टूबर में हल्की‑बारीश के साथ तापमान 33‑35 °C के बीच रहेगा, जबकि सप्ताह के अंत में (7‑8 अक्टूबर) न्यूनतम तापमान 25 °C तक गिरने का अनुमान है।
इस प्रकार, निकट भविष्य में दुगुनी चुनौतियों का सामना – बारिश‑संबंधी ट्रैफ़िक जाम और त्योहार‑क्रम के बदलाव – दोनों को संतुलित करने के लिए शहर को तत्पर रहना पड़ेगा।
क्या किया जा सकता है? विशेषज्ञों की सलाह
वातावरण विज्ञान में विशेषज्ञ डॉ. अरविंद कुमार (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, दिल्ली) ने कहा, “बारिश के बाद निचली सड़कों को साफ‑सफ़ाई के लिए अतिरिक्त बर्स्ट स्फीयर करना चाहिए, ताकि जल‑जमाव कम हो। साथ ही, खुले पंडाल के लिए वैकल्पिक मोटी‑पलास्टिक छतें लगवाना बेहतर रहेगा।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि “दिल्ली की जल‑प्रबंधन योजना को मौसमी बदलावों के अनुसार तेज़ी से अपडेट करना आवश्यक है।”

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बारिश के कारण एयरलाइन यात्रा में कितना देरी हो सकती है?
इंडिगो और एयर इंडिया दोनों ने कहा है कि वर्तमान में 30‑45 मिनिट तक की देरी सामान्य है। बोरिंग ट्रैफ़िक और पायलट टर्न‑अराउंड के कारण कभी‑कभी 1‑2 घंटे तक का अंतराल भी हो सकता है, इसलिए यात्रियों को अतिरिक्त समय रखने की सलाह दी जाती है।
दुर्गा पूजा के पंडालों पर जलभराव से कैसे बचा जा सकता है?
स्थानीय प्रशासन ने पानी निकासी के लिए अतिरिक्त पंप लगाने की घोषणा की है। साथ ही आयोजकों को पंडाल के नीचे जलरोक (ड्रेन) बनाने, और टेंट के चारों ओर रेत या सीवेज ग्रिड बिछाने की सलाह दी गई है। ये उपाय अल्पकालिक बाढ़ को कम कर सकते हैं।
वायु‑गुणवत्ता पर बारिश का क्या असर पड़ा?
बारिश के बाद ए़क्यूआई 92 पर गिरा, जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है। पीएम2.5 38 µg/m³ और पीएम10 90 µg/m³ पर स्थिर रहे, जिससे स्वास्थ्य के लिहाज से सांस लेना आसान हो गया। लेकिन यदि बाद में तापमान बढ़ेगा तो धुंध फिर से बढ़ सकती है।
आगामी दिनों में बारिश की संभावना कितनी है?
इंडिया मीटियोरोलॉजिकल विभाग ने बताया है कि 1 अक्टूबर को धूप रहनी है, लेकिन 2‑4 अक्टूबर के बीच हल्की‑बारीश की संभावना 60‑70 % है। इसके बाद 5‑6 अक्टूबर में फिर से मध्यम बारिश के संकेत हैं।
क्या नागरिकों को कोई विशेष सावधानी बरतनी चाहिए?
आँखों में पानी या इलेक्ट्रिक उपकरणों के साथ न चलें, जलभराव वाले क्षेत्रों से बचें, और ट्रैफ़िक जाम के कारण सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने से पहले ईआरटीआर (रियल‑टाइम) अपडेट चेक करें। साथ ही, पीने के पानी को सुरक्षित रखने के लिये बोतलबंद पानी रखें।
10 टिप्पणियाँ
Himanshu Sanduja
दिल्ली के लोगों ने गर्मी के अंत का इंतजार किया था, फिर भी अचानक बरसात ने राहत दी। जलभराव ने ट्रैफ़िक को तोड़ दिया, लेकिन दीर्घकालिक वायु‑गुणवत्ता में सुधार देखा गया। उम्मीद है कि प्रशासन जल निकासी के लिए ठोस कदम उठाएगा। साथ ही, दुर्गा पूजा‑दुशहरा के कार्यक्रमों को भी सुरक्षित रूप से आयोजित किया जाएगा।
Kiran Singh
वाह सही कहा! 😊
Trupti Jain
बारिश ने दिल्ली में धूल को ढँक दिया, जिससे ए़क्यूआई स्तर स्पष्ट रूप से गिरा है। लेकिन जलभराव की समस्याएँ अभी भी कई स्थानीयताओं में परिलक्षित हो रही हैं। विशेषकर ज़खीरा अंडरपास जैसी जगहों में सड़कों के नीचे पानी जमा हो जाता है। इस स्थिति से बचने के लिए निकासी के लिए अतिरिक्त पंप स्थापित किए जाने चाहिए। पंडालों के नीचे जलरोधी परत लगाना भी एक व्यावहारिक उपाय हो सकता है। एयरलाइन संचालन पर बरसात के प्रभाव को न्यूनतम रखने हेतु रनवे की सफ़ाई बढ़ानी होगी। ट्रैफ़िक नियंत्रण के लिए वैकल्पिक मार्ग और रीयल‑टाईम अपडेट आवश्यक हैं। नागरिकों को भी अपनी यात्रा योजनाओं में अतिरिक्त समय जोड़ना चाहिए। वायु‑गुणवत्ता में सुधार देख कर स्वास्थ्य विभाग को सार्वजनिक जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देना चाहिए। आगामी प्रोजेक्शन के अनुसार, 1 अक्टूबर को धूप रहेगी, पर 2‑4 अक्टूबर में हल्की‑बारीश की संभावना है। इस चक्र को देखते हुए, जल‑प्रबंधन योजना को मौसमी बदलावों के अनुसार अपडेट करना आवश्यक है। दीर्घकालिक समाधान में हरियाणा‑दिल्ली के बीच सिंचाई जल की सामूहिक उपयोग रणनीति अपनाई जा सकती है। साथ ही, खुले मेले‑जगहों में अस्थायी ड्रेन निर्माण से अचानक जलभराव को रोका जा सकता है। स्थानीय प्रशासन को भी आपातकालीन जल‑निकासी के लिए नागरिक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण देना सोचनीय है। अंत में, जनता को चाहिए कि जल‑स्रोतों की सफ़ाई में सहयोग दे और पर्यावरणीय जिम्मेदारी अपनाए।
deepika balodi
जलनिकासी के लिए टैंकों की जगह ग्रेट्स लगाना तेज़ समाधान हो सकता है। ये उपाय भविष्य की बारिश में मदद करेंगे।
Priya Patil
बारिश के कारण कुछ क्षेत्रों में पानी की कमी भी भय बना रहता है, क्योंकि कई जगहों पर पानी के टैंक भर नहीं पाते। इसलिए स्थानीय अधिकारियों को पानी के वितरण को बेहतर प्रबंधित करने की जरूरत है। साथ ही, सार्वजनिक स्थल पर जल‑संकलन प्रणालियों को स्थापित कर भविष्य की बाढ़ को कम किया जा सकता है।
Rashi Jaiswal
बिलकुल सही कहा यार, जलसंकलन से ना सिर्फ़ बापडाव फॉल्ट कम होगी, बल्कि पानी की कमी भी दूर होगी। थोड़ी सी प्लानिंग से सब बेस्ट हो सके है।
Maneesh Rajput Thakur
सिर्फ मौसम ही नहीं, बल्कि कुछ बड़े कॉरपोरेट्स भी बारिश के टाइम पर ट्रैफिक जाम का फायदा उठाते हैं, क्योंकि वे विज्ञापनों की कीमतें बढ़ा देते हैं। इस सिलसिले में सरकारी एजेंसियों को पारदर्शी होना चाहिए, नहीं तो लोकल लोग सतत असुविधा झेलते रहेंगे।
ONE AGRI
जब बारिश आती है तो शहर के हर कोने में एक अजीब सा सन्नाटा छा जाता है, जैसे प्रकृति ने अपने हृदय का राज़ फुसफुसाया हो। लेकिन फिर भी, जलभराव की वजह से कई परिवार अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में अड़चनें face करते हैं। ये न सिर्फ़ ट्रैफ़िक की जाम को बढ़ाता है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन जाता है। मैं मानता हूँ कि प्रशासन को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, नहीं तो लोगों की थकान और भी बढ़ जाएगी। साथ ही, इस मौसम में धूल‑धुंध के कम होने से अस्थायी राहत मिलती है, पर स्थायी समाधान की कमी कहीं पर निराशा लाती है।
fatima blakemore
मौसम की ये अटूट लहरें हमें सिखाती हैं कि परिवर्तन ही स्थायी है, पर हमें अपने फैसलों में स्थिरता लानी चाहिए। जीवन में छोटे‑छोटे बदलाव, जैसे जल‑संकलन, बड़े बदलावों की नींव बनते हैं।
Anurag Narayan Rai
वर्तमान में दिल्ली में बारिश के साथ कई नई समस्याएँ उत्पन्न हो रही हैं, जैसे कि सड़कों की नमी से इलेक्ट्रिकल उपकरणों की क्षति और सार्वजनिक परिवहन में देरी। हालांकि, इस मौसमी बदलाव से वायु‑गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार देखे गए हैं, जो श्वसन रोगों के मरीजों के लिए राहत का कारण बन सकता है। प्रशासन को चाहिए कि वे इस अवसर का उपयोग करके जल‑निकासी प्रणालियों को मजबूत करें और नियमित रूप से जल‑स्रोतों की सफ़ाई करें। साथ ही, लोग भी अपने घरों में जल‑संकलन टैंक लगाकर भविष्य में संभावित कमी से बच सकते हैं। यह सामूहिक प्रयास न सिर्फ़ पर्यावरण को बचाएगा, बल्कि सामाजिक सुरक्षा को भी बढ़ाएगा।