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रिलायंस अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने चौथे सीधे वर्ष में FY24 के लिए वेतन नहीं लिया, COVID-वर्ष के प्रोटोकॉल का पालन किया

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रिलायंस अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने चौथे सीधे वर्ष में FY24 के लिए वेतन नहीं लिया, COVID-वर्ष के प्रोटोकॉल का पालन किया
  • अग॰, 8 2024
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

मुकेश अंबानी का चौथे वर्ष का अनूठा निर्णय

रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी ने वित्तीय वर्ष 2024 (FY24) के लिए भी अपना वेतन न लेने का निर्णय किया है। यह लगातार चौथा वर्ष है जब उन्होंने COVID-19 महामारी के दौरान शुरू किए गए प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वेतन नहीं लिया है। इस निर्णय के पीछे उनकी सोच कंपनी की दीर्घकालिक वृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करना है।

COVID-19 महामारी के प्रोटोकॉल के तहत

जब 2020 में COVID-19 महामारी की शुरुआत हुई थी, उस समय कई कंपनियां वित्तीय संकट का सामना कर रही थीं। ऐसे में मुकेश अंबानी ने अपने वेतन को छोड़ने का निर्णय लिया और यह सुनिश्चित करना चाहा कि कंपनी के संसाधन सही तरीके से उपयोग किए जाएं। FY 2008-09 से FY 2019-20 तक उन्होंने अपने वार्षिक वेतन को 15 करोड़ रुपये पर सीमित रखा था, परन्तु महामारी के बाद से उन्होंने वेतन, भत्ते, सुविधाएं और सेवानिवृत्ति लाभ ग्रहण नहीं किए।

अन्य प्रबंधन भत्ते

मुकेश अंबानी भले ही वेतन न लें, लेकिन वे व्यवसाय संबंधित यात्रा, ठहराव, संचार खर्च और अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा के लिए पुनर्भुगतान के हकदार हैं। यह उनके प्रबंधन शैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसमें वे कंपनी के लाभ और संसाधनों का सही और संवेदनशील उपयोग करते हैं।

अंबानी परिवार की भूमिका

मुकेश अंबानी के बच्चों- आकाश, ईशा और अनंत को अक्टूबर 2023 में बोर्ड में शामिल किया गया था। उन्हें बैठने का शुल्क और एक कमीशन प्राप्त होता है। यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि अगली पीढ़ी भी कंपनी के प्रबंधन के साथ सक्रिय रूप से जुड़ी रहे और जिम्मेदारियों को समझे।

अन्य बोर्ड सदस्यों का पारिश्रमिक

अन्य बोर्ड सदस्यों, जैसे कि निखिल और हितल मेसवानी, का पारिश्रमिक महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा है। यह दर्शाता है कि कंपनी अपने प्रमुख सदस्यों के योगदान को मान्यता देती है और उनकी मेहनत का उचित मूल्यांकन करती है।

अंबानी का निर्णय और इसके प्रभाव

अंबानी का निर्णय और इसके प्रभाव

मुकेश अंबानी का वेतन न लेने का निर्णय ना केवल कंपनी के आर्थिक स्थिरता के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह एक मजबूत उदाहरण भी स्थापित करता है कि कैसे एक नेता जरूरतमंद समय में कंपनी के हितों को अपने व्यक्तिगत लाभ से ऊपर रख सकता है। यह उनके नेतृत्व के प्रति निष्ठा और कंपनी के प्रति उनकी समर्पणता को दर्शाता है।

आर्थिक चुनौतियों और भविष्य की योजना

आर्थिक चुनौतियों और भविष्य की योजना

जब पूरी दुनिया आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इन परिस्थितियों का सामना करने के लिए एक मजबूत रणनीति तैयार की है। मुकेश अंबानी के इस निर्णय ने कंपनी के कर्मचारियों और निवेशकों को आत्मविश्वास दिया है कि कंपनी सही दिशा में अग्रसर है।

संवर्धन और स्थिरता

कंपनी की दीर्घकालिक वृद्धि और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, प्रबंधन ने कई योजनाएं बनाई हैं जो आने वाले वर्षों में कंपनी की स्थिति को मजबूत करेंगी। इसमें नवाचार, तकनीकी उन्नति और अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में विस्तार शामिल है।

वित्तीय वर्ष 2024 के लिए उद्यमिता योजना

वित्तीय वर्ष 2024 के लिए उद्यमिता योजना

मुकेश अंबानी और उनकी टीम ने वित्तीय वर्ष 2024 के लिए एक विस्तृत उद्यमिता योजना बनाई है। इस योजना में नए व्यापारिक अवसरों की पहचान, बाजार के रुझानों का विश्लेषण, और लगातार बदलती आर्थिक परिस्थितियों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

नवाचार का महत्व

नवाचार और तकनीकी उन्नति के बिना किसी भी कंपनी की दीर्घकालिक सफलता असंभव है। रिलायंस इंडस्ट्रीज इसमें भी अग्रणी रही है और आने वाले समय में भी रहेगी। कंपनी ने नवाचार को अपने व्यापारिक मॉडल का अभिन्न हिस्सा बनाया है और यह सुनिश्चित किया है कि वे अपने प्रतिस्पर्धियों से हमेशा एक कदम आगे रहें।

मुकेश अंबानी का यह निर्णय एक महत्वपूर्ण संदर्भ स्थापित करता है जिसमें एक नेता अपने व्यक्तिगत लाभों को त्याग कर कंपनी और इसके हितधारकों के लाभों को प्राथमिकता देता है।

Divya B
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Divya B

8 टिप्पणियाँ

Dharmendra Pal

Dharmendra Pal

मुकेश अंबानी ने वेतन न लेने का निर्णय वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देता है। यह नीति 2020 के कोविड संकट के दौरान शुरू हुई थी। कंपनी ने इस कदम को कर्मचारियों की सुरक्षा के साथ जोड़ा। वेतन न लेने से अनावश्यक खर्च घटता है। इससे लाभांश में वृद्धि की संभावना बढ़ती है। इस प्रथा ने शेयरधारकों को भरोसा दिलाया है। बोर्ड ने इस निर्णय को रणनीतिक माना है। अंबानी की व्यक्तिगत आय में कमी कंपनी के पूंजी संरचना को मजबूत करती है। प्रबंधन खर्च में कटौतियों को प्राथमिकता देता है। यह कदम वित्तीय वर्ष के बजट को संतुलित रखने में मदद करता है। निवेशकों को दीर्घकालिक लाभ के लिए संकेत मिलता है। इस कदम की तुलना अन्य भारतीय समूहों से की जा सकती है। कई कंपनियों ने समान उपाय अपनाए हैं लेकिन अंबानी के हिस्से में अधिक दृढ़ता दिखती है। यह दिखाता है कि नेता कंपनी के हित को व्यक्तिगत लाभ से ऊपर रखता है। अंत में वित्तीय अनुशासन का यह उदाहरण उद्योग में मानक स्थापित कर सकता है।

Balaji Venkatraman

Balaji Venkatraman

ऐसे नेता को देखकर समाज को नैतिक दिशा मिलती है। व्यक्तिगत लाभ की बजाय सार्वजनिक कल्याण को प्राथमिकता देना सच्ची नेतृत्व की पहचान है। यह व्यवहार युवा पीढ़ी में जिम्मेदारी की भावना जगाएगा।

Tushar Kumbhare

Tushar Kumbhare

वाह! अंबानी दादा की सोच वाकई में प्रेरणादायक है 😎
जैसे ही हम इस तरह की पहल देखते हैं, टीम की ऊर्जा बढ़ जाती है 🚀
आइए हम भी अपने छोटे स्तर पर लागत बचत को अपनाएँ ताकि बड़ा असर पड़े 🌟

Arvind Singh

Arvind Singh

अरे नहीं, यही तो सबको पता था। पेन से लिखी कहानी जैसे है कि वेतन नहीं लेना ही इम्यूनिटी बन गया है। अब अगले साल से हर CEO को इस 'गौरवपूर्ण' नियम का पालन करना चाहिए।

Vidyut Bhasin

Vidyut Bhasin

एक और गहरी बात: जब नेता खुद पर खर्च नहीं करता, तो कंपनी का दायित्व भी हल्का हो जाता है। यह सिद्धान्त शायद अस्तित्ववादी अर्थशास्त्र का नया अध्याय होगा। लेकिन वास्तविकता में यह सिर्फ एक PR चाल हो सकती है।

nihal bagwan

nihal bagwan

देश के सर्वोच्च हित के लिए ऐसे उद्यमी की बिनवेतन नीति को सभी को समर्थन देना चाहिए।

Arjun Sharma

Arjun Sharma

देखो भाई लोग, अंबानी का वेतन न लेना एक हाई-लेवल कॉर्पोरेट गवर्नेंस स्ट्रेटेजी है। इसका इम्पैक्ट इकोसिस्टम में रिसोर्स अलोकेशन को ऑप्टिमाइज़ करेगा। लेकिन रिलायंस को भी ध्यान रखना पड़ेगा कि इस मोड को स्केलेबल बनाया जाए। आखिर कंपनी का कोर बेंचमार्किंग सिर्फ इमेज नहीं, पर रियल ROI भी होना चाहिए।

Sanjit Mondal

Sanjit Mondal

समझदार विश्लेषण के लिये धन्यवाद 😊
अंबानी जी की यह पहल वास्तव में शेयरधारकों के भरोसे को बढ़ाती है। वित्तीय स्थिरता को सुदृढ़ करने के लिए ऐसे कदम आवश्यक हैं। यह नीति अन्य बड़े समूहों को भी समान रूप से अपनाने के लिये प्रेरित कर सकती है।

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