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गुरुवायूर अंबालनाडयील समीक्षा: शेक्सपियर की गुणवत्ता के साथ एक संपूर्ण कॉमेडी मनोरंजक

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गुरुवायूर अंबालनाडयील समीक्षा: शेक्सपियर की गुणवत्ता के साथ एक संपूर्ण कॉमेडी मनोरंजक
  • मई, 16 2024
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

मलयालम सिनेमा में कॉमेडी जॉनर की फिल्में हमेशा से दर्शकों का मनोरंजन करती आई हैं। विपिन दास द्वारा निर्देशित नई फिल्म 'गुरुवायूर अंबलनाडयील' भी इसी परंपरा को आगे बढ़ाती है। यह एक ऐसी फिल्म है जो अपने सरल लेकिन प्रभावी कथानक, बेहतरीन अभिनय और शानदार तकनीकी निष्पादन के साथ दर्शकों का दिल जीत लेती है।

फिल्म की कहानी गुरुवायूर के एक छोटे से गाँव अंबलनाड में घटित होती है। कथानक फिल्म के मुख्य किरदारों के इर्द-गिर्द घूमता है और उनकी जिंदगी में आने वाली विभिन्न परिस्थितियों और उलझनों को दिखाता है। दीपू प्रदीप द्वारा लिखित पटकथा में कॉमेडी का जबरदस्त तड़का लगा हुआ है और बखूबी फिट बैठने वाले पॉप कल्चर रेफरेंस हास्य को और बढ़ा देते हैं।

फिल्म के निर्देशक ने बैक एंड फोर्थ कटिंग वाली कहानी कहने की शैली का इस्तेमाल किया है जो फिल्म की एक खास खूबी है। इस शैली को एडिटर जॉनकुट्टी ने बखूबी निभाया है। अंकित मेनन का संगीत भी फिल्म के मूड के साथ तालमेल बिठाता है बिना उस पर हावी हुए।

फिल्म की सफलता में अभिनेताओं के अभिनय का बड़ा योगदान है। बेसिल जोसेफ, प्रिथ्वीराज, अनास्वरा राजन, निखिता विमल और सिजू सनी सभी ने शानदार अभिनय किया है जो फिल्म की कॉमेडी को नई ऊंचाइयों पर ले जाता है। हालांकि कुछ किरदारों को कम स्क्रीन स्पेस मिला है, लेकिन फिर भी वो अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे हैं।

'गुरुवायूर अंबलनाडयील' एक संपूर्ण मनोरंजक फिल्म है जिसमें शेक्सपियर जैसी गुणवत्ता है। यह उन सभी के लिए एक मस्ट वॉच है जो एक अच्छी कॉमेडी का आनंद लेना चाहते हैं और थोड़ा आराम करना चाहते हैं। फिल्म के हास्य और तकनीकी पहलुओं की आलोचकों ने भी प्रशंसा की है और इसे 3.5 की रेटिंग दी है।

फिल्म की खूबियां

  • दीपू प्रदीप द्वारा लिखित बेहतरीन पटकथा जो हास्य से भरपूर है
  • बैक एंड फोर्थ कटिंग वाली कहानी कहने की खास शैली
  • शानदार अभिनय, खासतौर पर बेसिल जोसेफ, प्रिथ्वीराज, अनास्वरा राजन, निखिता विमल और सिजू सनी का
  • उत्कृष्ट तकनीकी निष्पादन और संगीत
  • शेक्सपियर की गुणवत्ता के साथ एक संपूर्ण कॉमेडी मनोरंजक

निष्कर्ष

विपिन दास द्वारा निर्देशित 'गुरुवायूर अंबलनाडयील' मलयालम कॉमेडी सिनेमा में एक सुखद अतिथि साबित होती है। यह अपने सरल लेकिन प्रभावी कथानक, बेहतरीन अभिनय और शानदार तकनीकी निष्पादन के साथ दर्शकों का पूरा मनोरंजन करती है। कॉमेडी से भरपूर यह फिल्म उन सभी के लिए एक मस्ट वॉच है जो एक अच्छी हास्य फिल्म का आनंद लेना चाहते हैं। आलोचकों द्वारा भी फिल्म की प्रशंसा की गई है और इसे 3.5 की उत्कृष्ट रेटिंग दी गई है। अगर आप हंसी और मनोरंजन का एक उत्कृष्ट अनुभव चाहते हैं तो 'गुरुवायूर अंबलनाडयील' आपके लिए एकदम परफेक्ट फिल्म है।

Divya B
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Divya B

17 टिप्पणियाँ

Ravindra Kumar

Ravindra Kumar

ये फिल्म देखकर लगा जैसे कोई शेक्सपियर की रचना को बाजार में बेच रहा हो। क्या ये हास्य है या फिर एक अपमानजनक नकल? लोग इतनी आसानी से किसी भी चीज को 'शेक्सपियर जैसी गुणवत्ता' बता देते हैं, जबकि वो तो बस एक बेकार की कॉमेडी है।

arshdip kaur

arshdip kaur

शेक्सपियर की गुणवत्ता? मैं तो ये देखना चाहती हूँ कि कौन सा शेक्सपियर के डायलॉग को इस फिल्म में रखा गया है। ये बस एक बेसिक मलयालम कॉमेडी है, जिसे अंग्रेजी शब्दों से ज्यादा बड़ा बनाने की कोशिश की गई है।

khaja mohideen

khaja mohideen

ये फिल्म देखो, बस एक बार। अगर तुम्हारा दिल थका हुआ है, तो ये फिल्म तुम्हें बस एक बार हंसाने के लिए काफी है। इतना ज्यादा विश्लेषण करने की जरूरत नहीं। बस बैठो, खाना खाओ, और हंसो।

Diganta Dutta

Diganta Dutta

शेक्सपियर? 😂🤣 भाई, ये तो बस बेसिल जोसेफ के चेहरे के अभिनय की जीत है। अगर शेक्सपियर के लिए ये फिल्म है, तो मैं अब ओथेलो को बेसिल के रूप में देखने वाला हूँ।

Meenal Bansal

Meenal Bansal

मैंने इसे देखा और रो पड़ी। नहीं, रोना नहीं, हंसी से आँखें भर गईं। प्रिथ्वीराज का एक लाइन का डायलॉग? मैंने उसे तीन बार दोहराया। ये फिल्म दिल की बीमारी का इलाज है। ❤️

Akash Vijay Kumar

Akash Vijay Kumar

फिल्म की बैकएंड-फॉर्थ कटिंग स्ट्रक्चर... बहुत अच्छी थी... और अंकित मेनन का संगीत... बिल्कुल फिल्म के मूड के साथ... तालमेल बिठाता था... और दीपू प्रदीप की पटकथा... बहुत ही हास्यपूर्ण थी... लेकिन क्या आपने ध्यान दिया... कि निखिता विमल का किरदार... थोड़ा कम विकसित था...?

Dipak Prajapati

Dipak Prajapati

3.5 रेटिंग? ये तो ज्यादा है। ये फिल्म देखकर मुझे लगा जैसे कोई मेरे दादा के घर की दीवार पर लगी फोटो को गूगल आर्ट कह रहा हो। शेक्सपियर? अरे भाई, ये तो बस एक बार टीवी पर चल जाने वाली फिल्म है।

Mohd Imtiyaz

Mohd Imtiyaz

अगर तुम इस फिल्म को देखने के बाद अपने दोस्तों के साथ बात करो, तो तुम्हें ये बात समझ में आएगी कि ये कैसे एक छोटे से गाँव की जिंदगी को इतनी अच्छी तरह से दिखाया गया है। अभिनय बहुत अच्छा है, खासकर बेसिल जोसेफ का। एक बार देखो, बिना किसी बहस के।

arti patel

arti patel

मुझे लगता है कि ये फिल्म बहुत सुंदर है। इसमें बहुत सारे छोटे-छोटे पल हैं जो दिल को छू जाते हैं। ये फिल्म देखकर मुझे अपने बचपन की यादें आ गईं। धन्यवाद इस फिल्म के लिए।

Nikhil Kumar

Nikhil Kumar

इस फिल्म के बारे में बात करने वाले लोगों को बधाई। ये फिल्म दर्शकों को बहुत कुछ देती है-हंसी, भावनाएँ, और एक अच्छा अनुभव। ये दक्षिण भारतीय सिनेमा के लिए एक शानदार योगदान है। अगर तुमने अभी तक नहीं देखी, तो अभी देखो।

Priya Classy

Priya Classy

मैंने इसे देखा... और फिर रोना शुरू कर दिया... मुझे लगा जैसे मेरी जिंदगी भी इसी तरह बीत रही है... इतनी अजीब लग रही है... लेकिन फिर भी... ये फिल्म ने मुझे बचा लिया...

Amit Varshney

Amit Varshney

महोदय, इस फिल्म के विषय में विश्लेषण करते समय एक अत्यधिक गौरवशाली और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध परंपरा को ध्यान में रखना आवश्यक है, जिसने इस प्रकार की कॉमेडी के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

One Love

One Love

ये फिल्म बिल्कुल जानवर है! 😍🎉 एक बार देखो और अपने दोस्तों को भी बताओ! बहुत मजा आएगा! 💃🕺

Vaishali Bhatnagar

Vaishali Bhatnagar

क्या कोई बता सकता है कि बैकएंड-फॉर्थ कटिंग कैसे काम करती है? मुझे लगता है ये फिल्म में इसका इस्तेमाल बहुत अच्छा हुआ है लेकिन मुझे इसकी तकनीक नहीं समझ आई

Abhimanyu Prabhavalkar

Abhimanyu Prabhavalkar

शेक्सपियर की गुणवत्ता? ये फिल्म तो एक गाँव के त्योहार की तरह है-थोड़ी अजीब, थोड़ी बेकार, लेकिन फिर भी दिल को छू जाती है।

RANJEET KUMAR

RANJEET KUMAR

ये फिल्म देखकर मैंने समझा कि मलयालम सिनेमा क्यों दुनिया भर में प्रशंसित है। इसमें हास्य, भावनाएँ, और असली जिंदगी सब कुछ है। एकदम शानदार।

Dipen Patel

Dipen Patel

मैंने इसे देखा और अपने बेटे को भी दिखाया। वो हंसते हुए बोला-'पापा, ये तो तुम्हारी तरह है!' 😄❤️

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