स्वास्थ्य की चुनौतियों के बावजूद राजसी उत्सव में भागीदारी
ब्रिटेन का राजघराना एक बार फिर इतिहास रचने के लिए तैयार है, क्योंकि किंग चार्ल्स और राजकुमारी केट लंदन में ट्रूपिंग द कलर बर्थडे परेड में भाग लेने जा रहे हैं। इस साल का आयोजन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि किंग चार्ल्स और राजकुमारी दोनों ही गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। लेकिन उनकी संजीवनी और दृढता ने उन्हें इस समारोह में भाग लेने के लिए प्रेरित किया है।
किंग चार्ल्स के लिए कठिन वर्ष
किंग चार्ल्स, जिनकी उम्र अब 75 वर्ष है, को फरवरी माह में कैंसर का पता लगा था। इसके बाद से ही उन्होंने अपने सार्वजनिक कार्यों को सीमित कर दिया है। अपने स्वास्थ्य की गंभीरता को देखते हुए, इस साल वह परंपरागत रूप से घुड़सवारी न करके, गाड़ी में राजकुमारी कमिला के साथ पहुंचेंगे। फिर भी, उनका इस आयोजन में उपस्थित होना एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि कैसे निजी कठिनाइयों के बावजूद वह अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित हैं।
राजकुमारी केट की वापसी
राजकुमारी केट, जो कि 42 वर्ष की हैं, ने भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना किया है। मार्च में उन्हें कैंसर का पता चलने के बाद, उन्होंने जनवरी में पेट की सर्जरी भी कराई थी। इनकी कठिनाईयों के बावजूद, वह लगातार कीमोथेरापी के दौरों से गुजर रही हैं। लेकिन उनके परिवार के साथ इस परेड में भाग लेने की उत्सुकता ने उन्हें इस मौके पर उपस्थित होने के लिए प्रेरित किया है। यह उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति होगी छुट्टियों के मौसम के बाद।
ट्रूपिंग द कलर का महत्व
ट्रूपिंग द कलर एक वार्षिक कार्यक्रम है जिसमें 1,400 सैनिक, 400 संगीतकार, और 242 घोड़े शामिल होते हैं। यह समारोह ब्रिटिश राजघराने के आधिकारिक जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यद्यपि किंग चार्ल्स का वास्तविक जन्मदिन 14 नवंबर को होता है, समारोह को बेहतर मौसम की वजह से जून में मनाया जाता है।
पिछले वर्ष का अनुभव
पिछले वर्ष किंग चार्ल्स ने घुड़सवारी की थी, लेकिन इस बार वह अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के कारण इस परंपरा को त्यागेंगे। फिर भी, उनकी उपस्थिति को लेकर जनता में भारी उत्साह है, और यह समारोह उनके प्रति सम्मान और प्यार के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
समारोह में भागीदारी के प्रतीक
यह आयोजन राजघराने की मजबूती और समर्पण का प्रतीक है। किंग चार्ल्स और राजकुमारी केट की भागीदारी न केवल उनके स्वास्थ्य के प्रति जीत की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे राजघराना अपने कर्तव्यों के प्रति संजीवनी और लगनशील है।
इस साल का ट्रूपिंग द कलर समारोह ब्रिटिश राजघराने के कठिन समय से गुजरने के बावजूद उनके अदम्य सहस और हिम्मत का प्रतीक है। जनता की उम्मीदों और प्यार के बीच यह आयोजन न केवल रोमांचक होगा, बल्कि प्रेरणादायक भी।
15 टिप्पणियाँ
Bharat Singh
बहुत अच्छा हुआ। दिल जीत लिया। ❤️
Sathish Kumar
जब तक दिल दौड़ता है, तब तक कर्तव्य भी दौड़ता है। ये लोग बस एक निशान छोड़ गए हैं कि इंसान क्या कर सकता है।
Mansi Mehta
अरे भाई, अब तो बीमार होकर भी परेड में आना पड़ता है? क्या अब राजघराने का कर्तव्य बीमारी का टेस्ट हो गया? 😏
Sourav Sahoo
ये देखो दोस्तों... एक आदमी जिसने कैंसर का सामना किया, एक महिला जिसे हर दिन दर्द देती है... फिर भी वो लोग निकले। इससे बड़ा क्या हो सकता है? ये बस शो नहीं, ये जिंदगी का संदेश है।
Disha Gulati
ये सब बस एक धोखा है... राजघराना अपने लोगों को भ्रम में डाल रहा है। वो बीमार हैं ना? तो घर पर आराम करें। ये परेड तो बस एक नाटक है जिसे टीवी पर दिखाया जा रहा है। और हाँ, उनकी तस्वीरें भी फिल्टर की हुई हैं।
Sourav Zaman
Honestly, इतना ड्रामा क्यों? ये तो बस एक पुरानी परंपरा है। अगर वो बीमार हैं तो छोड़ दें। अब तो लोग भी इसे रियलिटी शो समझने लगे हैं। और ब्रिटिश राजघराना का क्या असली मतलब है? कोई नहीं जानता।
Avijeet Das
मुझे लगता है कि इस तरह की उपस्थिति सिर्फ एक निशान नहीं, बल्कि एक संदेश है। जब दुनिया भर में लोग अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं, तो देखना कि कोई बीमार होकर भी अपने कर्तव्य को निभा रहा है... ये बहुत बड़ी बात है।
Sachin Kumar
अच्छा तो अब बीमार होने पर भी परेड में आना पड़ता है? शानदार। अब तो हर कोई अपनी बीमारी को ब्रिटिश राजघराने के लिए बलि दे रहा है।
Ramya Dutta
ये बस दिखावा है। बीमार इंसान को बाहर लाकर फोटो खींचवाना। असली देखभाल तो घर पर होनी चाहिए।
Ravindra Kumar
अरे ये तो बस एक नाटक है! ये लोग अपनी बीमारी को लोगों के सामने लाते हैं ताकि लोग उन्हें प्यार करें। फिर भी अगर वो गिर जाएं तो कौन जिम्मेदार होगा? राजघराना? नहीं... जनता होगी।
arshdip kaur
क्या आपने कभी सोचा है कि ये सब बस एक लंबा सपना है? एक ऐसा सपना जिसमें लोग बीमार होकर भी घुड़सवारी करते हैं... और दुनिया उन्हें नायक बना देती है।
khaja mohideen
ये लोग जो बीमार हैं, लेकिन आए हैं... ये दिखाता है कि इंसान की इच्छाशक्ति कितनी ताकतवर हो सकती है। इस दुनिया में हर कोई अपनी लड़ाई लड़ रहा है। ये बस एक और लड़ाई है।
Diganta Dutta
अरे ये तो बस एक ट्रेंड है! अब तो बीमार होकर भी परेड में आना फैशन हो गया है। अगले साल किसी को बीमारी के बाद डांस भी करना पड़ेगा। 🤡
Meenal Bansal
ये देखो... ये लोग जिंदगी के बीच में भी खड़े हैं। ये बस एक बार नहीं... ये दिल की बात है। बहुत बहुत बधाई ❤️🔥
Akash Vijay Kumar
इस तरह की उपस्थिति... जो बीमार हैं, फिर भी आए हैं... यह वास्तव में एक अद्भुत उदाहरण है... जिसे हमें समझना चाहिए... और इसका सम्मान करना चाहिए... क्योंकि यह दर्शाता है कि जीवन का अर्थ क्या है... और कर्तव्य का महत्व क्या है...