साइक्लोन मोंथा ने 28 अक्टूबर, 2025 को शाम 7 बजे आंध्र प्रदेश के कोनासीमा जिला के अंतरवेदी गांव के पास जमीन पर टकराया। तेज हवाओं की गति 90-100 किमी/घंटा और गुस्से के समय 110 किमी/घंटा थी। ये बात भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पुष्टि की। लेकिन जितना तबाही हुई, उससे ज्यादा चिंता की बात ये है कि इस तूफान ने 40 लाख लोगों के घरों को खतरे में डाल दिया। और फिर भी, दो मौतें ही हुईं। ये नियोजित बचाव का जश्न है।
साइक्लोन से पहले जो तैयारियां हुईं, वो बचाने में साबित हुईं
जब आंध्र प्रदेश राज्य आपातकालीन प्रतिक्रिया बल ने 76,000 लोगों को तीन जिलों से निकाला — कोनासीमा, काकिनाडा और उनके आसपास — तो लोगों ने सवाल किया: क्या ये सब जरूरी है? जवाब आज आया: हां। 1,906 आश्रय और 364 स्कूलों को अस्थायी आश्रय बनाया गया। समुद्री मछुआरों को 27 अक्टूबर से बाहर न जाने का आदेश दिया गया। स्कूल-कॉलेज बंद। हवाई अड्डों पर उड़ानें रद्द। रेलवे के 12 ट्रेनें रद्द, 24 देरी से चलीं। ये सब ने एक बात साबित कर दी: जब तैयारी हो, तो तबाही कम होती है।
दो मौतें, लेकिन नुकसान विशाल
चंद्रबाबू नायडू ने 29 अक्टूबर को हैदराबाद में एक बैठक में कहा: "अगर हम अगले दो दिन इसी तरह काम करते रहें, तो लोगों को बहुत राहत मिलेगी। दो लोग साइक्लोन की वजह से मर गए।" ये बात निश्चित है — लेकिन उसके पीछे का नुकसान बड़ा है। 1.2 मिलियन एकड़ धान की फसल बर्बाद। 1,243 बड़े आम और नारियल के पेड़ उखड़ गए। 214 किमी राष्ट्रीय राजमार्ग 16 पानी में डूब गया। 87 ग्रामीण बिजली सबस्टेशन बंद। 417 स्वास्थ्य केंद्र और 896 सरकारी स्कूल नुकसान के शिकार।
विजयवाड़ा और राजामहेंद्री हवाई अड्डों पर 17 उड़ानें रद्द हुईं। बिहार, ओडिशा और तमिलनाडु में भी बारिश के कारण बाढ़ की चेतावनी जारी की गई। नेपाल के कोशी प्रांत और मधेश प्रांत में भी बाढ़ आई — बिराटनगर और जनकपुर में।
बचाव अभियान: राज्य का युद्ध चल रहा है
चंद्रबाबू नायडू ने अपने 25 मंत्रियों को आदेश दिया: अपने अपने जिलों में जाओ। पानी में डूबे गांवों में जाओ। खेतों की तस्वीर खींचो। बिजली वापस आ रही है — 78% घरों में। राज्य ने 1,200 मीट्रिक टन चावल, 3 लाख लीटर पीने का पानी और प्रति परिवार ₹5,000 की राहत राशि जारी की। पंचायती राज मंत्री पवन कल्याण और आईटी मंत्री एन. लोकेश जैसे नेता अभी भी बाढ़ग्रस्त इलाकों में घूम रहे हैं।
राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट 2 नवंबर तक केंद्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष के लिए भेजने का लक्ष्य रखा है। ये राशि बाद में नुकसान की भरपाई के लिए जाएगी। लेकिन अभी तक, लोगों के लिए जरूरी चीजें पहुंच रही हैं। राहत अभियान 1 नवंबर तक जारी रहेगा।
क्या ये सिर्फ एक तूफान था? नहीं, ये एक चेतावनी है
IMD के आंकड़ों के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी में तेज साइक्लोनों की संख्या 2000 के बाद से 37% बढ़ गई है। ये कोई आम बात नहीं। ये जलवायु परिवर्तन का नतीजा है। जब बारिश अचानक बढ़ जाती है, हवाएं तेज हो जाती हैं, समुद्र का तापमान बढ़ जाता है — तो तूफान बड़े और खतरनाक हो जाते हैं।
कल्पना कीजिए: अगर आज की तैयारी न होती, तो शायद 200 लोग मर जाते। ये सिर्फ एक बाढ़ नहीं, ये एक जीत है — जो नियोजित अपार निकालने, जल्दी से चेतावनी देने और स्थानीय अधिकारियों के त्वरित कार्रवाई की वजह से संभव हुई।
अगले कदम: नुकसान का आकलन और भविष्य की तैयारी
अब सवाल ये है: क्या हम इस तरह की आपदाओं के लिए अगली बार भी तैयार रहेंगे? राज्य सरकार ने बाढ़ के बाद सड़कों, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाओं की निर्माण योजना बनानी शुरू कर दी है। लेकिन अगर हम अपने बंदरगाहों के आसपास के बाढ़ के मार्गों को नहीं बदलेंगे, अगर हम नदियों के बाढ़ के आँकड़ों को नहीं समझेंगे, तो अगला साइक्लोन और भी बड़ा हो सकता है।
जिस तरह चंद्रबाबू नायडू ने कहा — "अगले दो दिन इसी तरह काम करेंगे" — उसी तरह अगले दो साल में हमें निर्माण, जलवायु सहनशीलता और आपातकालीन प्रतिक्रिया की नींव डालनी होगी। नहीं तो अगली बार दो मौतें नहीं, बल्कि दो सौ हो सकती हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
साइक्लोन मोंथा से कितने लोग प्रभावित हुए?
लगभग 40 लाख लोग आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों में साइक्लोन के खतरे के दायरे में थे। इनमें से 76,000 लोगों को आश्रयों में स्थानांतरित किया गया। बाढ़ से 1.2 मिलियन एकड़ खेती जमीन, 896 स्कूल, 417 स्वास्थ्य केंद्र और 214 किमी सड़कें प्रभावित हुईं।
क्यों सिर्फ दो मौतें हुईं, जबकि तूफान इतना शक्तिशाली था?
इसका कारण जल्दी और व्यवस्थित निकासी थी। आंध्र प्रदेश सरकार ने 72 घंटे पहले से तैयारी शुरू की। राज्य आपातकालीन बल ने गांव-गांव जाकर लोगों को बचाने के लिए राजी किया। ये एक नियोजित नीति की जीत है — जिसे पिछले साल के साइक्लोन फानी के बाद बनाया गया था।
राहत सामग्री कहां और कैसे वितरित की जा रही है?
1,200 मीट्रिक टन चावल, 3 लाख लीटर पानी और ₹5,000 प्रति परिवार की राहत राशि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष से जारी की जा रही है। ये सामग्री प्रमुख आश्रयों, स्कूलों और अस्थायी अस्पतालों में पहुंचाई जा रही है। स्थानीय पंचायतें और एनजीओ इसके वितरण में सहायता कर रही हैं।
बाढ़ के बाद बिजली और पानी की स्थिति क्या है?
29 अक्टूबर शाम तक, तटीय जिलों में 78% घरों में बिजली की आपूर्ति बहाल हो चुकी थी। पानी की आपूर्ति अभी भी अस्थायी है — खासकर दूरदराज के गांवों में। राज्य सरकार ने वॉटर ट्रकों की तादाद बढ़ा दी है और तालाबों को साफ करने का काम शुरू कर दिया है।
क्या आगे और तूफान का खतरा है?
IMD ने 29-31 अक्टूबर के बीच पश्चिमी बंगाल, झारखंड और बिहार में भारी बारिश की चेतावनी दी है। इसके अलावा, बंगाल की खाड़ी में अगले 15 दिनों में एक और निम्न दबाव क्षेत्र बनने की संभावना है। तटीय जनता को अभी भी चेतावनी पर नजर रखनी चाहिए।
इस आपदा ने जलवायु परिवर्तन के बारे में क्या सिखाया?
IMD के आंकड़े बताते हैं कि बंगाल की खाड़ी में तेज साइक्लोनों की संख्या 2000 के बाद से 37% बढ़ गई है। ये वृद्धि समुद्र के तापमान में वृद्धि और वातावरण में नमी के बढ़ने की वजह से हुई है। अगली बार ये तूफान और भी तेज हो सकता है — इसलिए बाढ़ के लिए निर्माण और नियोजन अब जरूरी है।