केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने डिवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के पूर्व निदेशक धीरज वाधवान को 34,000 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले के मामले में गिरफ्तार किया है। मुंबई में गिरफ्तारी के बाद वाधवान को एक विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
सीबीआई का आरोप है कि वाधवान और उनके भाई कपिल ने मई 2019 से ऋण चुकाने में चूक करके 17 बैंकों के एक समूह के साथ धोखाधड़ी की। एक ऑडिट में पता चला कि DHFL और उसके निदेशकों से जुड़े संबंधित संस्थाओं और व्यक्तियों को ऋण और अग्रिमों के रूप में धन का विपथन किया गया था। इनमें से अधिकांश लेनदेन भूमि और संपत्तियों में निवेश से संबंधित थे।
सीबीआई ने कंपनी पर वित्तीय अनियमितताओं, फंड डायवर्जन, रिकॉर्ड में हेराफेरी और सार्वजनिक धन का उपयोग करके 'कपिल और धीरज वाधवान के लिए संपत्ति उत्पन्न करने' के लिए परिपत्र लेनदेन में शामिल होने का आरोप लगाया है।
देश का सबसे बड़ा बैंकिंग घोटाला
DHFL घोटाला देश के सबसे बड़े बैंकिंग ऋण घोटालों में से एक है। इस मामले में सीबीआई की जांच जारी है। वाधवान बंधुओं पर आरोप है कि उन्होंने DHFL के माध्यम से जुटाए गए सार्वजनिक धन का इस्तेमाल निजी लाभ के लिए किया और बैंकों को धोखा दिया।
जांच एजेंसी के अनुसार, वाधवान बंधुओं ने DHFL के जरिए जुटाए गए करोड़ों रुपये के फंड का इस्तेमाल निजी संपत्तियों और लग्जरी आइटम खरीदने के लिए किया। उन पर बैंकों के पैसे का गबन करने और धोखाधड़ी करने का आरोप है।
बैंकों के लिए बड़ा झटका
DHFL घोटाला उन बैंकों के लिए एक बड़ा झटका है, जिन्होंने कंपनी को ऋण दिया था। इन बैंकों में से ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं, जिनकी वजह से इस घोटाले का असर आम जनता पर भी पड़ेगा।
बैंकों का कहना है कि उन्हें DHFL द्वारा दिए गए ऋण की वसूली में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई मामलों में तो कंपनी ने ऋण लेने के बाद बैंकों से संपर्क तक करना बंद कर दिया था।
नियामकों की भूमिका पर सवाल
DHFL घोटाले ने एक बार फिर से नियामकों की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। आरोप है कि नियामक संस्थाओं ने कंपनी की गतिविधियों पर ध्यान नहीं दिया, जिसके चलते यह घोटाला हो सका।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के घोटालों से बचने के लिए नियामकों को और सख्त कदम उठाने होंगे। उन्हें कंपनियों की गतिविधियों पर नजर रखनी होगी और किसी भी तरह की अनियमितता पर तुरंत कार्रवाई करनी होगी।
DHFL घोटाले का व्यापक असर
DHFL घोटाले का असर सिर्फ बैंकिंग क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। इस घोटाले से पूरी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने की आशंका है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के घोटालों से निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है, जिससे पूरी अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
साथ ही, इस घोटाले से सरकार की साख को भी नुकसान पहुंचा है। विपक्षी दलों ने इस मामले को लेकर सरकार पर निशाना साधा है और उसकी जवाबदेही तय करने की मांग की है।
निष्कर्ष
धीरज वाधवान की गिरफ्तारी DHFL घोटाले में सीबीआई की जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हालांकि, इस मामले की जांच अभी जारी है और कई अहम सवालों के जवाब अभी भी बाकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े और भी खुलासे होंगे।
लेकिन एक बात तो तय है कि DHFL घोटाला भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक बड़ा झटका है। इससे निपटने के लिए सरकार और नियामकों को मिलकर काम करना होगा ताकि भविष्य में इस तरह के घोटालों को रोका जा सके।
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