बाढ़ का नुकसान एक ऐसा आपदा है जो सिर्फ़ भूमि नहीं, बल्कि लाखों लोगों के भविष्य को भी बहा ले जाता है। बाढ़ का नुकसान, जब नदियाँ तटों को छोड़कर आसपास के इलाकों में फैल जाती हैं, तो घर, सड़कें, बिजली और पानी की आपूर्ति भी बंद हो जाती है. यह एक ऐसी घटना है जिसका असर तुरंत और लंबे समय तक दिखता है। इसके साथ ही बारिश के अत्यधिक बढ़ने से लैंडस्लाइड, पहाड़ी इलाकों में मिट्टी और पत्थरों का अचानक नीचे फिसलना भी आम हो गया है। दरजीलीन में 300 मिमी बारिश के बाद जब 18 लोगों की जान गई, तो यह साफ़ हो गया कि बाढ़ का नुकसान अब सिर्फ़ बरसात का नतीजा नहीं, बल्कि जलवायु और बुनियादी ढांचे की निष्क्रियता का भी परिणाम है।
बाढ़ का नुकसान अक्सर आंध्र प्रदेश, भारत के दक्षिणी तट पर स्थित राज्य जहाँ साइक्लोन और बारिश का असर सबसे ज्यादा दिखता है जैसे क्षेत्रों में देखा जाता है। वहाँ साइक्लोन मोंथा के अप्रत्यक्ष प्रभाव से भी बारिश बढ़ गई, जिससे दूर-दराज के इलाकों जैसे आगरा तक के मौसम में बदलाव आ गया। इसी तरह, गुजरात और पश्चिम बंगाल में भी बारिश के बढ़ने से बाढ़ का खतरा बढ़ गया। ये सब घटनाएँ एक ही चेतावनी देती हैं — बाढ़ का नुकसान अब किसी एक राज्य की समस्या नहीं, बल्कि पूरे देश की चुनौती है।
बाढ़ के बाद जो नुकसान होता है, वो सिर्फ़ बाहरी नहीं होता। खेत बह जाते हैं, बच्चे स्कूल छोड़ देते हैं, महिलाएँ घर छोड़कर अस्थायी शिविरों में जाने को मजबूर हो जाती हैं। दरजीलीन में जब पुल टूटे और सड़कें बंद हो गईं, तो बचाव कार्य में देरी हुई। इसी तरह, आंध्र प्रदेश में लाल चेतावनी जारी होने के बाद भी लोगों को बचने का समय नहीं मिला। ये सब घटनाएँ आपको बताती हैं कि बाढ़ का नुकसान तब तक बना रहता है जब तक हम इसे सिर्फ़ एक मौसमी बात नहीं समझने लगते।
इस लिस्टिंग में आपको उन खबरों का संग्रह मिलेगा जो बाढ़ के नुकसान को उसकी असली गहराई से दिखाती हैं — जहाँ जानें लोगों की कीमत, बुनियादी ढांचे की असमर्थता और बदलते मौसम के बीच एक देश की लड़ाई।
साइक्लोन मोंथा ने आंध्र प्रदेश के कोनासीमा जिले में जमीन पर टकराकर दो मौतें दीं, लेकिन 76,000 लोगों के निकासी ने बड़ी आपदा से बचाव किया। चंद्रबाबू नायडू ने बताया कि 1.2 मिलियन एकड़ फसल बर्बाद।
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