साइक्लोन मोंथा, एक तीव्र वायु चक्रवात है जो बंगाल की खाड़ी में बनता है और भारत के पूर्वी तट पर भारी बारिश, तेज हवाओं और बाढ़ का कारण बनता है. इसे उत्तरी हिंद महासागर का चक्रवात भी कहते हैं, जो हर साल अगस्त से नवंबर के बीच भारत और बांग्लादेश के तटों को नुकसान पहुँचाता है।
इस तूफान के दौरान बंगाल की खाड़ी, भारत के पूर्वी तट के ऊपर एक विशाल जलीय क्षेत्र है जहाँ साइक्लोन अक्सर बनते हैं में गहरी निचली हवाएँ बनती हैं, जिससे बादल तेजी से इकट्ठे होते हैं। भारतीय मौसम विभाग, भारत की एकमात्र सरकारी संस्था है जो इन चक्रवातों की निगरानी करती है और 48 घंटे पहले चेतावनी जारी करती है यही कारण है कि ओडिशा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्य अक्सर इसके पहले ही लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने की तैयारी कर लेते हैं। जब साइक्लोन मोंथा जमीन पर आता है, तो यह 100 किमी/घंटा से अधिक की रफ्तार से हवा चलती है, जिससे घर उड़ जाते हैं, बिजली के खंभे गिरते हैं और खेत बह जाते हैं।
इसके अलावा, आपदा प्रबंधन, एक व्यवस्थित प्रक्रिया है जिसमें सरकार, स्थानीय निकाय और नागरिक एक साथ काम करके जान और संपत्ति की रक्षा करते हैं इसके लिए अक्सर अस्पताल, शिविर और राहत सामग्री तैयार की जाती है। आज के समय में जब तक यह तूफान नहीं आता, तब तक लोग अपने घरों को मजबूत करते हैं, बारिश के लिए जल निकासी खुली रखते हैं और आपातकालीन संपर्क नंबर तैयार रखते हैं। जब भी यह चक्रवात आता है, तो लोग अपने बचाव के लिए अपने आसपास की जानकारी को अपडेट रखते हैं।
इस पेज पर आपको साइक्लोन मोंथा के संबंध में ताज़ा अपडेट मिलेंगे—किन जगहों पर बाढ़ आई, किन राज्यों ने आपातकाल घोषित किया, कौन से क्षेत्रों में लोगों को बचाया गया और किस तरह से बचाव कार्य चल रहे हैं। यहाँ आपको सिर्फ़ समाचार नहीं, बल्कि वह जानकारी मिलेगी जो आपकी जिंदगी बचा सकती है।
साइक्लोन मोंथा ने आंध्र प्रदेश के कोनासीमा जिले में जमीन पर टकराकर दो मौतें दीं, लेकिन 76,000 लोगों के निकासी ने बड़ी आपदा से बचाव किया। चंद्रबाबू नायडू ने बताया कि 1.2 मिलियन एकड़ फसल बर्बाद।
साइक्लोन मोंथा आंध्र प्रदेश के तट पर टकराएगा, लेकिन इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव आगरा सहित उत्तरी भारत पर पड़ सकता है। बारिश और तापमान में गिरावट की उम्मीद।
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