जब भारतीय मौसम विभाग ने आंध्र प्रदेश के सात जिलों के लिए लाल चेतावनी जारी की, तो देश के उत्तरी हिस्से में भी लोगों ने सांस रोक ली। साइक्लोन मोंथा अब केवल तटीय इलाकों का मुद्दा नहीं रहा — यह उत्तर प्रदेश के आगरा जैसे शहरों के मौसम को भी बदलने वाला है। यह तब हुआ जब आंध्र प्रदेश के तट पर 28 अक्टूबर, 2025 को लगभग 5:30 बजे शाम से 11:30 बजे रात तक, 95 किमी/घंटा की लगातार हवाएं और 110 किमी/घंटा तक के झोंके दर्ज किए जाने की उम्मीद की गई। लेकिन जो चीज़ ज्यादा चिंता की बात है, वो है इस साइक्लोन का अप्रत्यक्ष असर।
आंध्र प्रदेश में आपातकाल, आगरा में बदलता मौसम
भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, साइक्लोन मोंथा ने 24 अक्टूबर को दक्षिण पूर्व बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव के रूप में शुरू किया, और 25 अक्टूबर को गहरी दबाव में बदल गया। अब यह 28 अक्टूबर को मच्छलीपटनम और कलिंगपट्टनम के बीच, काकिनाडा के पास तट पर टकराने वाला है। लेकिन इसका असर सिर्फ तट तक सीमित नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून ट्रॉक के साथ इसकी अंतर्क्रिया उत्तरी भारत में नमी के प्रवाह को बढ़ाएगी। आगरा में अगले 72 घंटों में बादलों का दबाव बढ़ने की संभावना है — जिससे अचानक बारिश और तापमान में गिरावट हो सकती है।
क्यों खतरनाक है मोंथा?
मोंथा का नाम थाईलैंड ने दिया है — यह विश्व मौसम संगठन के उत्तरी हिंद महासागर साइक्लोन नामकरण कार्यक्रम का हिस्सा है। लेकिन इसका खतरा नाम से नहीं, बल्कि तीव्रता से है। 24 घंटे में 210 मिमी से अधिक बारिश रायलासीमा क्षेत्र में उम्मीद की जा रही है। यह उतना ही खतरनाक है जितना हवा। ऐसे भारी बारिश के बाद जमीन भीग जाती है, और फिर अगले कुछ दिनों में अगर आगरा जैसे शहरों में भी बारिश हो जाए, तो जलनिकास प्रणाली पहले से ही भारी दबाव में होगी।
आंध्र प्रदेश सरकार ने तुरंत दो दिन के लिए स्कूल बंद कर दिए हैं। मछुआरों को समुद्र में जाने से 26 अक्टूबर से मना कर दिया गया है। आंध्र प्रदेश राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल तैयार हैं। लेकिन यहां एक बात अज्ञात है — कितने लोगों को बचाया जा रहा है? कितने अस्पताल तैयार हैं? इन आंकड़ों का अभी तक कोई आधिकारिक अपडेट नहीं आया है।
आगरा के लिए क्या खतरा है?
आगरा में अभी तक कोई आधिकारिक चेतावनी नहीं जारी की गई है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि मोंथा के बाद बंगाल की खाड़ी में नमी का एक लंबा प्रवाह उत्तर की ओर बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि 29 अक्टूबर और 1 नवंबर के बीच आगरा में अचानक बारिश हो सकती है — शायद अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में जो बारिश नहीं हुई, वो अचानक आ जाए। टूरिस्ट जगहों, ताजमहल के आसपास के इलाकों और रेलवे स्टेशनों पर बारिश का असर देखने को मिल सकता है।
यहां तक कि अगर बारिश नहीं होती, तो भी तापमान में 3-4 डिग्री की गिरावट हो सकती है। यह अक्टूबर के अंत में एक अजीब बदलाव है — जब आमतौर पर तापमान बढ़ने लगता है। लोग अभी भी गर्मी के लिए तैयार हैं, लेकिन अचानक ठंड आ जाएगी। बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह खतरा बन सकता है।
इतिहास क्या बताता है?
आंध्र प्रदेश का यह तट इतना खतरनाक क्यों है? क्योंकि यहां अक्टूबर में हर साल साइक्लोन आते हैं। 2014 में हुदहुद ने विशाखापत्तनम को तबाह कर दिया था। 2018 में टिटली ने लाखों लोगों को घरों से बाहर धकेल दिया। 2006 में ओगनी ने गंगा के डेल्टा के निकट बाढ़ की लहरें लगा दीं। इन सबके बाद भी, आंध्र प्रदेश की तटीय आबादी अभी भी अपर्याप्त तैयारी में है।
और अब यह चक्रवात उत्तर की ओर नमी ले जा रहा है। आगरा में अगर बारिश होती है, तो यह उस दिन के लिए नहीं, बल्कि अगले सप्ताह के लिए भी असर डालेगी। नदियां भर जाएंगी, सड़कें बह जाएंगी, और अगर बारिश लगातार चलती है, तो जलनिकास प्रणाली असमर्थ हो जाएगी।
अगला कदम क्या है?
भारतीय मौसम विभाग का अगला अपडेट 26 अक्टूबर, 2025 को दोपहर 2 बजे आएगा। तब तक आगरा के लिए कोई आधिकारिक चेतावनी नहीं होगी। लेकिन लोगों को तैयार रहना चाहिए। घरों में पानी का भंडार रखें। बिजली की आपातकालीन लाइट्स चेक कर लें। अगर बारिश होती है, तो नीचे के मंजिलों से सामान ऊपर उठा लें। बच्चों और बुजुर्गों के लिए गर्म कपड़े तैयार रखें।
यह सिर्फ एक साइक्लोन नहीं है। यह एक चेतावनी है — कि हमारी मौसमी चक्र अब अधिक अनिश्चित हो रहे हैं। और जब एक तटीय राज्य में एक तूफान आता है, तो उसकी छाया पूरे देश में फैल जाती है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
आगरा में साइक्लोन मोंथा का सीधा प्रभाव क्यों नहीं दिख रहा?
साइक्लोन मोंथा का सीधा प्रभाव आगरा पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि यह आंध्र प्रदेश के तट पर ही टकराएगा। लेकिन इसकी नमी और वायु प्रवाह उत्तरी भारत तक पहुंच सकते हैं। इसके कारण आगरा में बादलों का दबाव बढ़ सकता है, तापमान गिर सकता है, और अचानक बारिश हो सकती है। यह अप्रत्यक्ष असर है, लेकिन इसका असर असली है।
आगरा में बारिश की संभावना कितनी है?
भारतीय मौसम विभाग ने अभी तक आगरा के लिए कोई आधिकारिक बारिश की भविष्यवाणी नहीं की है। लेकिन विश्लेषकों के अनुसार, मोंथा के बाद बंगाल की खाड़ी से उत्तर की ओर बढ़ने वाली नमी के कारण 29 अक्टूबर से 1 नवंबर के बीच आगरा में 10-30 मिमी बारिश की संभावना है। यह बारिश अचानक और लंबे समय तक चल सकती है।
मोंथा का नाम क्यों थाईलैंड ने दिया?
उत्तरी हिंद महासागर में साइक्लोनों के लिए नाम विश्व मौसम संगठन के नियमानुसार आठ देशों द्वारा दिए जाते हैं — भारत, बांग्लादेश, मलेशिया, थाईलैंड, स्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार और ओमान। थाईलैंड ने ‘मोंथा’ नाम दिया है, जिसका अर्थ है ‘हाथी’। यह एक सहयोगी प्रणाली है जिसका उद्देश्य नामों का नियमित और समान उपयोग करना है।
आगरा में तापमान में कितनी गिरावट की उम्मीद है?
विशेषज्ञों के अनुसार, मोंथा के बाद उत्तरी भारत में नमी के बढ़ने के कारण आगरा में तापमान 3-4 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। अक्टूबर के अंत में आमतौर पर तापमान बढ़ने लगता है, लेकिन इस बार यह अप्रत्याशित ठंड ला सकता है। बुजुर्गों और बच्चों के लिए यह खतरा बन सकता है।
आंध्र प्रदेश में कितने लोगों को बचाया जा रहा है?
अभी तक कोई आधिकारिक आंकड़ा जारी नहीं किया गया है। लेकिन आंध्र प्रदेश के तटीय क्षेत्रों में लगभग 15 लाख लोग रहते हैं, जिनमें से कई आम आदमी और मछुआरे हैं। आपदा प्रतिक्रिया बलों ने तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन आंकड़ों की कमी के कारण निर्णय धीमे हो रहे हैं।
क्या आगरा में टूरिस्ट स्थलों पर असर होगा?
अगर बारिश होती है, तो ताजमहल के आसपास के इलाकों और रेलवे स्टेशनों पर असर देखने को मिल सकता है। यात्रियों को अपने यात्रा प्लान में लचीलापन रखना चाहिए। बारिश के कारण यातायात बाधित हो सकता है, और घूमने वाले स्थानों पर लंबी लाइनें बन सकती हैं।
16 टिप्पणियाँ
Abhishek Deshpande
अच्छा, तो आगरा में बारिश होगी? ठीक है, लेकिन आंध्र प्रदेश में 210 मिमी बारिश हो रही है-तो आगरा में 10-30 मिमी क्या है? यह तो बस एक छोटी सी बूंदें हैं, जो गर्मी को थोड़ा ठंडा कर देंगी... अगर बारिश होती है। लेकिन विश्लेषकों के अनुसार? अरे भाई, विश्लेषकों का एक टूटा हुआ थर्मामीटर होता है, जो हमेशा गलत बताता है।
vikram yadav
ये सब बातें सुनकर लगता है कि हम सब एक बड़े मौसमी नाटक के अभिनेता हैं। लेकिन आगरा में ताजमहल की चट्टानों को नमी का असर कैसे होगा? ये पत्थर तो 400 साल पुराने हैं-अब तक 100 साइक्लोन देख चुके हैं। ये बारिश तो बस एक नया फोटो ऑप्शन बना देगी।
Tamanna Tanni
बुजुर्गों और बच्चों के लिए गर्म कपड़े तैयार रखें... ये सलाह बहुत अच्छी है। अगर आपके घर में कोई बूढ़ा है, तो उसकी चादर भी चेक कर लें। और बच्चों को गर्म दूध देना न भूलें। ❤️
Rosy Forte
क्या आपने कभी सोचा है कि यह सब एक जलवायु नियंत्रण प्रयोग है? एक गुप्त वैज्ञानिक संगठन ने जानबूझकर नमी के प्रवाह को बदल दिया है-ताकि उत्तरी भारत के लोग अपने अहंकार को छोड़ दें। आगरा के लोग अभी भी सोच रहे हैं कि यह बारिश ‘प्राकृतिक’ है। अरे भाई, जब तक आप इस बात को स्वीकार नहीं करते कि हम अपने अपने अंतर्दृष्टि के बाहर नहीं जा सकते, तब तक आप बस एक अवचेतन भारतीय हैं।
Yogesh Dhakne
मैंने आज सुबह आगरा से एक दोस्त से बात की। उसने कहा कि आज बहुत ताजगी है, और हवा में नमी है। लेकिन बारिश नहीं हुई। तो शायद ये सब बस एक बड़ा धमाका है-जिसका असली असर तो बस एक दिन के लिए होगा। फिर सब वापस गर्मी में आ जाएगा।
kuldeep pandey
अरे भाई, आंध्र प्रदेश में लाल चेतावनी और आगरा में बस एक छोटी सी ठंड? ये तो बस सरकार का एक तरीका है कि लोग डरे रहें... और जब बारिश नहीं होगी, तो वो फिर कहेंगे कि ‘हमने चेतावनी दी थी’। और हम सब फिर से फेसबुक पर शेयर करेंगे।
Hannah John
मोंथा? ये नाम तो थाईलैंड ने दिया है... लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि ये साइक्लोन असल में एक ड्रोन नहीं है? NASA ने इसे भेजा है ताकि हमारे नदियों के जल स्तर को नियंत्रित कर सके। ये सब बारिश और ठंड बस एक धोखा है-वैज्ञानिकों के लिए जो अपने गुप्त प्रोजेक्ट को छिपाना चाहते हैं
dhananjay pagere
आंध्र प्रदेश में 15 लाख लोग खतरे में हैं... लेकिन आगरा में तापमान में 3-4 डिग्री की गिरावट? ये तो बस एक बैंक बैलेंस की तरह है-एक छोटा सा घटाव, जो आपको नहीं लगता... लेकिन अगर ये लगातार चलता रहा, तो आपकी जिंदगी बदल जाएगी।
Shrikant Kakhandaki
मोंथा का नाम थाईलैंड ने दिया? अरे भाई, ये तो चीन की चाल है-थाईलैंड को बेच दिया गया है। असल में ये साइक्लोन चीन का है जो हमारी जलवायु को बदलने की कोशिश कर रहा है। और आगरा में बारिश इसलिए हो रही है क्योंकि वहां ताजमहल के नीचे एक प्राचीन चीनी यंत्र है जो नमी को आकर्षित करता है
bharat varu
दोस्तों, ये सिर्फ एक तूफान नहीं है-ये हमारी जिम्मेदारी का एक अवसर है। अगर आपके घर में पानी का भंडार है, तो उसे शेयर करें। अगर आपके पास बिजली की लाइट है, तो उसे आसपास के लोगों के साथ बांटें। ये देश की ताकत है-जब हम एक-दूसरे के साथ खड़े होते हैं।
Vijayan Jacob
आंध्र प्रदेश के लोगों को बचाने के लिए जो भी किया जा रहा है, वो अच्छा है। लेकिन आगरा में तापमान गिरने की बात सुनकर मुझे लगता है कि हम सब अभी भी एक छोटे शहर के अंदर रहकर दुनिया के बारे में सोच रहे हैं। ये तूफान तो बस एक दर्पण है-जो हमें दिखाता है कि हम कितने अलग-अलग हैं।
Saachi Sharma
गर्म कपड़े तैयार रखो। बस।
shubham pawar
मैंने आज रात ताजमहल की तस्वीर देखी... उसकी चट्टानों पर बूंदें थीं। मैंने सोचा-क्या ये साइक्लोन ने ताजमहल को रोने के लिए मजबूर कर दिया? क्या ये इमारत भी डर रही है? क्या ये बारिश उसके दर्द की आवाज़ है? मैंने आंखें बंद कीं... और एक आवाज़ सुनी... जैसे कोई फुसफुसा रहा हो-'मैं अभी भी यहां हूं'।
Nitin Srivastava
मोंथा का नाम थाईलैंड ने दिया? यह एक निर्वाचित नाम है-जो अंतरराष्ट्रीय जलवायु व्यवस्था के एक अधिकारिक फ्रेमवर्क के अंतर्गत आता है। लेकिन आगरा में बारिश की भविष्यवाणी करने वाले विश्लेषक आमतौर पर एक निर्णायक गुणांक के आधार पर नमी प्रवाह के निर्देशांक का विश्लेषण करते हैं, जिसे जलवायु मॉडलिंग के लिए एक बहु-स्तरीय अल्गोरिथ्म द्वारा अनुमानित किया जाता है। इसलिए, यह एक अप्रत्यक्ष असर है-लेकिन यह एक गणितीय वास्तविकता है।
Nilisha Shah
मैंने आज एक वृद्ध महिला से बात की, जो आगरा के एक छोटे से गांव में रहती है। उन्होंने कहा-'बेटा, मैंने 70 साल तक यहां रहा है। हर अक्टूबर में एक अजीब सी हवा आती है। लेकिन आज वो हवा थोड़ी अलग लग रही है।' मैंने उन्हें गर्म कपड़े दिए। और उनके साथ बैठकर बैठ गया। उनकी आंखों में एक अजीब सी शांति थी। शायद वो जानती थीं कि ये बारिश सिर्फ पानी नहीं है-ये यादें हैं।
Kaviya A
कल रात मैंने अपने बेटे को गर्म दूध पिलाया और उसे बताया कि बारिश होगी... वो बोला 'मम्मी तो बारिश नहीं हो रही है'... मैंने कहा 'हां बेटा, लेकिन तूफान तो आ रहा है'... और फिर उसने मुझे गले लगा लिया... मैं रो पड़ी