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ईरान-अमेरिका परमाणु वार्ता: ओमान में तीसरे दौर की तैयारी, इजरायल की भूमिका की चर्चा तेज

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ईरान-अमेरिका परमाणु वार्ता: ओमान में तीसरे दौर की तैयारी, इजरायल की भूमिका की चर्चा तेज
  • अप्रैल, 21 2025
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

ओमान में फिर आमने-सामने होंगे ईरान-अमेरिका

ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता का तीसरा अहम दौर इसी सप्ताह ओमान में होने जा रहा है। इससे पहले दोनों देश रोम और ओमान में बातचीत के दो राउंड कर चुके हैं। ईरान के परमाणु कार्यक्रम और उसके यूरेनियम संवर्धन को लेकर दुनिया भर में आशंका बनी हुई है कि कहीं इसका इस्तेमाल हथियार बनाने में न होने लगे। अब दोनों देश इसे लेकर सीधी बातचीत का रास्ता खोज रहे हैं।

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बाकाई ने खुलासा किया कि वार्ता में बार-बार खलल डालने की कोशिशें हो रही हैं और इसका जिम्मेदार उन्होंने इजरायल और अमेरिकी 'युद्ध समर्थक धड़ों' को ठहराया। बाकाई का कहना है कि इजरायल कुछ अमेरिकी नेताओं के साथ मिलकर बातचीत को पटरी से उतारने की कोशिश कर रहा है। बाकाई ने ये भी कहा कि अमेरिकी नेतृत्व को अपने भीतर एकजुटता दिखानी पड़ेगी, नहीं तो तमाम कूटनीतिक प्रयास बेकार हो जाएंगे।

इजरायल का रवैया और अमेरिका का लक्ष्य

इजरायल का रवैया और अमेरिका का लक्ष्य

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू खुले तौर पर किसी भी ऐसे समझौते के खिलाफ हैं जिसमें ईरान का पूरा परमाणु तंत्र समाप्त न हो। उनकी मांग है कि जिस तरह लीबिया के साथ किया गया था, उसी तरह ईरान का न केवल सैनिक बल्कि नागरिक परमाणु ढांचा भी पूरी तरह खत्म किया जाए। नेतन्याहू का मानना है कि आधा-अधूरा समझौता ईरान को आगे बढ़ने का मौका देगा। इधर, अमेरिका की रणनीति इससे काफी अलग है। अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के मुताबिक, अमेरिका का फोकस इस बात पर है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम का इस्तेमाल हथियार बनाने में न हो। वे कहते हैं, "हमारी सबसे सख्त शर्त है कि ईरान किसी भी हाल में अपने परमाणु कार्यक्रम से हथियार न बना सके।"

मुश्किल यह है कि दोनों देशों के विरोधाभासी रुख के बीच वार्ता आगे बढ़ रही है। ओमान में इस सप्ताह होने वाला तीसरा राउंड विवाद के तमाम पेचों को सुलझाने की एक और कोशिश होगा। यही वजह है कि दुनिया की नजरें इस बैठक पर टिक गई हैं। अगर इस बार भी बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंचती, तो ईरान के सैन्य इरादों को लेकर संदेह और गहरे हो सकते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल को साफ तौर पर सैन्य कार्रवाई से बचने की सलाह दी थी। ट्रंप ने कहा था कि फिलहाल कूटनीति से समाधान खोजना बेहतर है। इससे साफ दिखता है कि इस पूरे मामले में एक ओर सैन्य दबाव की रणनीति है तो दूसरी ओर बातचीत और समझौते की कोशिशें जारी हैं।

वार्ता के परिणाम चाहे कुछ भी हों, यह दौर इतना तय कर देगा कि ईरान-अमेरिका संबंधों में अगला अध्याय किस दिशा में जाएगा। ओमान की धरती पर दोनों देशों के अधिकारी परमाणु कार्यक्रम को लेकर अब तक सबसे सीधा, खुला और संभावनाओं से भरा संवाद करने जा रहे हैं।

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Divya B
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Divya B

11 टिप्पणियाँ

Sri Prasanna

Sri Prasanna

ईरान‑अमेरिका की परमाणु वार्ता को बिना गहरी नैतिक जाँच के सराहा जाना बड़़ी लापरवाही है। यह पहल इज़राइल की छुपी मंशा को आँकड़ो‑परक तथ्यों से नहीं बल्कि व्यक्तिगत विज़न से ढँक देती है। हम सबको इस खेल की सच्ची प्रेरणा देखनी चाहिए।

Sumitra Nair

Sumitra Nair

महाशयी एवं महोदय, विश्व की शांति की जटिल बहु‑आयामी गाथा में यह वार्ता एक महाकाव्य के सारसदृश उपस्थिती रखती है। जैसा कि दार्शनिक शास्त्रों ने कहा है, मध्य मार्ग ही सच्चा समाधान है। लेकिन वर्तमान में यह मार्ग कई मौलिक बाधाओं से ग्रस्त प्रतीत होता है। 🕊️🕰️

Ashish Pundir

Ashish Pundir

परमाणु वार्ता में वास्तविक प्रगति देखना कठिन है क्योंकि कई पक्षों की अटकलें ही प्राथमिकता बनती हैं।

gaurav rawat

gaurav rawat

भाइयो, चलो मिलके इस मुद्दे पे थोड़ा ध्यान दें, क्यूँकि सबको समझना चाहिए कि नतीजा क्या हो सकता है 😊। थोड़ा आशावादी रहो, कुछ भी हो सके तो शांति जीत लेगी।

Vakiya dinesh Bharvad

Vakiya dinesh Bharvad

भारत की धरोहर हमें सिखाती है कि संवाद ही सबसे बड़ा शांति‑सेतु है। इस वार्ता में भी वही भावना अपनानी चाहिए 🙂।

Aryan Chouhan

Aryan Chouhan

ईरान-अमेरिका की इस बात का तो मज़ाक ही बन गया है, क्योकि सामने वाले लोग बस अपने-अपने एग्रेसिव पॉलिसी पर टिका है, और सब कुछ खींचातानी में बदल दिया। मैं कहूँ तो ये पूरी सीन एसी दिखती है जैसे दो बच्चे धूप में बॉल फेंक रहे हों, पर असल में लाइफ‑डिफ़ेंस की बात है।

Tsering Bhutia

Tsering Bhutia

सभी को यह जानकारी देना उपयोगी होगा कि पिछले वार्तालापों में कौन‑से प्रतिबंध सफल रहे हैं और किन क्षेत्रों में अतिरिक्त पारदर्शिता की जरूरत है। यदि दोनों पक्ष इन बिंदुओं पर भरोसा करके एक-दूसरे को सत्यापित करेंगे तो वार्ता का परिणाम अधिक स्थायी हो सकता है। आशा है कि ओमान का माहौल संवाद को सहज बना देगा।

Narayan TT

Narayan TT

सिद्धांतों का अति‑शौक़ीन ढाँचा यहाँ केवल शून्य को दर्शाता है; वास्तविकता से टकराव अनिवार्य है।

SONALI RAGHBOTRA

SONALI RAGHBOTRA

वर्तमान में ओमान में होने वाली तीसरी ईरान‑अमेरिका परमाणु वार्ता अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर केन्द्रित एक महत्वपूर्ण चरण है। पहला, दोनों देशों ने पहले दो दौरों में कई संवेदनशील मुद्दों पर खुलकर चर्चा की थी, जिससे आशा का एक स्तर बन गया। दूसरा, इज़राइल की सक्रिय भूमिका ने वार्ता के मंच को जटिल बना दिया है, लेकिन यह भी दर्शाता है कि क्षेत्रीय हित कितने गहन हैं। तीसरा, अमेरिका की प्राथमिकता स्पष्ट है: ईरान को किसी भी स्थिति में परमाणु हथियार बनाने से रोकना। चौथा, ईरान ने अपनी संकल्प शक्ति को पुनः स्थापित करने की कोशिश की है, परन्तु यह अंतर्राष्ट्रीय निगरानी के बिना संभव नहीं। पाँचवां, ओमान का मध्यस्थता का स्थान ऐतिहासिक रूप से संघर्ष समाधान में भरोसेमंद रहा है, इसलिए यहाँ का माहौल सकारात्मक हो सकता है। छठा, वार्ता में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए संयुक्त inspections की व्यवस्था की जा रही है, जिससे दोनों पक्षों का भरोसा बढ़ेगा। सातवां, यदि इन inspections को सफल बनाया गया तो भविष्य में समान शर्तों पर अन्य क्षेत्रों में भी लागू किया जा सकेगा। आठवाँ, इज़राइल के निशाने पर नहीं रहने वाले अमेरिकी राजनयिकों को भी इस प्रक्रिया में एक संतुलित भूमिका निभानी चाहिए। नौवां, कांग्रेस में वर्तमान में एक मजबूत धड़कन महसूस की जा रही है, जो वार्ता की गति को तेज कर सकती है। दसवां, मीडिया रिपोर्टों ने कहा है कि डोनाल्ड ट्रम्प के पूर्व बयानों ने कुछमात्र शांति‑प्रेसर को प्रेरित किया है। ग्यारहवां, यह एक सकारात्मक संकेत है कि कूटनीति अभी भी विवादों को हल करने में प्रभावी हो सकती है। बारहवां, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वार्ता बिना किसी हड़ताल के चलती है तो दोनों पक्षों को एक ठोस समझौता मिलने की संभावना ७०% तक बढ़ सकती है। तेरहवां, इस समझौते में आर्थिक प्रोत्साहन भी सम्मिलित हो सकता है, जिससे ईरान को अपने आर्थिक बोझ से राहत मिल सके। चौदहवां, अंत में यह कहा जा सकता है कि इस वार्ता का परिणाम न केवल ईरान और अमेरिका के बीच के संबंधों को, बल्कि व्यापक मध्य‑पूर्व की स्थिरता को भी प्रभावित करेगा। पंद्रहवां, इसलिए सभी संबंधित पक्षों को चाहिए कि वे राजनीतिक दबाव को कम करके तकनीकी विवरणों पर ध्यान केंद्रित करें और शांति का मार्ग बनायें।

sourabh kumar

sourabh kumar

बहुत ही गहरा विश्लेषण दिया आपने, धन्यवाद! मैं भी मानता हूँ कि इस प्रक्रिया में तकनीकी विवरणों पर ध्यान देना ज़रूरी है, और हम सभी को मिलकर शांति की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए।

khajan singh

khajan singh

डिप्लोमैटिक फ्रेमवर्क के भीतर ट्रांसपेरेंसी मैकेनिज्म का इम्प्लीमेंटेशन अनिवार्य है।

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