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ट्रंप ने पोप फ्रांसिस के सम्मान में झुकाया अमेरिकी झंडा, अंतिम संस्कार में मेलानिया के साथ होंगे शामिल

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ट्रंप ने पोप फ्रांसिस के सम्मान में झुकाया अमेरिकी झंडा, अंतिम संस्कार में मेलानिया के साथ होंगे शामिल
  • अप्रैल, 22 2025
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

ट्रंप के आदेश के साथ अमेरिका ने पोप फ्रांसिस को दी श्रद्धांजलि

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनियाभर को चौंकाते हुए आदेश दिया कि देश के हर सरकारी भवन, सेना के ठिकानों और विदेशों में स्थित अमेरिकी दूतावासों पर झंडा आधा झुकाया जाए। ये आदेश पोप फ्रांसिस के निधन के बाद दिया गया, जिसकी सूचना जैसे ही आई, पूरे अमेरिका में शोक का माहौल बन गया। अब झंडा 21 अप्रैल सूर्यास्त तक आधा रहेगा। इस फैसले से जाहिर है कि पोप का असर केवल वेटिकन या ईसाई समाज तक नहीं था—बल्कि अमेरिका जैसे देश में भी उनकी छवि काफी मजबूत थी।

ट्रंप का यह कदम चौंकाने वाला इसलिए भी रहा क्योंकि उनकी और पोप फ्रांसिस की कई मुद्दों पर तीखी बहस हो चुकी है। 2016 में ट्रंप के 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' कैंपेन के दौरान जब उन्होंने सीमा पर दीवार बनाने की बात की थी, तो पोप ने उसे 'ग़ैर-ईसाई' कदम कह दिया था। इसके बाद दोनों के संबंध में अक्सर तनाव की चर्चा रही। बावजूद इसके, ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर अंतिम संस्कार में शामिल होने की घोषणा की और अमरीकी झंडा झुकाने का आदेश जारी किया।

आखिरी विदाई और इंटरनेट पर बहस

आखिरी विदाई और इंटरनेट पर बहस

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर पोस्ट कर कहा, ‘हम वहां मौजूद रहने को उत्साहित हैं!’—बस, इतने में ही लोग नाराज हो गए। कुछ ने इसे असंवेदनशील भाषा बताया कि 'ऐसी विदाई पर उत्साहित होना' ठीक नहीं। ट्विटर और फेसबुक पर दोनों पक्षों की जबरदस्त बहस छिड़ गई। कहीं ट्रंप समर्थक बोले कि ये शिष्टाचार है, तो आलोचकों ने इसे संवेदना के खिलाफ बताया।

अंतिम संस्कार को लेकर चर्चा जारी है। कार्डिनल की मीटिंग 22 अप्रैल को होगी, जिसमें तारीख तय होगी। संभव है, इसी महीने के आखिर तक पोप की अंतिम यात्रा निकाली जाए। वेटिकन ने साफ किया है कि पोप फ्रांसिस खुद सादगी के पक्षधर थे, इसलिए अंतिम संस्कार भी आम और सीधा रहेगा। किसी बड़े जलवे या भारीभरकम रिवाजों की बजाय, सामूहिक प्रार्थना और साधारण विदाई पर जोर रहेगा।

यही नहीं, सिर्फ ट्रंप ही नहीं, बल्कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों जैसे तमाम देशों के नेता भी इस मौके पर रोम पहुंचेंगे। यानी, यह न सिर्फ धार्मिक, बल्कि राजनीतिक और वैश्विक स्तर पर एक बड़ा संदेश देने वाला कार्यक्रम होगा।

Divya B
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Divya B

14 टिप्पणियाँ

Vakiya dinesh Bharvad

Vakiya dinesh Bharvad

ट्रंप का यह कदम पोप के प्रति सम्मान दिखाता है 😊 यह दिखाता है कि राजनीति और धर्म आपस में कितने जटिल हो सकते हैं

Aryan Chouhan

Aryan Chouhan

यार ट्रम्प की बात तो बकमाल है, जारा झंडा नीचे तो चाहिए ही 😂 लेकिन इधर वरगा जज्बा होतो क्या है, सबके बिच में उलझन है

Tsering Bhutia

Tsering Bhutia

पोस्टिंग देख कर लगा कि ट्रम्प ने अपने फ़ॉलोअर्स को भी इस बात का एहसास दिलाया है कि पोप फ्रांसिस का प्रभाव ज़्यादा व्यापक था। इस निर्णय से कई लोग शांति और सहिष्णुता की बात करेंगे। अगर आप इतिहास के संदर्भ में देखें तो 20वीं सदी में कई नेता धार्मिक व्यक्तिगत मुद्दों को राजनीति में लाए थे। इसलिए इस तरह के कदम में सामाजिक एकता की संभावना भी देखी जा सकती है। आशा है आगे भी इस तरह के छोटे‑छोटे इशारे बड़े बदलाव लाएँगे।

Narayan TT

Narayan TT

राष्ट्रवाद की मीनारों पर झंडे झुकाने का प्रतीकात्मक खेल बस दिखावा है; असली शक्ति तो विचारों में निहित है।

SONALI RAGHBOTRA

SONALI RAGHBOTRA

यह घटना न सिर्फ अमेरिकी राजनीति को, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय ध्रुवीकरण को भी उजागर करती है। ट्रम्प का यह कदम दिखाता है कि वह व्यक्तिगत भावनाओं को राष्ट्रीय नीतियों के साथ मिलाना चाहता है। पोप फ्रांसिस ने हमेशा विश्व शांति और जलवायु संरक्षण की बातें कीं, जो आज के वैश्विक चुनौतियों से बहुत जुड़ी हुई हैं। उनकी मृत्यु के बाद कई देशों ने सम्मान स्वरूप विभिन्न इशारे दिखाए, लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति का निर्देश विशेष रूप से अजीब लगा। आधा झुका हुआ झंडा एक प्रतीकात्मक इशारा हो सकता है, परन्तु यह जनजातीय भावना को भी भड़का सकता है। जनता को इस बात का अहसास होना चाहिए कि शोक का समय सम्मान से तय होना चाहिए, न कि राजनीतिक लाभ के लिए। कई धार्मिक समुदाय इस निर्णय को असंवेदनशील मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे एकजुटता के संकेत के रूप में देख रहे हैं। मीडिया ने भी इस पर विभिन्न रुखे अपनाए हैं, कुछ ने इसे “पॉप लाब” कहा, तो कुछ ने इसे "संवेदनशीलता की सीमा के ऊपर" कहा। इतिहास में हम देख सकते हैं कि जब नेता व्यक्तिगत भावनाओं को सार्वजनिक नीति में मिश्रित करते हैं, तो अक्सर सामाजिक विभाजन बढ़ता है। इस संदर्भ में, ट्रम्प के सोशल मीडिया पोस्ट को भी काफी चर्चा मिली, जहाँ उन्होंने उत्साह व्यक्त किया। यह उत्साह शायद राजनीतिक आधार को मिलाने का प्रयास था, परंतु इससे शोक मान्यताओं को आहत करने का जोखिम भी था। वेटिकन ने पोप के साधारण और सरल समाप्ति के अनुरूप बजाय भव्यता से बचने का संकेत दिया था। यह संकेत इस बात का प्रमाण है कि पोप स्वयं भी सरलता को अपनाते थे। यदि हम इस बात को समझते हैं कि पोप की विचारधारा में सहिष्णुता और पारस्परिक सम्मान था, तो हमें भी अपने कार्यों में वही भाव दर्शाना चाहिए। अंत में, यह याद रखना आवश्यक है कि किसी भी धार्मिक या राष्ट्रीय प्रतीक को आदर के साथ देखना चाहिए, न कि उसे राजनीति के उपकरण में बदलना चाहिए। आशा है आने वाले दिनों में सभी लोग इस बात को समझेंगे और शांति के साथ स्मृति को संजोएंगे।

sourabh kumar

sourabh kumar

भाइयों, ऐसी बड़ी खबर में हमें शांति और समझ को आगे बढ़ाना चाहिए 😊 चलो मिलकर इस शोक में मदद करें और सकारात्मक ऊर्जा फैलाएँ!

khajan singh

khajan singh

शुभकामनाएं 🙏 इस तरह के अनौपचारिक समर्थन से वाकई कम्युनिटी में सकारात्मक सायबर-इंटरेक्शन बढ़ता है।

Dharmendra Pal

Dharmendra Pal

ट्रम्प का आदेश स्पष्ट रूप से एक राष्ट्रीय संकेत है और इसका असर सार्वजनिक भावना पर पड़ेगा

Balaji Venkatraman

Balaji Venkatraman

शोक में सम्मान ही एकमात्र उपयुक्त व्यवहार है।

Tushar Kumbhare

Tushar Kumbhare

ट्रम्प की इस हरकत में थोड़ा बहुत मज़ाक है 🤔 लेकिन आखिर में असली इरादा समझना जरूरी है।

Arvind Singh

Arvind Singh

है न कोई बात, मानो पोप की परकालीन महिमा को राजनीति की डिग्री में बदलना एक सामान्य बात हो। कितना गहरा ज्ञान है ये लोग।

Vidyut Bhasin

Vidyut Bhasin

वास्तव में, इस तरह के भावनात्मक इशारे से जनता को अलग‑अलग पक्षों में बाँटना आसान हो जाता है, तो क्यों नहीं?

nihal bagwan

nihal bagwan

देश की संप्रभुता को नहीं भूलना चाहिए; विदेशी नेताओं की उपस्थिति में हमारे राष्ट्रीय चिन्हों को इस तरह झुकाना हमारी पहचान को कमजोर करता है।

Arjun Sharma

Arjun Sharma

सही कहा, लेकिन हम सबको मिलकर इस मुद्दे पर एक लीडरशिप फ्रेमवर्क बनाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसे निर्णय अधिक कांसेंसस‑बेस्ड हों।

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