ट्रंप के आदेश के साथ अमेरिका ने पोप फ्रांसिस को दी श्रद्धांजलि
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने दुनियाभर को चौंकाते हुए आदेश दिया कि देश के हर सरकारी भवन, सेना के ठिकानों और विदेशों में स्थित अमेरिकी दूतावासों पर झंडा आधा झुकाया जाए। ये आदेश पोप फ्रांसिस के निधन के बाद दिया गया, जिसकी सूचना जैसे ही आई, पूरे अमेरिका में शोक का माहौल बन गया। अब झंडा 21 अप्रैल सूर्यास्त तक आधा रहेगा। इस फैसले से जाहिर है कि पोप का असर केवल वेटिकन या ईसाई समाज तक नहीं था—बल्कि अमेरिका जैसे देश में भी उनकी छवि काफी मजबूत थी।
ट्रंप का यह कदम चौंकाने वाला इसलिए भी रहा क्योंकि उनकी और पोप फ्रांसिस की कई मुद्दों पर तीखी बहस हो चुकी है। 2016 में ट्रंप के 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' कैंपेन के दौरान जब उन्होंने सीमा पर दीवार बनाने की बात की थी, तो पोप ने उसे 'ग़ैर-ईसाई' कदम कह दिया था। इसके बाद दोनों के संबंध में अक्सर तनाव की चर्चा रही। बावजूद इसके, ट्रंप ने सार्वजनिक तौर पर अंतिम संस्कार में शामिल होने की घोषणा की और अमरीकी झंडा झुकाने का आदेश जारी किया।

आखिरी विदाई और इंटरनेट पर बहस
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर पोस्ट कर कहा, ‘हम वहां मौजूद रहने को उत्साहित हैं!’—बस, इतने में ही लोग नाराज हो गए। कुछ ने इसे असंवेदनशील भाषा बताया कि 'ऐसी विदाई पर उत्साहित होना' ठीक नहीं। ट्विटर और फेसबुक पर दोनों पक्षों की जबरदस्त बहस छिड़ गई। कहीं ट्रंप समर्थक बोले कि ये शिष्टाचार है, तो आलोचकों ने इसे संवेदना के खिलाफ बताया।
अंतिम संस्कार को लेकर चर्चा जारी है। कार्डिनल की मीटिंग 22 अप्रैल को होगी, जिसमें तारीख तय होगी। संभव है, इसी महीने के आखिर तक पोप की अंतिम यात्रा निकाली जाए। वेटिकन ने साफ किया है कि पोप फ्रांसिस खुद सादगी के पक्षधर थे, इसलिए अंतिम संस्कार भी आम और सीधा रहेगा। किसी बड़े जलवे या भारीभरकम रिवाजों की बजाय, सामूहिक प्रार्थना और साधारण विदाई पर जोर रहेगा।
यही नहीं, सिर्फ ट्रंप ही नहीं, बल्कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों जैसे तमाम देशों के नेता भी इस मौके पर रोम पहुंचेंगे। यानी, यह न सिर्फ धार्मिक, बल्कि राजनीतिक और वैश्विक स्तर पर एक बड़ा संदेश देने वाला कार्यक्रम होगा।
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