जब अचानक बाढ़, भूकंप या तूफान आ जाता है, तब राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, भारत सरकार द्वारा स्थापित एक विशेष दल जो प्राकृतिक और तकनीकी आपदाओं में तत्काल बचाव, राहत और पुनर्निर्माण में कार्य करता है. Also known as NDRF, it operates under the राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, जो पूरे देश में आपदा जोखिम को कम करने की नीति बनाता है और विभिन्न राज्य एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है। इस परिचय में हम देखेंगे कि कैसे सिविल डिफेंस, सैन्य और पुलिस का वह हिस्सा है जो विशेष तौर पर आपदा‑संबंधी कार्यों में शामिल होता है NDRF को सपोर्ट करता है, और किन‑कौन से संकट प्रतिक्रिया प्रशिक्षण, फ़िजिकल, मेडिकल और लॉजिस्टिक क्षमताओं को मजबूत करने के कोर्स हैं के माध्यम से बल के सदस्य तैयार होते हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की संरचना तीन स्तरों में बाँटी गई है – राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और जिला स्तर। राष्ट्रीय स्तर पर मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है, जहाँ नीति निर्माण और बड़े‑स्तर के फंडिंग का काम किया जाता है। क्षेत्रीय स्तर पर भारत को सात ज़ोन में बाँटा गया है, प्रत्येक ज़ोन में एक कमांडेंट होता है जो ज़ोन‑व्यापी ऑपरेशन की देखरेख करता है। जिला स्तर पर डिप्लॉयमेंट तेज़ी से होती है; स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर टीम तुरंत मदद पहुँचाती है। यह तीन‑स्तरीय मॉडल आपदा प्रबंधन को कुशल बनाता है, क्योंकि जरूरत के अनुसार संसाधन जल्दी री‑एलाइन किए जा सकते हैं।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल के काम को चार मुख्य श्रेणियों में समझा जा सकता है: बचाव (Rescue), राहत (Relief), पुनर्निर्माण (Reconstruction) और प्रशिक्षण (Training)। बचाव के दौरान टीम हाई‑रेसक्यू उपकरण, जैसे जलरोधी नाव, हेलीकॉप्टर और सर्च‑ऐंड‑रेसक्यू डॉग का उपयोग करती है। राहत में छेत्री आधार पर पानी, भोजन और मेडिकल सप्लाई प्रदान की जाती है, जबकि पुनर्निर्माण में बुनियादी ढाँचा, स्कूल और क्लिनिक फिर से बनाते हैं। प्रशिक्षण में नई तकनीकों, जैसे ड्रोन के माध्यम से सैटेलाइट इमेजरी और रियल‑टाइम मॉनिटरिंग, को शामिल किया जाता है, जिससे भविष्य की आपदाओं से निपटना आसान हो जाता है।
इन सभी कार्यों का समन्वय राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के साथ होता है। NDMA आपदाओं की जोखिम मैप बनाता है, राज्य सरकारों को बजट आवंटित करता है और समय‑समय पर ड्रिल आयोजित करता है। जब कोई बड़ी आपदा आती है, तो NDMA तुरंत NDRF को एक्टिवेट करता है, जिससे ज़ोन‑स्तर की टीमें नियोजित होकर फील्ड में पहुँचती हैं। इस सहयोगी मॉडल ने पिछले पाँच वर्षों में 45,000 से अधिक जीवन बचाए हैं और कई क्षेत्रों में पुनर्निर्माण की गति बढ़ाई है।
सिविल डिफेंस का योगदान अक्सर कम दिखता है, पर उनका रोल बहुत ही अहम है। सेना के इंजीनियरिंग कॉरिडोर, एयर फ़ोर्स के ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर और पुलिस की रूटीन लॉजिस्टिक सपोर्ट NDRF की रिस्पॉन्स टाइम को घटा देते हैं। एक बार 2023 के सिचाई में अचानक बाढ़ आने पर, सिविल डिफेंस ने 30,000 टन खाना और दवा एक दिन में ही पहुँचाई, जिससे लोगों की मृत्यु दर में 70% तक कमी आई। ऐसी ही संधियों से ही राष्ट्रीय स्तर पर आपदा‑सुरक्षा को सुदृढ़ बनाया जा सकता है।
संकट प्रतिक्रिया प्रशिक्षण में दो‑तीन प्रमुख पहलू होते हैं – तकनीकी, फिजिकल और मनोवैज्ञानिक। तकनीकी प्रशिक्षण में हाई‑एंड रेसक्यू उपकरणों का उपयोग सिखाया जाता है, जैसे रिवर रेसक्यू बोट और टॉप‑ड्रिलिंग मशीन। फिजिकल प्रशिक्षण में स्ट्रेंथ, स्टैमिना और एथलेटिक कौशल विकसित किए जाते हैं, क्योंकि बचाव कार्य अक्सर कठिन पर्यावरण में होते हैं। मनोवैज्ञानिक तैयारी में तनाव‑मैनेजमेंट, पीड़ितों के साथ संवाद और टीम वर्क पर फोकस किया जाता है, जिससे वास्तविक स्थितियों में शान्ति बनी रहती है। ये तीन‑स्तरीय प्रशिक्षण NDRF को कोई भी आपदा सामना करने में सक्षम बनाता है।
अब तक के आंकड़े दिखाते हैं कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल ने 2020‑2025 के बीच 3,200 से अधिक ऑपरेशन सफलतापूर्वक पूरे किए हैं। इनमें 2021 की हिमालयी बाढ़, 2022 की मध्य प्रदेश की भूकंपीय झटके और 2024 की ओडिशा के चक्रवात शामिल हैं। हर केस में टीम ने स्थानीय प्रशासन, NGOs और निजी कंपनियों के सहयोग से कार्य को गति दी। यह विविध सहयोगी नेटवर्क जुड़ाव (connectivity) को बढ़ाता है और संसाधनों के अधिकतम उपयोग को सुनिश्चित करता है।
कई लोग पूछते हैं, “क्या मैं भी NDRF में शामिल हो सकता हूँ?” जवाब है, हाँ—यदि आप फिटनेस टेस्ट पास कर लेते हैं, बेसिक मेडिकल चेक‑अप कराते हैं और सुरक्षा क्लियरेंस प्राप्त करते हैं, तो आप भर्ती प्रक्रिया के अगले चरण में जा सकते हैं। चयन प्रक्रिया में लिखित परीक्षा, शारीरिक क्षमता परीक्षण और इंटरव्यू शामिल होते हैं। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि केवल योग्य और समर्पित लोग ही टीम में शामिल हों, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर बचाव कार्य की गुणवत्ता बनी रहे।
भविष्य में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल कैसे विकसित होगा? तकनीकी नवाचार, जैसे AI‑आधारित प्रिडिक्टिव मॉडल और रिमोट‑सेंसर, टीम को पहले से अधिक सटीक रूप से जोखिम क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करेंगे। साथ ही, सामुदायिक सहभागिता बढ़ाने के लिए “स्मार्ट वैली” पहल शुरू की जा रही है, जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों को छोटे‑स्तरीय आपदा‑प्रतिक्रिया इकाइयों से जोड़ा जाएगा। इन कदमों से प्रदेश‑स्तर पर स्वायत्तता बढ़ेगी और NDRF के कार्यभार में कमी आयेगी।
सार में कहा जाए तो राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) एक बहु‑स्तरीय, बहु‑परिचालन इकाई है जो आपदा‑प्रबंधन के हर पहलू को कवर करती है। इसका प्रमुख लक्ष्य समय‑पर राहत देना, जीवन बचाना और प्रभावित क्षेत्रों को जल्द से जल्द सामान्य स्थिति में लाना है। आपदा प्रबंधन, NDMA, सिविल डिफेंस और विशेष प्रशिक्षण जैसे घटकों के साथ यह एक संपूर्ण प्रणाली बनाती है, जो आज के जटिल जोखिम माहौल में अनिवार्य है। अब नीचे आप देखेंगे कि इस टैग से जुड़ी नवीनतम ख़बरें, विश्लेषण और रिपोर्ट्स कैसे राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की कार्यक्षमता को उजागर करती हैं।
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