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दरजीलीन में 300 mm बारिश से लैंडस्लाइड, 18 मौत, बचाव जारी

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दरजीलीन में 300 mm बारिश से लैंडस्लाइड, 18 मौत, बचाव जारी
  • अक्तू॰, 6 2025
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

जब ममता बनर्जी, मुख्यमंत्री of पश्चिम बंगाल ने कहा कि रात भर 300 mm से अधिक बारिश ने ‘दरजीलीन’ की पहाड़ियों को हिला दिया, तब से बचाव कार्य तेज़ी से चल रहा है। 5 अक्टूबर 2025 को दरजीलीन जिला में भारी जलस्खलन और तेज़ बाढ़ के बाद 18 लोग—उनमें सात बच्चे—मर गए, जबकि कई और लोग अब भी लापता हैं।

विनाशभरी परिस्थितियों की पृष्ठभूमि

पहली घड़ियों में ही मौसम विभाग ने चेतावनी दी थी कि उत्तर बंगाल में अनिश्चितकालीन मानसून के कारण बवंडर‑जैसी बारिश होंगी। उदयन गुहा, विकास मंत्री of पश्चिम बंगाल ने बाद में कहा कि ये ‘अलार्मिंग’ स्थिति है और तुरंत राहत‑कार्य शुरू किया गया है।

मुख्य रूप से मिरिक और सुखिया पोखरी में बड़े‑बड़े लैंडस्लाइड हुए, जहाँ घर‑आधार सब कुछ धंस गया। मिरिक झील के किनारे बाढ़ की लहरें तेज़ी से बढ़ी, जिससे आसपास के चाय बागान भी पानी में डूब गए।

रिस्क्यू टीमों का त्वरित दखल

राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) ने पाँच टीमें तैनात कीं, जिनका प्रमुख फोकस मिरिक झील और बीजनबारी‑पुल बाज़ार पुल पर रहा, जो पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। पुलिस, स्थानीय प्रशासन और स्वयंसेवी समूहों ने मिलकर आवागमन को फिर से सुगम बनाने की कोशिश की।

  • परिचालन के दौरान 23 बचावकर्ताओं को हल्की चोटें आईं, लेकिन कोई गंभीर चोट नहीं दर्ज हुई।
  • अस्थायी कैंप 12 गांव में स्थापित किए गए, जहाँ 150 से अधिक शरणार्थियों को आश्रय दिया गया।
  • सड़क जाम को हटाने हेतु सिविल इंजीनियरिंग टीम ने त्वरित पुल निर्माण के लिए प्रीफ़ैब्ड संरचना लाकर काम शुरू किया।

प्रभावित क्षेत्रों की आधिकारिक प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री ने अगले दिन, 6 अक्टूबर को दौरा करने का वचन दिया। उन्होंने कहा: “बारिश के बाद सतह जलक्रम में तेज़ी से वृद्धि हुई, जिससे संकोष नदी और काठमान्डू के पास के कई नदियों में बाढ़ का स्तर अभूतपूर्व था।” इस बीच, पर्यटन विभाग ने टाइगर हिल और रॉक गार्डन जैसे प्रमुख आकर्षणों को बंद कर दिया, जबकि डार्जिलिंग की टॉय ट्रेन सेवा को अस्थायी रूप से निलंबित किया गया।

दूर-दराज़ गांवों को जोड़ने वाले कई पुल, जैसे कि बिजनबारी‑पुल बाज़ार पुल और दोहरावदार नवीनीकरण किए गये राष्ट्रीय राजमार्ग 17, पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। इस कारण से सिलिगुड़ी‑डार्जिलिंग मार्ग बंद हो गया, जिससे आपातकालीन हेलीकॉप्टर के अलावा जमीन पर कोई भी सहायता पहुँच नहीं पा रही थी।

नेपाल में भी बाढ़‑भयावह स्थिति

भारत के ठीक दक्षिण में, इलाम जिला (नेपाल) में 35 लोग लैंडस्लाइड में मारे गए, जैसा कि नेपाल के कालिदास धौबोजी, प्रचारक ने बताया। 9 लोग अभी भी लापता हैं, जबकि 3 अन्य को बिजली गिरने से मार दिया गया।

नेशनल डिसास्टर रिस्क रिडक्शन एंड मैनेजमेंट अथॉरिटी (NDRRMA) की प्रतिनिधि शांति महत ने कहा, “रिस्क्यू टीमें अभी भी खोज कार्य में लगी हैं, और सभी 56 जलशोधन स्ल्यूज को खोलकर कोशी बांध से पानी बहा दिया गया है।” कोशी नदी के जलस्तर ने ‘डेंजर लेवल’ पार कर लिया है, जिससे भारत के बिहार में भी बाढ़ की आशंका बढ़ गई है।

सामाजिक और धार्मिक संगठनों का सहयोग

सामाजिक और धार्मिक संगठनों का सहयोग

दरजीलीन डाइओसेस सोशल सर्विस सोसायटी (Anugyalaya) ने राहत‑कार्य के लिए स्वयंसेवकों को तैनात किया। फादर साम्युअल लेपचा ने बताया कि उनके चर्च के इमारतों को हल्की क्षति हुई, परंतु कोई भी जीवित‑हारी नहीं हुई। उनका कहना था, “समुदाय की भावना इस आपदा में ही चमकती है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्विटर (X) पर शोक व्यक्त किया और कहा, “हम सभी लोग इस दुखद त्रासदी में प्रभावित लोगों के साथ हैं और पूर्ण सहयोग सुनिश्चित करेंगे।” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भी संवेदना प्रकट की।

भविष्य में क्या कदम उठाए जाएँगे?

अधिकतम सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने कहा कि जलवायु‑परिवर्तन से उत्पन्न बार-बार होने वाली ऐसी घटनाओं के लिये ‘हिल ट्रांसपोर्ट एजुकेशन’ को अनिवार्य किया जाएगा। साथ ही, नई फ्लीड‑रिजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर—जैसे प्री‑फैब्रिकेटेड पुल और आपदा‑सुरक्षित आवास—पर तेज़ी से काम शुरू किया जाएगा।

रिस्क्यू टीमों को अभी भी कई पहाड़ी रास्तों पर पहुँचने में कठिनाई हो रही है, इसलिए हेलीकॉप्टर‑उड़ानें ही प्राथमिक साधन बनी रहेंगी। सरकार ने स्थानीय लोगों को चेतावनी दी है कि वे किसी भी गैर‑आधिकारिक प्रशासनिक मार्ग पर न जाएँ, क्योंकि वहाँ अभी भी कई जगहें ‘जेब‑पॉइंट’ जैसे धँसे हुए हैं।

मुख्य तथ्य

  • बारिश की मात्रा: 300 mm/12 घंटे (दरजीलीन)
  • मृतकों की संख्या: 18 (भारत) + 35 (नेपाल) = 53, अभी भी 9 लापता
  • मुख्य प्रभावित स्थल: मिरिक, सुखिया पोखरी, बीजनबारी‑पुल बाज़ार पुल
  • रिस्क्यू टीम: NDRF की 5 टीमें, स्थानीय पुलिस, स्वयंसेवी समूह
  • भविष्य की योजना: फ्लीड‑रिजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर, जलवायु‑अनुकूल नीति

Frequently Asked Questions

क्या इस बाढ़ का कारण केवल भारी बारिश है?

बारिश मुख्य कारण है, पर विशेषज्ञ बताते हैं कि जलस्रोतों का अनियमित प्रबंधन, पहाड़ी क्षेत्रों में केजिंग न होना और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न ‘अत्यधिक वर्षा’ भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।

इंडियन सरकार ने किन राहत उपायों की घोषणा की है?

केन्द्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने आपातकालीन निधि उपलब्ध कराकर तत्काल राहत सामग्री, खाना‑पीना, वैक्सीन और अस्थायी शरणस्थल प्रदान करने का आदेश दिया है। इसके अलावा, NDRF को अतिरिक्त मानवीय सहायता हेतु विस्फोट‑केंद्रित बीमा भी मिल रहा है।

नेपाल के इलाम में बाढ़ से किन इलाकों को सबसे अधिक नुकसान रहा?

इलाम के पहाड़ी गांवों में वन्य‑जंगल की ढलान तेज़ होने के कारण कई घर बिखर गये। कोशी नदी के किनारे स्थित बोरहिया और धर्मपुरी गाँवों में सबसे ज़्यादा जल क्षति देखी गई।

पर्यटकों को अब कब तक यात्रा जारी रखने की सलाह दी जायेगी?

पर्यटन विभाग ने कहा है कि टाइगर हिल और रॉक गार्डन जैसे मुख्य आकर्षण तब तक बंद रहेंगे जब तक सड़क और पुल की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती। स्थानीय प्रशासन की औपचारिक सूचना मिलने तक यात्रा से बचना ही सावधानी है।

भविष्य में इस तरह की आपदा के रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं?

सरकार ने पहाड़ी क्षेत्रों में जल-निकासी प्रणाली का आधुनिकीकरण, बाढ़‑सुरक्षित इमारतों के लिए नई बिल्डिंग कोड और जलवायु‑परिवर्तन के अनुकूलता हेतु वार्षिक चेतावनी प्रणाली को सख्त करने की योजना बनाई है।

Divya B
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Divya B

10 टिप्पणियाँ

subhashree mohapatra

subhashree mohapatra

दरजीलीन की इस बाढ़ ने स्पष्ट रूप से दिखाया है कि मौजूदा जलवायु मॉडल में बड़े अंतर हैं। वैज्ञानिक चेतावनी को नजरअंदाज करने की वजह से कई जीवों की जान गई। राहत कार्य में तेज़ी है, पर दृश्य बिखराव अभी भी बहुत बड़ा है। इस घटना को भविष्य में रोकने के लिए नीतियों में ठोस बदलाव चाहिए।

santhosh san

santhosh san

ओह यार, क्या दर्द है, इतने बच्चे मर गए। मेरी आँखें नहीं रुकतीं, सब कुछ बहुत बड़ी समस्या है। लोग बस बोलीं‑बोलीं में ही दिखते हैं, पर असली दर्द को समझते नहीं।

vishal Hoc

vishal Hoc

हर किसी को सावधानी से चलना चाहिए।

Minal Chavan

Minal Chavan

प्रमुख अधिकारियों ने आपदा प्रतिक्रिया में सहयोगी कदम उठाए हैं। स्थानीय समुदाय के साथ समन्वय स्थापित किया गया है, जिससे राहत वितरण में गति आई है। आशा है कि पुनर्वास कार्य शीघ्रता से पूर्ण हो पाएगा।

Rajesh Soni

Rajesh Soni

पहले तो यह स्पष्ट है कि मौसमी अत्यधिक वर्षा और अपर्याप्त जल निकासी प्रणाली ने इस आपदा को भड़का दिया।
NDRF द्वारा तैनात पाँच टीमों का त्वरित दखल सराहनीय है, पर उनके व्यावहारिक साधनों की सीमाएँ स्पष्ट हैं।
उदाहरण के तौर पर, प्री‑फ़ैब्रिकेटेड पुलों की तैनाती ने अस्थायी रूप से ट्रैफ़िक को बहाल किया, पर उनके संरचनात्मक स्थायित्व का मूल्यांकन अभी बाकी है।
पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने हेतु जलनिकासी टनलों की पुरानी डिजाइन को पुनः निरीक्षण करना अनिवार्य है।
साथ ही, स्थानीय जलवायु मॉडलिंग को रीयल‑टाइम डेटा के साथ इंटीग्रेट करना चाहिए, ताकि भविष्य में पहले से चेतावनी जारी की जा सके।
तेज़ प्रवाह वाले जलधाराओं के किनारे वाले बस्तियों को हटाने का प्रस्ताव व्यावहारिक नहीं, क्योंकि सामाजिक‑आर्थिक प्रभाव बहुत बड़ा होगा।
जैविक विविधता के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए, बाढ़ प्रतिरोधी वृक्षरोपण योजनाएँ लागू करनी चाहिए।
ट्रांसपोर्ट एडीके में उल्लेखित 'हिल ट्रांसपोर्ट एजुकेशन' कार्यक्रम को न केवल शिक्षण मोड्यूल, बल्कि व्यवहारिक सिमुलेशन के रूप में भी विकसित किया जा सकता है।
सुरक्षा अनुसंधान संस्थानों को इस क्षेत्र में विस्तृत हाइड्रोमैकेनिकल परीक्षण करना चाहिए।
सरकारी निधियों के प्रभावी उपयोग के लिए एक स्वतंत्र ऑडिट बॉडी स्थापित की जानी चाहिए।
इतना ही नहीं, स्थानीय लोगों को स्वयं-फलित रेस्क्यू टीमों के रूप में प्रशिक्षित करने से तात्कालिक बचाव में सुधार होगा।
डिजिटल मैपिंग के माध्यम से सबसे अधिक जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान व त्वरित सूचना प्रसारण संभव है।
अंत में, सभी उपायों को लागू करने के लिए एक समन्वित कार्य योजना बनानी चाहिए, जिसमें राज्य, केंद्र और निजी क्षेत्रों का सहयोग हो।
यह सभी कदम मिलकर ही भविष्य में ऐसी निर्मल त्रासदी को रोकने में सहायक होंगे।

Nanda Dyah

Nanda Dyah

आधुनिक वायुमंडलीय विज्ञान के अनुसार, वार्षिक वृष्णावृष्टियों की तीव्रता में वृद्धि का मुख्य कारण वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रता में असामान्य वृद्धि है।
भू-आकृतिक संरचना और जल धारण क्षमता के विसंगतियों को ध्यान में रखते हुए, क्षेत्रीय जल प्रबंधन नीतियों की पुनर्समीक्षा आवश्यक है।
उपरोक्त बिंदुओं को स्पष्ट करने हेतु, जलवायु परिवर्तन पर अंतर‑राष्ट्रीय समझौतों का स्थानीय स्तर पर कार्यान्वयन अनिवार्य है।
अतः, यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामाजिक सहभागिता का भी प्रश्न है।

vikas duhun

vikas duhun

देश की सीमा पर ऐसा बड़ा आपदा देखना हमारे राष्ट्रीय गर्व को ठेस पहुँचाता है। हम सभी को मिलकर इस परीक्षा को पार करना होगा, नहीं तो हमें अपमान सहना पड़ेगा। यही तो हमारी असली ताकत है-एकता में।

Nathan Rodan

Nathan Rodan

आपकी भावना समझता हूँ, परन्तु इस संवेदनशील समय में हमें व्यावहारिक कदम उठाने चाहिए। पहाड़ी क्षेत्रों में स्थायी बुनियादी ढाँचे की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसे नुकसान कम हो सके। साथ ही, स्थानीय समुदायों को जागरूक करना और उन्हें आपदा‑प्रबंधन में शामिल करना भी अत्यावश्यक है। हर एक व्यक्ति की छोटी‑छोटी कोशिशें मिलकर बड़ी परिवर्तन ला सकती हैं। आइए, हम सब मिलकर इस कठिनाई को अवसर में बदलने की दिशा में काम करें।

KABIR SETHI

KABIR SETHI

आपदा‑रहाए लोगों को तुरंत राहत वस्त्र देना प्राथमिकता होनी चाहिए। इसके अलावा, दीर्घकालिक पुनर्वास योजनाओं को त्वरित रूप से लागू किया जाना चाहिए।

rudal rajbhar

rudal rajbhar

मानव जाति की सभ्यता तभी प्रगति कर सकती है जब वह प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करे। इस बाढ़ ने हमें यह सिखाया कि तकनीक के साथ नैतिक जिम्मेदारी भी आवश्यक है। हमें अपने कार्यों का आत्मनिरीक्षण कर तत्काल सुधार करने चाहिए।

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