When working with गिग वर्कर्स बिल, एक प्रस्तावित विधायी उपाय है जो प्लेटफ़ॉर्म‑आधारित कामगारों के अधिकारों को सुदृढ़ करता है. Also known as गिग एम्प्लॉयी एक्ट, it aims to bring clarity to contracts, benefits, and dispute resolution for those earning through digital gigs.
गिग इकोनॉमी (गिग इकोनॉमी, अस्थायी, प्रोजेक्ट‑बेस्ड काम का मिश्रण है जिसमें मोबाइल ऐप या ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म मुख्य मध्यस्थ होते हैं) ने भारत में तेज़ी से नौकरी के ढाँचों को बदल दिया है। फ्रीलांसर्स, राइड‑शेयर ड्राइवर, डिलीवरी पार्टनर, और कंटेंट क्रिएटर अब बड़े कंपनियों के सीधे कर्मचारी नहीं, बल्कि स्वतंत्र ठेकेदार बन गए हैं। इस बदलाव ने ख़र्ची‑कुशलता में वृद्धि की, पर साथ ही सामाजिक सुरक्षा के प्रश्न भी उठे।
गिग वर्कर्स बिल इस असमानता को कम करने के लिए तीन प्रमुख उपाय पेश करता है: 1) न्यूनतम वेतन और भुगतान समय सीमा, 2) स्वास्थ्य‑बीमा और पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा कवरेज, 3) प्लेटफ़ॉर्म पर पारदर्शी grievance mechanism. इन पहलुओं के माध्यम से फ्रीलांसर्स को स्थिरता मिलती है, जबकि डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म को कानूनी स्पष्टता मिलती है।
श्रम कानून (श्रम कानून, कामगारों के अधिकार, कार्य शर्तें और कल्याण के लिए राज्य‑निर्धारित नियम) में अब गिग कामगारों को विशेष श्रेणी मिल जाएगी। इससे पहले कई गिग कार्यकर्ता बिना अनुबंध के काम कर रहे थे, और वे इस्तीफा या कार्यस्थल समस्याओं पर कोई कानूनी सहारा नहीं पा रहे थे। गिग वर्कर्स बिल के तहत उन्हें रोजगार अनुबंध, न्यूनतम कार्य घंटे, और ओवरटाइम का अधिकार मिलेगा।
डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म (डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म, ऐसी线上 सेवाएँ जो कामगारों और ग्राहकों को जोड़ती हैं, जैसे Uber, Swiggy, Upwork) अब अपने नीतियों को अपडेट करने के लिए बाध्य हो जाएंगे। उन्हें कामगारों के डेटा की सुरक्षा, भुगतान ट्रैकिंग, और शिकायत निपटान के लिए स्पष्ट प्रक्रियाएँ बनानी होंगी। यह न केवल कामगारों को फायदा देगा, बल्कि प्लेटफ़ॉर्म की विश्वसनीयता भी बढ़ाएगा।
गिग वर्कर्स बिल के तीन प्रमुख पहलू आपस में जुड़े हुए हैं: (1) कार्य शर्तों की पारदर्शिता, (2) सामाजिक सुरक्षा का विस्तार, (3) नियामक अनुपालन की सुगमता। पहला पहलू प्लेटफ़ॉर्म को कार्य‑शर्तें और वेतन संरचना ऑनलाइन प्रकाशित करने के लिए कहता है, जिससे कामगार पहले से जान सकें कि वे क्या कमा सकते हैं। दूसरा पहलू स्वास्थ्य बीमा, आयु रिटायरमेंट फंड, और आपदा बीमा जैसी कवरेज को अनिवार्य बनाता है। तीसरा पहलू प्राधिकारी को शिकायतों के लिए एकीकृत पोर्टल प्रदान करता है, जिससे विवाद कम होते हैं और समाधान तेज़ होता है।
इन तीनों बिंदुओं के कारण गिग इकोनॉमी का विकास अधिक स्थायी हो सकता है। फ्रीलांसर्स को अब अपने भविष्य की योजना बनाने के लिए बेहतर साधन मिलेंगे, और कंपनियों को कार्यशक्ति को बनाए रखने में कम लागत का सामना करना पड़ेगा क्योंकि वे अपने कामगारों को बेहतर सुरक्षा देंगे। साथ ही, उपभोक्ता भी बेहतर सेवा गुणवत्ता का लुत्फ़ उठाएंगे, क्योंकि प्लेटफ़ॉर्म अपनी जवाबदेही को बढ़ा देगा।
हालांकि, इस बिल के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ भी हैं। कई छोटे प्लेटफ़ॉर्म को तकनीकी और वित्तीय संसाधन नहीं होते, जिससे वे नए नियमों का पालन करने में दिक्कत महसूस कर सकते हैं। इसके अलावा, विभिन्न राज्य‑स्तर की श्रम नीतियों के साथ तालमेल बिठाना जटिल हो सकता है। इसलिए, सरकार को चरणबद्ध लागू करने की योजना, और छोटे व्यवसायों के लिए सुविधाजनक प्रावधान तैयार करने चाहिए।
सारांश में, गिग वर्कर्स बिल गिग इकोनॉमी को एक नई दिशा देता है—जहाँ कामगारों को स्थिर आय, सुरक्षा, और स्पष्ट अधिकार मिलते हैं, और प्लेटफ़ॉर्म को बेहतर नियामक ढाँचा मिलता है। अब आप नीचे सूचीबद्ध लेखों में देखेंगे कि इस बिल के विभिन्न पहलुओं पर विशेषज्ञ क्या कहते हैं, किन क्षेत्रों में सबसे अधिक बदलाव की उम्मीद है, और कैसे आप अपने करियर में इस नई स्थिति का फायदा उठा सकते हैं। यह जानकारी आपकी गिग कार्यशैली को समझने, अनुकूलित करने, और आगे बढ़ाने में मदद करेगी।
कर्नाटक के लेबर मंत्री संतोष लाड़ ने अनुबंधित कर्मचारियों को सीधे जिला‑सोसाइटीज़ से नियुक्त करने और गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा देने की नई योजना की घोषणा की।
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