मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में हाल ही में एक त्रासदी सामने आई, जहाँ एक 6‑महीने का शिशु तांत्रिक के अनुष्ठान के दौरान गंभीर चोटों से गुजर रहा है। स्थानीय स्रोतों के अनुसार, यह अनुष्ठान रात के समय एक ग्रामीण सड़क के किनारे किया गया था, जहाँ वह तांत्रिक अपने आध्यात्मिक रिवाजों को पूरा कर रहा था। शिशु की माँ ने बताया कि उन्हें अचानक शोर सुनाई दिया और जब वे बच्चे को घोराने पहुँचीं, तो वह पहले से ही घायल थी।
घटना की पृष्ठभूमि और वर्तमान स्थिति
समस्या के तुरंत बाद पुलिस ने स्थल पर पहुंचकर तांत्रिक को हिरासत में ले लिया और शिशु को नजदीकी अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में किए गए प्रारम्भिक उपचार के बाद बच्चे की स्थिति को स्थिर बताया गया, लेकिन डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि चोटों की गहराई के कारण आगे भी कई दिनों तक देखभाल की जरूरत पड़ेगी। अपराध स्थल की जांच में पुलिस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि अभी तक कोई अन्य गवाह या साक्षी नहीं मिला है, जिससे विस्तृत रिपोर्ट अभी तैयार नहीं हो पाई है।

समाजिक प्रतिक्रिया और कानूनी पहलु
स्थानीय लोगों ने इस घटना को लेकर बड़ी चिंता जताई है। कई ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे तांत्रिक अनुष्ठान अक्सर अनजाने में अंधविश्वास की जड़ें गहरा देते हैं और बच्चों को अनावश्यक ख़तरे में डालते हैं। महिला समूहों ने तांत्रिक प्रथा के खिलाफ एक जनमत संग्रह शुरू करने की इच्छा जताई है, जबकि मानवाधिकार संगठनों ने इस प्रकार के अनुष्ठान पर पूर्ण प्रतिबंध की मांग रखी है। कानूनी तौर पर, भारत में ऐसी अंधविश्वासीय प्रथा पर रोक लगाने के लिये विभिन्न विधायिनी तैयार हैं, लेकिन लागू करने में अक्सर दिक्कतें आती हैं।
अभी तक इस घटना पर विस्तृत आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे मीडिया को सीमित सूचना के आधार पर ही रिपोर्ट बनानी पड़ रही है। प्रवर्तक तांत्रिक के खिलाफ साक्ष्य जुटाने की प्रक्रिया चल रही है, और न्यायालय में आगे की सुनवाई की संभावनाएं हैं। इस बीच, स्थानीय प्रशासन ने बताया है कि भविष्य में इस तरह की अनियमित प्रथाओं को रोकने के लिये विशेष निरीक्षण टीम गठन की योजना बनाई जा रही है।
जब तक अधिक आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं होती, तब तक तांत्रिक जैसी अंधविश्वासीय गतिविधियों की निगरानी और नियंत्रण को सख्त करना आवश्यक रहेगा, जिससे ऐसे दुखद मामलों को रोका जा सके।