जब बात ड्यूप ट्रॉफी, भारतीय प्रथम श्रेणी क्रिकेट का प्रमुख अंतर-झोनीय टूर्नामेंट है. इसे अक्सर दुलेप ट्रॉफी कहा जाता है, जो 1961 में शुरू हुआ था और आज भी युवा खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चमकने का मंच देता है। इसी समय भारत क्रिकेट, देश की राष्ट्रीय टीम और घरेलू प्रतियोगिताओं का समग्र ढांचा भी इस प्रतियोगिता से बहुत प्रभावित होती है।
ड्यूप ट्रॉफी मूल रूप से पाँच ज़ोन (उत्तर, पूर्व, मध्य, पश्चिम, दक्षिण) के प्रतिनिधियों के बीच खेली जाती थी। 2022‑23 में इसे मिश्रित‑ड्रग (कंट्री) ढाँचे में बदल दिया गया, जिससे टीम चयन अधिक लचीला हो गया। इस बदलाव ने बहु‑कौशल वाले गेंदबाजों और तेज़ बल्लेबाजों को मंच दिया, जैसा कि हाल की वेस्ट इंडीज टेस्ट श्रृंखला में देखा गया। शुब्दन गिल के कप्तान बने भारत ने पहले टेस्ट में 140‑रन की जीत हासिल की, और कई खिलाड़ी ड्यूप ट्रॉफी में अपने परफ़ॉर्मेंस के कारण राष्ट्रीय टीम में शामिल हुए।
टूर्नामेंट का मुख्य उद्देश्य भारतीय घरेलू प्रतिभा को एकत्रित करना और उनके प्रदर्शन को अंतर‑राष्ट्रीय मानकों के साथ तुलना करना है। चुनिंदा मैचों में दो‑दिवसीय प्रारूप के बजाय पाँच‑दिवसीय प्रथम श्रेणी प्रारूप अपनाया जाता है, जिससे खिलाड़ी को लंबी पिच पर टिकने की क्षमता का परीक्षण हो सके। इस दौरान ध्रुव जुरेल और रविंद्र जडेजा जैसे बल्लेबाज़ों ने शतक बनाकर अपना मान बढ़ाया, जबकि जस्प्रित बुमराह ने तेज़ गेंदबाज़ी में नई ऊर्जा दी।
ड्यूप ट्रॉफी के दौरान ज़ोन‑आधारित चयन प्रणाली को अक्सर राष्ट्रीय चयनकर्ता उपयोग करते हैं। बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) की चयन समिति इस टॉर्नामेंट को देखती है ताकि आगामी अंतरराष्ट्रीय सीरीज़ में कौन से खिलाड़ी फिट बैठेंगे, इसका फैसला किया जा सके। उदाहरण के तौर पर, 2025 की वेस्ट इंडीज टेस्ट श्रृंखला में कई ड्यूप ट्रॉफी के उभरते हुए खिलाड़ी शामिल हुए, जिन्होंने मैच‑सेनारी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह दर्शाता है कि ड्यूप ट्रॉफी सिर्फ एक घरेलू प्रतियोगिता नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय टीम की ताकत का पहला परीक्षण बेंच है।
हालिया मौसम रिपोर्ट ने बतलाया कि दिल्ली‑एनसीआर में तेज़ बारिश ने कई खेलों को प्रभावित किया, पर ड्यूप ट्रॉफी के मैच अक्सर दक्षिण भारत में होते हैं जहाँ मौसम स्थिर रहता है। इसलिए शेड्यूलिंग में बाधा कम होती है और खेल का निरंतरता बनी रहती है। इस साल की त्रयी में, ज़ोन‑मैचों में 300 mm तक की वर्षा की अपेक्षा नहीं की गई, जिससे फॉर्मेट की विश्वसनीयता बनी रही।
ड्यूप ट्रॉफी का प्रभाव सिर्फ खिलाड़ियों तक सीमित नहीं है; टेलीविजन और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर इसके हाईलाइट्स को दर्शकों में क्रिकेट का जोश बढ़ाता है। स्टेडियम की भीड़ और ऑनलाइन ट्रैफ़िक दोनों में उछाल देखा गया, खासकर जब शुब्दन गिल की फॉर्म में सुधार और जस्प्रित बुमराह की तेज़ गेंदबाज़ी की चर्चा हुई। इस ऊर्जा ने युवा वर्ग को इस टूर्नामेंट को फॉलो करने के लिए प्रेरित किया, जिससे राष्ट्रीय स्तर पर क्रिकेट की प्रशंसक संख्या में वृद्धि हुई।
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ड्यूप ट्रॉफी सेमीफाइनल के पहले दिवस में नरायण जगेदेसन ने unbeaten 148 बना कर साउथ ज़ोन को 297/3 की मजबूत स्थिति दिलाई। दूसरे दिन वह 197 पर रन आउट हो गया, केवल तीन रन की दूरी पर द्विचक्र शतक से चूकते हुए। उनकी दो महत्वर्ण साझेदारियों ने टीम को 536 रन तक पहुँचाया और चयनकों के सामने उनके बैक‑अप विकेटकीपर के रूप में दावे को मजबूत किया।
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