When working with चंद्रगंधा पूजा, एक प्राचीन हिन्दू व्रत है जिसमें चंद्रदेवता की अर्चना की जाती है. Also known as चंद्रगंधा अमावस्या, it भक्तों को शांति, स्वास्थ्य और आर्थिक समृद्धि का आशीर्वाद दिलाने के लिए मनाया जाता है. यह व्रत अक्सर शरद ऋतु में, अमावस्या की रात में किया जाता है, जिससे अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक मिलता है.
पूजा का मूल हिंदू धर्म, भारत की प्रमुख धार्मिक परम्परा में निहित है, जहाँ कई देवताओं की पूजा दिनचर्या का हिस्सा है। व्रत, एक सच्चाई या लक्ष्य हासिल करने के लिये आत्म-नियंत्रण का उपाय के रूप में चंद्रगंधा पूजा के साथ जुड़ा है; भक्त दिनभर फल‑शाकाहारी भोजन करते हैं और रात्रि में चाँद की रौशनी में जप करते हैं। इस अनुष्ठान में पुराण, धार्मिक ग्रंथों की कहानी संग्रह की कथा सुनना आम है, जिससे धार्मिक ज्ञान का प्रसार होता है.
पूजा में उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्री में चंदन, दीया, काँच के दीप, और चाँद की तरह सफ़ेद फूल शामिल हैं। कई क्षेत्रों में चंद्रगंधा पूजा के बाद दावत में कलेजी, खिचड़ी और मीठा लड्डू सर्व किया जाता है, जो सामुदायिक एकता को बढ़ाता है। आगे पढ़ने में आप देखेंगे कि इस वर्ष के प्रमुख आयोजन कहाँ‑कहाँ हो रहे हैं, कौन‑से मंदिर विशेष रूप से इस दिन को सजाते हैं, और कैसे आप घर में भी सरल उपायों से इस व्रत को सफल बना सकते हैं।
1 अप्रैल 2025 को चैतत्री नव वर्षा त्रयी का तीसरा दिन है, जिसमें चतुर्थी और पंचमी तिथियों का विशेष संगम है। सुबह 6:11 बजे सूर्य का उदय, 11:06 बजे तक बहरानी नक्षत्र और उसके बाद कृतिका नक्षत्र प्रमुख भूमिका निभाते हैं। महाशय-विनायक चतुर्थी और मासिक कर्तिकाई जैसे त्यौहार भी इस दिन मनाए जाते हैं। इस लेख में तिथि‑समय, नक्षत्र‑राशि स्थितियों और शारीरिक‑आध्यात्मिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त की विस्तृत जानकारी दी गई है।
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