मधाबी पुरी बुच और हिडनबर्ग का आरोप
हिडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में सेबी की चेयरपर्सन मधाबी पुरी बुच और उनके पति पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, हिडनबर्ग रिसर्च का दावा है कि मधाबी और उनके पति ने अप्रचलित ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी रखी हुई थी, जिनका इस्तेमाल आदानी 'मनी साइफनिंग स्कैंडल' में किया गया था।
हिडनबर्ग रिसर्च ने जबसे आदानी के खिलाफ अपनी रिपोर्ट प्रकाशित की है, तबसे 18 महीनें बीत चुके हैं और उन्होंने दावा किया है कि इस दौरान सेबी ने इस मामले में कोई खास रुचि नहीं दिखाई है। इस रिपोर्ट में 'व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों' का हवाला देते हुए कहा गया कि मधाबी पुरी बुच और उनके पति ने आदानी नकद निकालने के स्कैंडल में इस्तेमाल होने वाले अप्रचलित ऑफशोर फंड्स में हिस्सेदारी रखी थी। इन फंड्स को विनोद अदानी, जो अदानी समूह के चेयरमैन गौतम अदानी के बड़े भाई हैं, द्वारा नियंत्रित बताया गया है।
मधाबी पुरी बुच का शिक्षाक्षेत्र और करियर
मधाबी पुरी बुच, जो वर्तमान में सेबी की चेयरपर्सन हैं, इस पद को संभालने वाली पहली महिला हैं। 1966 में जन्मी मधाबी ने फोर्ट कॉन्वेंट स्कूल, मुंबई और कॉन्वेंट ऑफ जीसस एंड मैरी, दिल्ली से अपनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने सेंट स्टीफन्स कॉलेज, दिल्ली से गणित में स्नातक किया और बाद में आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए की डिग्री हासिल की। मधाबी ने अपने करियर की शुरुआत आईसीआईसीआई बैंक से की, जहां से उन्होंने आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज़ में स्थानांतरण किया और 2009 में सीईओ के पद तक प्रगति की।
इसके बाद, उन्होंने कई नौकरियां बदलीं, जिसमें ब्रिक्स के 'न्यू डेवलपमेंट बैंक' के लिए भी काम किया। मधाबी पुरी बुच की शादी धवल बुच से हुई है और उनके एक पुत्र, अभय हैं। अप्रैल 2017 में, उन्हें सेबी में पूर्ण-कालिक निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था।
हिडनबर्ग की रिपोर्ट और प्रतिक्रिया
हिडनबर्ग रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि एक आईआईएफएल के प्रमुख द्वारा हस्ताक्षरित फंड की घोषणा में कहा गया कि निवेश का स्रोत 'वेतन' है और इस युगल की कुल संपत्ति लगभग 83 करोड़ रुपये ($10 मिलियन) होने का अनुमान है। हिडनबर्ग के अनुसार, इस फंड स्ट्रक्चर में मदानी और उनके पति की हिस्सेदारी थी, जो कई परतों में बंटा हुआ था और उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में था।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि इस फंड को विनोद अदानी द्वारा नियंत्रित बताया गया है और इसे स्टॉक की कीमत बढ़ाने और धन को चक्करदार रूप में घुमाने के लिए प्रयोग किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि 'सेबी चेयरपर्सन मधाबी बुच और उनके पति ने अप्रचलित ऑफशोर फंड में हिस्सेदारी रखी थी, जो उन्होंने इसलिए किया ताकि सेबी इस मामले मेंर निरीक्षण करते समय उनसे न टकराए।'
रिपोर्ट के अंत में, हिडनबर्ग ने सवाल उठाया कि 'अगर सेबी सच में ऑफशोर फंड होल्डर्स को ढूंढना चाहती है, तो हो सकता है कि सेबी चेयरपर्सन को खुद से ही शुरू करना चाहिए।' उन्होंने यह भी कहा, 'हमें आश्चर्य नहीं होता कि सेबी ने इस मामले में रुचि दिखाने में कमी दिखाई, क्योंकि यह उनकी खुद की चेयरपर्सन से जुड़ा हो सकता है।'
घोटाले की गंभीरता
इस आरोप को लेकर जांच और सवाल उठने की संभावना है, जिससे सेबी के प्रति विश्वास और उसकी विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है। इस स्कैंडल ने भारतीय वित्तीय क्षेत्र में एक बड़ी हलचल मचाई है, और इसने दिखाया है कि कितनी गंभीरता से इस प्रकार के मामलों को देखना और जांचना आवश्यक है।
यदि ये आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न केवल मधाबी पुरी बुच के करियर को प्रभावित कर सकता है, बल्कि सेबी की छवि और उसकी कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाएगा। इन सबके बीच, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भारतीय वित्तीय नियामक संस्था इस मामले को किस तरह से हैंडल करती है और क्या कदम उठाती है।
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