नाम परिवर्तन के पीछे की कहानी
कर्नाटक विधान सभा ने हालिया डॉ. मनमोहन सिंह बेंगलुरु सिटी यूनिवर्सिटी का नाम बदलने के लिये "कर्नाटक स्टेट यूनिवर्सिटीज (अधिनियम) बिल, 2025" को मंजूरी दी। इस विधेयक के तहत 2000 के कर्नाटक स्टेट यूनिवर्सिटीज एक्ट में मौजूदा नाम को बदलकर नया नाम रखा गया है। यह प्रस्ताव पहले मार्च 7 को बजट भाषण में उजागर किया गया और जुलाई में राज्य मंत्रिमंडल द्वारा स्वीकृत हुआ, जिससे अंततः विधायकों की मंजूरी मिली।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. एम.सी. सुधाकर ने इस कदम को "देश के आर्थिक एवं राजनीतिक जीवन में डॉ. सिंह के योगदान का सम्मान" बताया। उन्होंने कहा कि सिंह की आर्थिक उदारीकरण नीतियों ने भारत को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाई, और बेंगलुरु की वैश्विक शिक्षा, नवाचार और बुनियादी ढाँचा विकास में उनका हाथ रहा। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने इसे "भविष्य के विज़नरी नेता" के प्रति श्रद्धांजलि कहा, जो बेंगलुरु को शिक्षा और तकनीकी हब बनाने में मददगार रहे।
बेंगलुरु सिटी यूनिवर्सिटी अब भारत की पहली ऐसी यूनिवर्सिटी बन गई है जिसका नाम किसी राष्ट्रीय स्तर के पूर्व प्रधानमंत्री पर रखा गया है। यह नाम परिवर्तन न केवल शैक्षणिक संस्थान के लिए, बल्कि कर्नाटक की सांस्कृतिक पहचान के लिए भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

विपक्ष की आलोचना और सामाजिक प्रतिक्रिया
हिंदू राष्ट्रवादी पार्टी (बीजेपी) ने इस निर्णय को सख्त आलोचना की। विरोध प्रमुख आर. अशोको ने कहा कि एक मौजूदा संस्थान के नाम बदलने के बजाय एक नई विश्वविद्यालय की स्थापना करना उचित होता, क्योंकि इससे डॉ. सिंह की महत्ता को पूरी तरह से प्रतिबिंबित किया जा सकता था। बीजेपी विधायक सुरेश गोवड्डा ने यह भी कहा कि सरकार ने अन्य कर्नाटक के महान नेताओं को नजरअंदाज किया है।
सोशल मीडिया पर भी इस कदम को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखी गईं। कुछ उपयोगकर्ताओं ने पूछे कि बेंगलुरु की स्थानीय पहचान को क्यों नहीं प्राथमिकता दी गई, जबकि अन्य ने बताया कि सिंह ने बेंगलुरु के बुनियादी ढाँचे में कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को शुरू किया था, जैसे कि:
- 2008 में केम्पेगौडा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्धाटन।
- 2011 में नम्मा मेट्रो के पहले चरण की चालू करना, बायप्पनहली‑एमजी रोड तक की ट्रेन।
- 2006 में बैंगलोर‑इलेक्ट्रॉनिक सिटी एलिवेटेड हाईवे और मेट्रो के प्रारंभिक बुनियादी कार्य।
इन बिंदुओं को देखते हुए सरकार का तर्क था कि डॉ. सिंह की इन परियोजनाओं ने बेंगलुरु को एक वैश्विक शहर में बदल दिया, इसलिए उनके नाम पर विश्वविद्यालय का पुनः नामकरण उचित कदम है। फिर भी, कुछ नागरिकों ने सुझाव दिया कि इस तरह की बड़ी पहल में स्थानीय विद्वानों या सामाजिक कार्यकर्ताओं के नाम को भी महत्व देना चाहिए, ताकि प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता को सम्मान मिले।
विधेयक पारित होने के बाद, कर्नाटक में विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों ने इस परिवर्तन को अपनाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। नाम बदलने की प्रक्रिया के तहत आधिकारिक दस्तावेज़, साइनेज और विश्वविद्यालय की वेबसाइट में परिवर्तन किया जाएगा। इस बीच, छात्रों और शिक्षकों के बीच इस परिवर्तन के व्यावहारिक प्रभावों पर चर्चा चल रही है, विशेषकर डिग्री प्रमाणपत्रों और अनुसंधान साझेदारियों के संदर्भ में।