When working with दुर्गा पूजन, एक ऐसा अनुष्ठान है जिसमें माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. Also known as गौरी पूजा, it भक्तों को शक्ति, साहस और समृद्धि प्रदान करने की मान्यताओं से जुड़ा है. इस पूजन में दुर्गा पूजन केवल रात्रि के समय नहीं, बल्कि कई अवसरों पर विशेष रूप से नवरात्रि में किया जाता है। इसलिए कहा जाता है कि दुर्गा पूजन encompasses नवरात्रि और इससे जुड़ी सामाजिक गतिविधियाँ भी शामिल होती हैं।
दुर्गा पूजन का सबसे बड़ा साथी नवरात्रि, नौ दिनों का उत्सव है जहाँ माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है है। नवरात्रि influences दुर्गा पूजन को और भी रंगीन बनाती है, क्योंकि इस दौरान घर-घर में मण्डप, झिलमिलाते दीप और उत्सव संगीत की व्यवस्था होती है। हर दिन का मुख्य फोकस अलग‑अलग रूप पर होता है – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, कुंबलग्रही आदि – और इन रिवाज़ों के पीछे की कथा के अनुसार भक्त अपनी बाधाओं को दूर करने के लिए विशेष मंत्रों का उपयोग करते हैं। इस तरह नवरात्रि दुर्गा पूजन को एक सामुदायिक अनुभव बनाता है, जहाँ व्यक्तिगत प्रार्थना और सामाजिक भागीदारी दोनों की जगह होती है।
पूजन का अभिभावक घटक अभिषेक, पवित्र जल, दूध, दही और शहद से देवी को स्नान कराना है। अभिषेक requires शुद्ध सामग्री और सही क्रम, जैसे पहला चरण जल से शुरू होना, फिर दूध, फिर दही और अंत में शहद, जिससे देवी दयालु और सुदृढ़ बनती हैं। इस चरण के बाद हवन, अग्नि में विभिन्न सामग्री दहन कर आध्यात्मिक ऊर्जा उत्पन्न करना आता है। हवन का उद्देश्य नकारात्मक ऊर्जा को जलाना और सकारात्मकता को बढ़ाना है, जो दुर्गा पूजन के उद्देश्य – अज्ञानता से मोक्षा – के साथ सीधा संबंध रखता है। दोनों अभिषेक और हवन मिलकर पूजा को पूर्णता प्रदान करते हैं, और यही कारण है कि दुर्गा पूजन की सफलता इन अनुष्ठानों के सही अनुपालन पर निर्भर करती है।
जब आप इस पेज पर नीचे सूचीबद्ध लेख पढ़ेंगे, तो आपको दुर्गा पूजन से जुड़े विभिन्न पहलुओं की विस्तृत जानकारी मिलेगी – चाहे वह इतिहास हो, आधुनिक रिवाज़ हों, या विशिष्ट मंत्र और उनके उच्चारण के टिप्स हों। इस संग्रह में आपको न सिर्फ शारीरिक अनुष्ठान, बल्कि आध्यात्मिक लाभ भी समझ में आएगा, जिससे आप अपने घर या मंदिर में इस पूजन को और प्रभावी बना सकेंगे। अब आगे चलकर आपके सामने सभी संबंधित सामग्री न्यूनतम शब्दों में प्रस्तुत होगी, जिससे आप अपनी तैयारी को मजबूत बना सकें।
30 सितंबर 2025 को दिल्ली‑एनसीआर में तेज़ बारिश ने गर्मी से राहत दी, पर दुषहरा‑दुर्गा पूजा के पंडालों में जलभराव और हवाई अड्डे पर उड़ानों में देरी हुई।
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