जब आप बारिश पूर्वानुमान, वायुमंडलीय संकेतों के आधार पर अगले घंटों, दिनों या हफ़्तों में कितनी वर्षा होगी, कहाँ होगी और कब होगी, इसका अनुमान. इसे रेन फोरकास्ट भी कहा जाता है, तब आप अपनी यात्रा, खेती या दैनिक योजना को बेहतर तरीके से बना सकते हैं।
पहले समझें मौसम विज्ञान, वायुमंडल में होने वाली प्रक्रियाओं का वैज्ञानिक अध्ययन. यह विज्ञान मौसम विभाग, सरकारी निकाय जो राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर मौसम डेटा एकत्रित, विश्लेषित और प्रकाशित करता है को डेटा प्रदान करता है। इन दो संस्थाओं का मिलन ही सटीक बारिश पूर्वानुमान को सक्षम बनाता है।
एक मुख्य संबंध यह है कि बारिश पूर्वानुमान बाढ़ जोखिम, विशेष रूप से भारी बारिश के बाद जल स्तर बढ़ने से उत्पन्न होने वाली संभावित क्षति को आकलन करने में मदद करता है। जब पूर्वानुमान संकेत देता है कि किसी क्षेत्र में 100 mm से अधिक वर्षा होगी, तो स्थानीय अधिकारियों को चेतावनी जारी करनी चाहिए, राहत कार्य की तैयारी करनी चाहिए और निवासियों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाना चाहिए।
आज के समय में जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि और उसके प्रभाव भी बारिश के पैटर्न को बदल रहा है। औसत वर्षा की मात्रा, बारिश की तीव्रता और वर्षा के मौसमी वितरण में बदलाव हो रहा है, जिससे पहले के मानक पूर्वानुमान मॉडल कभी‑कभी पुरानी हो जाते हैं। इसलिए तकनीकी संस्थाओं को नए एल्गोरिद्म, उपग्रह इमेजरी और मशीन लर्निंग को अपनाना पड़ता है।
पहला कारण यह है कि यह रोज़मर्रा की ज़िंदगी को सीधे प्रभावित करता है। चाहे आप किसान हों, जो फसल बुवाई के लिए सही समय देख रहे हैं, या यात्रा करने वाले जो सड़क या एयरपोर्ट की स्थिति जानना चाहते हैं, या कोई व्यापारी जो लॉजिस्टिक्स योजना बना रहा है—बारिश पूर्वानुमान उन्हें सही निर्णय लेने में मदद करता है। दूसरा, यह आपदा प्रबंधन का अभिन्न हिस्सा है। बाढ़, भूस्खलन या जलभराव जैसी आपदाएँ अक्सर अचानक नहीं, बल्कि पूर्वानुमान संकेतों से पहले से ही संकेत देती हैं। जल्द चेतावनी मिलने पर निवारक कदम उठाकर जान‑माल की हानि को काफी हद तक घटाया जा सकता है। तीसरा, यह जल संसाधन प्रबंधन में उपयोगी है। जल संग्रहीत करने के लिये जलाशयों की भराई या जलस्रोत की सुरक्षा का नियोजन भी वर्षा पूर्वानुमान पर निर्भर करता है।
जब आप इस टैग पेज पर आते हैं, तो आपको कई लेख मिलेंगे जो विभिन्न पहलुओं को कवर करते हैं: प्रादेशिक बारिश अलर्ट, मौसम विभाग की आधिकारिक रिपोर्ट, मौसम विज्ञान की नई तकनीकें, बाढ़ प्रबंधन के केस स्टडी और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर विशेषज्ञों की राय। प्रत्येक लेख में वास्तविक आँकड़े, ग्राफ़ और स्थानीय सुझाव शामिल हैं, जिससे आप जल्दी में भी उपयोगी जानकारी निकाल सकें।
हमने उन लेखों को इस तरह क्रमबद्ध किया है कि पहली नजर में आपको सबसे ताज़ा चेतावनी मिल जाए और बाद में गहराई से समझने वाले विस्तृत विश्लेषण तक पहुँच सके। चाहे आप सिर्फ 5‑minute का सार पढ़ना चाहते हों, या पूरे रिपोर्ट को विस्तार से देखना चाहते हों—यहाँ सब है। अब नीचे स्क्रॉल करके देखें कि आज के मौसम में कौन‑से शहरों में बारिश की संभावना सबसे अधिक है, कौन‑से क्षेत्र में बाढ़ के खतरे हैं, और कैसे अपने दैनिक शेड्यूल को अनुकूलित कर सकते हैं।
इंडियन मौसम विज्ञान विभाग ने 26 सितम्बर को पश्चिम बंगाल, गुजरात और केरल में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। गुजरात में 27‑30 सितम्बर तक तेज़ वर्षा की संभावना है, जबकि दक्षिण गुजरात और सौरा त्रा में हल्की‑मध्यम बारिश जारी रहेगी। दिल्ली‑एनसीआर और उत्तर प्रदेश में मिलीजुली परिस्थितियाँ बनेंगी। सभी नागरिकों को बारी‑बारी से अपडेट लेते रहने और आवश्यक सुरक्षा उपाय अपनाने की सलाह दी गई है।
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