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देव उठनी एकादशी 2024: देवताओं के जागरण के अनुष्ठान और महत्वपूर्ण विधियाँ

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देव उठनी एकादशी 2024: देवताओं के जागरण के अनुष्ठान और महत्वपूर्ण विधियाँ
  • नव॰, 13 2024
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

देव उठनी एकादशी का अद्वितीय महत्व

देव उठनी एकादशी भारतीय धर्म और संस्कृति में एक अत्यधिक श्रद्धा से मनाया जाने वाला त्यौहार है। यह हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है, जो इस बार 12 नवंबर, 2024 को पड़ रही है। यह दिन भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागने का समय है।

यह एकादशी त्योहार चार महीने की अवधि के बाद आती है, जिसे चातुर्मास कहा जाता है। इन चार महीनों को शुभ कार्यों के लिए अवरोधक माना जाता है, क्योंकि इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं। जैसे ही यह दिन आता है, इसके साथ ही शादी और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत होती है।

इस दिन हिन्दू भक्त विशेष धार्मिक गतिविधियां और अनुष्ठान करते हैं। विशेषतः, धार्मिक गीतों का गान बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। पारंपरिक गीत जैसे 'उठो देव बैठो देव' और 'मूली का पत्ता हरिया भरिया' गाए जाते हैं। यह गीत भगवान विष्णु और अन्य देवताओं को जागरूक करने के लिए होते हैं।

देवताओं का जागरण: उपवास और पूजा विधान

इस विशेष अवसर पर, भक्तगण उपवास रखते हैं और विधिवत पूजा अर्चना करते हैं। उपवास का धार्मिक मान्यता में अत्यधिक महत्व है, जो भक्तों को तन, मन और आत्मा से शुद्ध करता है। उपवास के दौरान केवल फल-फूल का ही सेवन किया जाता है। भक्त विशेष रूप से भगवान विष्णु के लिए झांकी सजाते हैं और उनकी विशेष पूजा करते हैं।

इस दिन का एक और महत्वपूर्ण तत्व तुलसी विवाह है, जो देव उठनी एकादशी के अगले दिन होता है। यह विवाह भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप और तुलसी के बीच होता है। यह अद्वितीय धार्मिक घटना विवाह समारोहों का शुभारंभ माना जाता है।

संस्कृति और परंपराओं का समागम

सभी त्यौहार हमारी समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को संजोने का काम करते हैं, और देव उठनी एकादशी किसी से कम नहीं है। परिवार और समुदाय इस दिन के लिए विशेष भोजन तैयार करते हैं, जिसमें सात्विक और पौष्टिक तत्व शामिल होते हैं। यह दिन प्रेम और सौहार्द का प्रतीक है, जो भगवान और उनके भक्तों के मध्य के रिश्ते को और प्रगाढ़ बनाता है।

त्यौहार को समाज में भक्ति भावना से जोड़ने का यह अनोखा तरीका लोगों को उनकी संस्कृति और परंपराओं की जड़ों से जोड़ने का कार्य करता है। यह समृद्ध परंपराएं आने वाली पीढ़ियों को यह सुनिश्चित करने का अवसर देती हैं कि वे अपनी सभ्यता और धार्मिक आस्थाओं के प्रति जागरूक और सम्मानजनक रहें।

अधिकांश जनमानस के लिए प्रेरणा का स्रोत

अधिकांश जनमानस के लिए प्रेरणा का स्रोत

देव उठनी एकादशी न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक समारिक जीवन में भी सद्गुणों का समावेश करने की प्रेरणा देता है। यह हमें यह सिखाता है कि परमात्मा के प्रति सच्ची भक्ति और श्रद्धा किस प्रकार हमें हमारे जीवन के प्रत्येक दिन को और अधिक महत्वपूर्ण बनाने में मदद कर सकती है।

ऐसे त्यौहार, जो भक्ति, समर्पण और संस्कृति का संगम होते हैं, जीवन को खुशियों और प्रेम से भरने का सन्देश देते हैं। देव उठनी एकादशी का आयोजन न केवल धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करता है, बल्कि सामाजिक बंधनों को भी मजबूत करता है, जिससे व्यक्ति अपने समाज और परंपरा के प्रति और अधिक जिम्मेदार बनता है।

Divya B
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Divya B

17 टिप्पणियाँ

Sumitra Nair

Sumitra Nair

देव उठनी एकादशी का महत्त्व तो शब्दों में बयां करना कठिन है, परन्तु इसके अनुष्ठान हमारे आध्यात्मिक जागरण को प्रतीकात्मक रूप से दर्शाते हैं। इस पर्व में गाए जाते गीते मात्र संगीत नहीं, बल्कि आत्मा की पुकार हैं। प्रत्येक चरण में श्रद्धा और शुद्धता का अनुसंधान किया जाता है, जो जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी परिलक्षित होता है। 🌟😊

Ashish Pundir

Ashish Pundir

रिवाजों की गहराई समझें तो ध्यान दिया जाता है कि फास्ट से शारीरिक शुद्धता बढ़ती है; यह सिर्फ रिवाज नहीं, बल्कि वैज्ञानिक आधार भी रखता है।

gaurav rawat

gaurav rawat

बहुत बढ़िया जानकारी 🙌 हम सबको इसको अपनाने से ही जीवन में शांति और सुख का अनुभव होगा। हमेशा याद रखो, छोटी-छोटी चीज़ों में भी आनंद खोजो! 😊

Vakiya dinesh Bharvad

Vakiya dinesh Bharvad

सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यह उत्सव हमारे धरोहर की धड़कन है। इसे मनाने से सामुदायिक बंधन मजबूत होते हैं। 😊

Aryan Chouhan

Aryan Chouhan

ईब देखते ही, लोनग़े... उफ्फ इस तरह के परम्पराओं में तो अभी भी बहुत सारा झंझट है, सही में? 🙄

Tsering Bhutia

Tsering Bhutia

देव उठनी एकादशी न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह सामाजिक और मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी बहुत गहरा प्रभाव डालती है।
पहले तो यह हमें उपवास के माध्यम से शारीरिक शुद्धि की ओर ले जाता है, जिससे शरीर में ऊर्जा का संतुलन बनता है।
दूसरा, यह दिन हमें आत्म-निरीक्षण करने की प्रेरणा देता है, जिससे हम अपने भीतर की गहराइयों को समझ पाते हैं।
तीसरा, इस पर्व में गाए जाने वाले भजन और गीत हमें एकता और सामुदायिक भावना का बोध कराते हैं।
चौथा, तुलसी विवाह जैसे अनुष्ठान सामाजिक बंधनों को सुदृढ़ करते हैं और परिवार में प्रेम के नए आयाम जोड़ते हैं।
पाँचवाँ, धार्मिक आयोजन के दौरान लोग एक साथ भोजन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं, जिससे सांस्कृतिक समृद्धि में इज़ाफ़ा होता है।
छठा, यह विंडो है हमें यह याद दिलाने की कि आध्यात्मिक जागरण का अर्थ बाहर की चीज़ों से नहीं, बल्कि भीतर की शुद्धि से है।
सातवाँ, इस दिन के अनुष्ठान व्रत के साथ साथ ध्यान और प्रार्थना भी होते हैं, जो मानसिक शांति को बढ़ाते हैं।
आठवाँ, ये सभी कार्य मिलकर समाज में सकारात्मक ऊर्जा का प्रसार करते हैं, जिससे सामाजिक तनाव कम होता है।
नौवाँ, इस उत्सव की मान्यताएँ हमें पर्यावरणीय संरक्षण की ओर भी प्रेरित करती हैं, क्योंकि कई परम्पराएँ प्रकृति के साथ सामंजस्य पर बल देती हैं।
दसमाँ, लोग इस दिन अपने घरों को साफ़-सुथरा रखते हैं, जिससे स्वच्छता की भावना बढ़ती है।
ग्यारहवाँ, इस तरह के परम्पराओं का पालन युवा पीढ़ी को सांस्कृतिक धरोहर से जोड़ता है और उनके भीतर गर्व की भावना जगाता है।
बारहवाँ, अंत में, यह पर्व हमें सिखाता है कि हर दिन को विशेष बनाने की शक्ति हमारे भीतर ही है, और हमें बस वही करना है।
इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर, आप देख सकते हैं कि देव उठनी एकादशी न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह सम्पूर्ण समाज के विकास का आधार भी बनती है। 😊

Narayan TT

Narayan TT

ऐसा लगता है कि यह पर्व सिर्फ पुरानी रिवाज़ों का पुनरुत्थान है, पर असली गहराई नहीं दिखती।

SONALI RAGHBOTRA

SONALI RAGHBOTRA

देव उठनी एकादशी के बारे में कई लोग केवल उत्सव मानते हैं, परन्तु यह शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करने का एक संपूर्ण उपाय है।
उपवास के माध्यम से शरीर में टॉक्सिन्स बाहर निकलते हैं, जिससे ऊर्जा स्तर बढ़ता है।
एकादशी के दिन विशेष प्रार्थनाएँ और मंत्र जपने से मन का शोर कम होता है और ध्यान केंद्रित रहता है।
परिवार में इस अवसर को एक साथ मनाने से पारिवारिक संबंधों में स्नेह की वृद्धि होती है।
भोजन में सात्विक और पौष्टिक तत्वों को शामिल करने से पोषण का संतुलन बेहतर बनता है।
तुलसी विवाह जैसे अनुष्ठान सामुदायिक एकजुटता को बढ़ावा देते हैं और सामाजिक बंधनों को मजबूत बनाते हैं।
संगीत और भजन से मन में शांति मिलती है और भावनात्मक स्थिरता आती है।
इन सभी गतिविधियों का समग्र प्रभाव यह है कि व्यक्ति अपने दैनिक जीवन में अधिक स्फूर्ति और सकारात्मकता महसूस करता है।

sourabh kumar

sourabh kumar

चलो दोस्तों, सब मिलकर इस एकादशी को धूमधाम से मनाते हैं! ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार ही जीवन को रंगीन बनाता है। 🤗

khajan singh

khajan singh

संभोगवादी दृष्टिकोण से देखे तो, इस उत्सव में सामाजिक नेटवर्किंग का भी एक विस्तृत ढांचा मौजूद है। #CulturalSynergy 😊

Dharmendra Pal

Dharmendra Pal

देव उठनी एकादशी का पालन करने से शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है और मन को शांति मिलती है। इस अवसर पर उपवास और प्रार्थना का महत्व समझना चाहिए।

Balaji Venkatraman

Balaji Venkatraman

हम सबको इस तरह के धार्मिक अनुष्ठानों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि यह नैतिक मूल्यों को सुदृढ़ करता है।

Tushar Kumbhare

Tushar Kumbhare

भाई लोग, इस एकादशी को हंसते‑खेलते मनाओ, सकारात्मक ऊर्जा सबको मिलेगी! 😄

Arvind Singh

Arvind Singh

ओह, क्या बड़े बड़े शब्दों में बात कर रहे हो, लेकिन असल में सब कुछ वही पुरानी रिवाज़ है जो कोई नहीं बदलता। 🙄

Vidyut Bhasin

Vidyut Bhasin

इसी तरह के त्यौहार हमें आधुनिकता से दूर नहीं ले जाते, बल्कि एक प्रकार की नॉस्टाल्जिया में फँसाते हैं।

nihal bagwan

nihal bagwan

देशभक्तों के लिए यह उत्सव सिर्फ एक धार्मिक समारोह नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। हमें इस भावना को बढ़ावा देना चाहिए।

Arjun Sharma

Arjun Sharma

चलो मिलके इस एकादशी को organize करें, so that community engagement सशक्त बन सके। 😎

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