When working with बहरानी नक्षत्र, एक नक्षत्र जो उत्तरायण में दिसम्बर के अंत से जनवरी की शुरुआत तक आकाश में दिखाई देता है. Also known as Baharani, it ज्योतिषीय भविष्यवाणी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. साथ ही बहरानी राशि, वह राशि जो बहरानी नक्षत्र के नीचे आती है और ज्योतिष विज्ञान, आकाशीय पिंडों के प्रभाव को समझने की शास्त्र इस नक्षत्र के अध्ययन में सहायक हैं.
बहरानी नक्षत्र का मुख्य तारा बहरू है, जो मीन राशि के अंत में स्थित है – यह एक स्पष्ट subject‑predicate‑object संबंध है: बहरानी नक्षत्र में बहरू तारा शामिल है. इस नक्षत्र के उदय समय अक्सर मानसून की शुरुआत से मेल खाता है, इसलिए मौसम विज्ञानों में बहरानी नक्षत्र का उल्लेख किया जाता है. आजकल कई समाचार पोर्टल बारिश, लैंडस्लाइड और बाढ़ जैसी घटनाओं को बहरानी नक्षत्र के क्षणिक परिवर्तन के साथ जोड़ते दिखते हैं; यह एक दूसरा ट्रिपल है: बहरानी नक्षत्र प्रभावित करता है मौसम, मौसम निर्धारित करता है कृषि, कृषि बनाती है अर्थव्यवस्था.
ज्यादातर लोग राशिफल पढ़ते समय बहरानी नक्षत्र की स्थिति को नहीं देखते, पर यह राशिफल, ज्योतिषीय चार्ट में दैनिक भविष्यवाणी के आधार पर निवेश, यात्रा और खेल रणनीति तय कर सकते हैं. अगर बहरानी नक्षत्र कर्क में प्रवेश करता है, तो शेयर बाजार में जोखिम बढ़ने की संभावना रहती है – यही वजह है कि कई वित्तीय विश्लेषक इस अवधि में रूढ़ि‑विरोधी कदम उठाते हैं. इसी तरह क्रिकेट में भी खिलाड़ी की फॉर्म पर नक्षत्र का असर देखा गया है; जब बहरानी नक्षत्र की स्थिति अनुकूल होती है, तो शुगर‑जैसे तेज़ अग्रेसर अक्सर बड़े स्कोर बनाते हैं – जैसा कि recent articles में भारत के टेस्ट जीत और महिला क्रिकेट की ऐतिहासिक जीत में उल्लेख मिला है.
बहरानी नक्षत्र को समझने के लिए पंचांग, तिथि और ग्रहों की गति को साथ देखना ज़रूरी है. शनि, बृहस्पति और शुक्र की स्थिति मिलकर नक्षत्र की शक्ति को बढ़ाती या घटाती है, और यही कारण है कि लोग शुभ तिथियों पर शादी, नई नौकरी या बड़े व्यापारिक सौदे तय करते हैं. यहाँ आप न केवल बहरानी नक्षत्र की वैज्ञानिक परिभाषा पाएँगे, बल्कि दैनिक समाचारों में इसका प्रयोग कैसे होता है, इसका भी स्पष्ट चित्रण मिलेगा – चाहे वह दिल्ली‑एनसीआर में तेज़ बारिश हो, या भारतीय शेयर बाजार की गिरावट, या फिर क्रिकेट में ध्रुव जुरेल के शतक. इस पूरी संग्रह में आप विभिन्न क्षेत्रों में बहरानी नक्षत्र के प्रभाव को पढ़ते हुए, अपनी योजना बनाना आसान पाएँगे.
1 अप्रैल 2025 को चैतत्री नव वर्षा त्रयी का तीसरा दिन है, जिसमें चतुर्थी और पंचमी तिथियों का विशेष संगम है। सुबह 6:11 बजे सूर्य का उदय, 11:06 बजे तक बहरानी नक्षत्र और उसके बाद कृतिका नक्षत्र प्रमुख भूमिका निभाते हैं। महाशय-विनायक चतुर्थी और मासिक कर्तिकाई जैसे त्यौहार भी इस दिन मनाए जाते हैं। इस लेख में तिथि‑समय, नक्षत्र‑राशि स्थितियों और शारीरिक‑आध्यात्मिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त की विस्तृत जानकारी दी गई है।
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