भारतीय शेयर बाजार में वृद्धि की वापसी
7 जनवरी, 2025 को भारतीय शेयर बाजार ने एक नई उत्साहजनक शुरुआत की। बीएसई सेंसेक्स में 234 अंकों की बढ़त देखी गई जिससे यह 78,176.48 पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी 91 अंक अधिक होकर 23,717.20 पर खड़ा हुआ। इस दिन की प्रमुख बात यह रही कि निफ्टी 23,700 के महत्वपूर्ण अंक को दोबारा प्राप्त करने में सफल रहा, जिससे निवेशकों के बीच सकारात्मक सोच का संचार हुआ।
स्मॉलकैप शेयरों की चमक
इस तेजी का एक हिम्मत देने वाला तत्व यह था कि स्मॉलकैप शेयरों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। बीएसई स्मॉलकैप इंडेक्स 1.7% की बढ़ोतरी के साथ बंद हुआ। ऐसा लग रहा है कि छोटे निवेशक वर्ग ने आकर्षक लाभ की संभावना देखी, जिसने उन्हें इन शेयरों में निवेश बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। साथ ही, बीएसई मिडकैप इंडेक्स में भी 0.8% की उछाल देखी गई, जो बाजार में व्यापक सुधार का संकेत देता है।
प्रमुख बढ़त वाले शेयर
व्यापार में कुछ प्रमुख शेयरों ने भी अच्छा प्रदर्शन किया। ओएनजीसी, टाटा मोटर्स और रिलायंस इंडस्ट्रीज ने प्रमुख बढ़त दर्ज की, जिन्होंने बाजार की धारणा को स्थिर रखा। जहां एक ओर इन दिग्गज कंपनियों की वजह से समग्र बाजार में आत्मविश्वास का संचार हुआ, वहीं दूसरी ओर कुछ कंपनियां जैसे ट्रेंट, टीसीएस और आइचर मोटर्स को नुकसान हुआ। यह दर्शाता है कि यहां तक कि बाजार में तेजी के दौरान कुछ कंपनियों को उत्कृष्टता की आवश्यकता होती है।
विनिमय दर और धातु की कीमतें
विनिमय दरों की दृष्टि से भारतीय रुपया 85.74 प्रति डॉलर पर था, जो अंतरराष्ट्रीय आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार स्थिर बना हुआ था। वहीँ, सोने की कीमत एमसीएक्स पर 77,245 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जबकि चांदी की कीमतें 0.5% बढ़कर 91,044 रुपये प्रति 1 किलोग्राम हो गई। इन धातुओं की कीमतों में इस तरह का उतार-चढ़ाव वित्तीय बाजार में आसानी बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होता है।
अन्य बाजार समाचार
इसके अलावा, मोबिक्विक के शेयर मूल्य में 14% की बढ़त हुई जब कंपनी ने सितंबर 2024 की तिमाही में अपने घाटे को कम किया। यह दर्शाता है कि टेक कंपनियों में दृढ़ता अभी भी बनी हुई है। एनसीसी के शेयरों में भी 5% की वृद्धि देखी गई जब उन्होंने बेंगलुरु उपनगरीय रेल परियोजना के लिए 5 अरब रु के अनुबंध की घोषणा की। यह संकेत देता है कि बुनियादी ढांचा क्षेत्र में लगातार निवेश और विकास अभी भी आकर्षक बना हुआ है।
वैश्विक बाजार की स्थिति
वैश्विक बाजार में भी गतिविधियां तुलनीय रूप से प्रभावशाली रहीं। अमेरिकी डॉलर एक सप्ताह के निम्नतम स्तर के करीब रहा। रिपोर्टों में सुझाव दिया गया था कि नए ट्रंप प्रशासन के तहत दरों पर अधिक अनुकूल नीतियां अपनाई जा सकती हैं। इस खबर का असर यह हुआ कि एसएंडपी 500 और नैस्डैक कंपोजिट में तेजी आई। वहीं यूरो, येन और अन्य मुद्रा की स्थिति में भी सामान्य हलचलें देखी गई।
उपरोक्त सब मिलाकर, भारतीय बाजार और वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में ऐसी गतिविधियां विकास की ओर बढ़ने का संकेत देती हैं। निवेशकों के लिए इन सकारात्मक संकेतों को समझकर भविष्य की रणनीतियां बनाना आवश्यक होता है।
8 टिप्पणियाँ
Sri Prasanna
सेंसेक्स का यह मामूली उछाल वास्तव में बाजार की सतही फजीहत को दर्शाता है। कई निवेशक इसे बड़ी जीत समझते हैं परन्तु सच्ची गहराई में यह केवल अल्पकालिक उत्साह है। निफ्टी के 23,700 को फिर नया करने की कोशिश में बाजार ने खुद को कच्चा साबित किया। स्मॉलकैप शेयरों की चमक भी एक लुभावना भ्रम है जो अस्थायी लाभ को बढ़ावा देता है। बड़े‑बड़े नाम जैसे टाटा मोटर्स या रिलायंस का प्रदर्शन स्थिर दिखता है परंतु उनके पीछे की बुनियादी स्थिति अडिग नहीं है। ट्रेंट, टीसीएस और आइचर मोटर्स जैसी कंपनियों की गिरावट यह सिद्ध करती है कि ऊँची गति में भी स्थिरता नहीं रहती। विनिमय दरों की स्थिरता को अक्सर आशावाद का झूठा संकेत माना जाता है। सोने की कीमतों में मामूली उतार‑चढ़ाव भी निवेशकों को भ्रमित करता है। वैश्विक बाजार में डॉलर की कमजोरी को सिर्फ अमेरिकी नीति के कारण नहीं, बल्कि व्यापक आर्थिक अनिश्चितता का परिणाम समझना चाहिए। अमेरिकी ट्रम्प प्रशासन की संभावित नीति परिवर्तन पर अति आशावादी रहना भी निवेशकों को धोखा देता है। भूराजनीतिक तनावों को नज़रअंदाज़ करके मार्केट को हल्का करना एक बड़ी गलती है। बुनी हुई पूंजी की लहरें केवल तब ही स्थायी होती हैं जब वास्तविक उत्पादन में वृद्धि हो। इन्फ़्रास्ट्रक्चर में निवेश वाकई में महत्त्वपूर्ण है परन्तु उसका वित्तीय लाभ तुरंत नहीं दिखता। इसलिए आज का उत्सव निरन्तर नहीं रहेगा और अगले महीने में गिरावट का संभवना है। समग्र रूप से मैं कहूँगा कि यह बाजार की झूठी जलवा है और सच्ची समझदारी से ही आगे बढ़ा जा सकता है।
Sumitra Nair
निवेश के संदर्भ में सतही उपलब्धियों पर अतिव्यापी उल्लास न करें। 😊
Ashish Pundir
भारी दोहन के बाद छोटे‑छोटे स्टॉक्स में झपकी लेना जोखिम भरा है। बेहतर होगा स्थिर ब्लू‑चिप पर टिके रहें।
gaurav rawat
बिलकुल सही बात है दोस्त 🙌 छोटे शेयरों में धीरज जरूरी है।
Vakiya dinesh Bharvad
भारतीय निवेश संस्कृति में दीर्घकालिक सोच को बढ़ावा देना चाहिए :)
Aryan Chouhan
हां यार ये सब तो ठीक है पर असली माटी में कूदके देखो तो देखोगे की कई बार मार्केट ऐसा ही झटकता है और फालतू बातों में टाइम बर्बाद नहीं करना चाहिए।
Tsering Bhutia
मार्केट की ऊँचाई को देखते हुए कुछ बुनियादी रणनीति अपनाना फायदेमंद रहेगा।
पहले तो पोर्टफ़ोलियो में विभिन्न सेक्टर के स्टॉक्स मिलाना चाहिए ताकि जोखिम कम हो।
स्मॉलकैप की संभावनाओं को देखते हुए आप एक छोटा हिस्सा ही डालें और बाकी को ब्लू‑चिप में रखें।
विनिमय दर और धातु की कीमतों का ध्यान रखें क्योंकि ये मैक्रो फ़ैक्टर्स आपके निवेश को प्रभावित कर सकते हैं।
अन्त में, नियमित रूप से अपने लक्ष्य की समीक्षा करें और अतिरंजित उत्सव में नहीं फँसें।
Narayan TT
आपकी मध्यम स्तर की सलाह बौद्धिक आहार नहीं, यह सिर्फ सतही विचार हैं।