Katrina Kaif गर्भावस्था ने भारतीय सिनेमा प्रेमियों में हलचल मचा दी है। 42 वर्ष की उम्र में वह और उनके पति विकी कौशल अपनी पहली संतान की उम्मीद कर रहे हैं, जिसका अनुमानित जन्म अक्टूबर‑नवंबर 2025 के बीच है। यह खबर सिर्फ एक सितारे के परिवार की नहीं, बल्कि उन शहरी महिलाओं की बड़ी प्रवृत्ति को दर्शाती है जो करियर, शिक्षा और आर्थिक स्थिरता के बाद मातृत्व को अपनाती हैं।
उन्नत मातृत्व आयु के साथ क्या चुनौतियाँ आती हैं?
डॉक्टरों के अनुसार 35 वर्ष से आगे की उम्र में गर्भधारण कई प्रकार के जोखिमों को जन्म देता है। प्रमुख कारणों में प्रजनन क्षमता की गिरावट, प्रसव के दौरान जटिलताएँ और शिशु में जन्मजात रोगों की संभावना शामिल है।
- प्रजनन क्षमता में गिरावट: 40‑44 वर्ष की उम्र में एक लुप्तावस्था चक्र में गर्भधारण की संभावना केवल 5 % तक घट जाती है, और 45 के बाद यह 1 % तक गिर जाती है।
- हृदय‑संबंधी समस्याएँ, उच्च रक्तचाप और मधुमेह जैसी पुरानी बीमारियों का बढ़ा जोखिम।
- प्रसव के दौरान रक्तस्राव, प्री‑एक्लेम्पसिया या भ्रूण में क्रोमोसोमल विकार जैसे डाउन सिंड्रोम की संभावना।
- गर्भावस्था के दौरान Miscarriage (गर्भपात) का जोखिम थोड़ा अधिक।
इन जोखिमों को कम करने के लिए डॉक्टरों ने एक विस्तृत प्री‑कॉनसिप्शन प्रोटोकॉल का सुझाव दिया है। इसमें न केवल माँ की शारीरिक स्थिति, बल्कि पति की स्वास्थ्य जांच भी शामिल होती है।

सुरक्षित गर्भावस्था के लिए प्रमुख सुझाव
उन्नत आयु में गर्भधारण को सुरक्षित बनाने के लिए नीचे दिए गये कदमों पर विशेष ध्यान देना चाहिए:
- समग्र स्वास्थ्य जांच: गर्भधारण से पहले रक्त में शर्करा, कोलेस्ट्रॉल, थायरॉयड और लिपिड प्रोफ़ाइल की जांच कराएँ। किसी भी मौजूदा बीमारी को नियंत्रित करने के लिए डॉक्टर की सलाह अनिवार्य है।
- वजन को सही स्तर पर रखें: BMI 18.5‑24.9 के बीच आदर्श माना जाता है। बहुत कम या अधिक वजन दोनों ही जटिलताएँ बढ़ा सकते हैं।
- शराब, तंबाकू और अवैध ड्रग्स से पूरी तरह परहेज करें। ये पदार्थ गर्भस्थ शिशु के विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं।
- नियमित व्यायाम: हल्की योगा, तैराकी या तेज़ चलना वजन नियंत्रण और रक्त प्रवाह में सुधार करता है।
- समुचित पोषण: फॉलिक एसिड (400 µg), आयरन, कैल्शियम, विटामिन B12 और विटामिन D से भरपूर आहार अपनाएँ। हरी पत्तेदार सब्जियाँ, दालें, नट्स, दूध और कम‑चर्बी वाले प्रोटीन स्रोत प्रमुख हों।
- प्री‑नेटल देखभाल: हर 2‑4 हफ्ते में डॉक्टर के पास चेक‑अप कराएँ। अल्ट्रासाउंड, रक्त के दबाव, शुगर और हेमोग्लोबिन स्तर की निरंतर निगरानी आवश्यक है।
- जीनैटिक स्क्रीनिंग: 35 वर्ष से ऊपर की उम्र में CVS (कोरियनिक वैलस सैंपलिंग) या एम्नियोसेंसिस जैसी जांच करवाना फायदेमंद हो सकता है। यह डाउन सिंड्रोम या अन्य क्रोमोसोमल असामान्यताओं की प्रारम्भिक पहचान में मदद करता है।
- स्ट्रेस मैनेजमेंट: ध्यान, प्राणायाम या हल्की संगीत थैरेपी तनाव को कम करती है, जिससे माँ और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य बेहतर रहता है।
- पर्याप्त नींद: रोज़ाना 8‑9 घंटे की गहरी नींद शरीर की हार्मोनल संतुलन को बनाए रखती है और इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है।
- सेक्सुअली ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन (STI) की जांच: दोनों भागीदारों को आवश्यक टेस्ट कराना चाहिए ताकि किसी भी संभावित संक्रमण को पहले ही रोका जा सके।
इन सिफ़ारिशों को अपनाते हुए कई महिलाएँ 40‑साल की उम्र में बिना किसी जटिलता के स्वस्थ शिशु को जन्म देती हैं। मुख्य बात यह है कि प्रत्येक चरण में डॉक्टर के साथ निरंतर संवाद रखें और prescribed दवाओं या सप्लीमेंट्स को नियमित रूप से लें।
कत्रिना कैफ़ के मामले में भी उनके चिकित्सीय टीम ने इन सभी उपायों को लागू किया है, जिससे उनका प्री‑नेटल यात्रा सुरक्षित और सहज रह सके। इस प्रकार, उम्र सिर्फ एक अंक है, वास्तविक चुनौती तो सही देखभाल और जागरूकता में निहित है।