क्या है नया शेड्यूल
कर्नाटक और तेलंगाना के स्कूलों ने 2025 के लिए दशहरा अवकाश को इस बार लंबा रखा है। आधिकारिक शेड्यूल के मुताबिक स्कूल 24 सितंबर (बुधवार) से 5 अक्टूबर (रविवार) 2025 तक बंद रहेंगे। नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर को घटस्थापना से मानी जा रही है, इसलिए कई गतिविधियां और पारिवारिक तैयारियां उससे पहले ही शुरू हो जाती हैं। यही वजह है कि कुछ जिलों में साप्ताहिक छुट्टियों, स्थानीय पर्व और वैकल्पिक अवकाश जोड़कर यह ब्रेक कुल 12 से 17 दिन तक जा सकता है।
यह कैलेंडर उन घरों के लिए राहत है जहां नौ दिनों की पूजा-पाठ, गरबा-डांडिया, बथुकम्मा जैसे क्षेत्रीय उत्सव और दुर्गा पंडाल दर्शन परिवार के साथ किए जाते हैं। दोनों राज्यों के शिक्षा विभागों ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों का शेड्यूल मिलाकर तय किया है ताकि बच्चे त्योहारों में बिना पढ़ाई का दबाव महसूस किए शामिल हो सकें।
- 22 सितंबर 2025: घटस्थापना, नवरात्र का आरंभ
- 24 सितंबर से 5 अक्टूबर 2025: स्कूल अवकाश अवधि (राज्य सरकार के शैक्षणिक कैलेंडर के अनुरूप)
- 29 सितंबर 2025: महासप्तमी (स्कूल बंद)
- 30 सितंबर 2025: महाअष्टमी (स्कूल बंद)
- अवकाश के दौरान: दुर्गा पूजा, विजयदशमी और तेलंगाना में बथुकम्मा उत्सव की मुख्य तिथियां इसी खिड़की में
यह स्पष्ट रहे कि निजी स्कूल, आवासीय स्कूल और कुछ बोर्ड-संबद्ध संस्थाएं अपने-अपने परिपत्र के अनुसार एक-दो दिन का अंतर रख सकती हैं। अभिभावकों के लिए सबसे सुरक्षित तरीका यही है कि वे स्कूल की आधिकारिक सूचना पर ही अंतिम तिथि मानें।

पढ़ाई, परिवार और यात्रा—इस ब्रेक का असर
इतनी लंबी छुट्टी में सबसे बड़ा सवाल पढ़ाई पर असर का होता है। आमतौर पर कर्नाटक और तेलंगाना में टर्म-1 मूल्यांकन सितंबर के तीसरे-चौथे हफ्ते या अवकाश के तुरंत बाद रखे जाते हैं। इस बार कई स्कूल अवकाश से पहले यूनिट टेस्ट निपटा रहे हैं ताकि ब्रेक सचमुच त्योहारों के नाम हो। जहां टेस्ट बाद में हैं, वहां गृहकार्य और प्रोजेक्ट आधारित असाइनमेंट दिए जा रहे हैं—जैसे नवरात्र के नौ रूप, मैसूरु दशहरा की परंपराएं, या बथुकम्मा की सांस्कृतिक कहानी पर लघु-प्रोजेक्ट।
छात्रों के लिए काम की रणनीति क्या हो? एक, छुट्टी की शुरुआत में 2–3 दिन बिल्कुल खाली रखें—यही असली त्योहार का समय है। दो, उसके बाद रोज 45–60 मिनट का हल्का रिवीजन रखें: पिछली यूनिट के नोट्स, फॉर्मूला शीट, शब्दार्थ, या मैप प्रैक्टिस। तीन, एक दिन छोड़कर एक दिन 3–4 प्रैक्टिस सवाल—खासकर गणित, विज्ञान और भाषा लेखन। इससे छुट्टी के अंत में घबराहट नहीं होगी।
कक्षा 9–12 के विद्यार्थियों के लिए एक और व्यावहारिक टिप है: एक पेज का साप्ताहिक प्लान। सोमवार को कौन-सा चैप्टर, बुधवार को किस विषय का टेस्ट पेपर, और शनिवार को एक रिकैप। इतना काफी है। इंटर और बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को पायेदर पक्की तैयारी के लिए बस इतनी निरंतरता चाहिए।
अवकाश का एक बड़ा पहलू सांस्कृतिक सीख भी है। घर में पूजा की थाली सजाने से लेकर, पंडालों में शिष्टाचार, या बथुकम्मा के गीत—ये सब बच्चों के लिए लाइव क्लासरूम हैं। कई शिक्षक इस समय को ‘अनुभव आधारित सीख’ की तरह देखते हैं: बच्चों से कहा जाता है कि वे अपने मोहल्ले या गांव की किसी परंपरा पर 5–6 फोटो और 200–250 शब्द का छोटा नोट तैयार करें। इससे भाषा, कला और सामाजिक विज्ञान—तीनों का अभ्यास साथ-साथ हो जाता है।
परिवहन और यात्रा की बात करें तो मैसूरु दशहरा के दौरान बस, ट्रेन और होटल की बुकिंग तेजी से भरती है। तेलंगाना में बथुकम्मा के बड़े कार्यक्रमों और दुर्गा पूजा पंडालों की वजह से हैदराबाद और वारंगल सर्किट में भी भीड़ रहती है। परिवारों के लिए सलाह है कि—
- यात्रा की बुकिंग पहले से कर लें, खासकर 26–30 सितंबर के आसपास।
- बच्चों के लिए हल्का रेन-गियर रखें; सितंबर के आखिरी हफ्तों में मानसून की वापसी के दौरान छिटपुट बारिश हो सकती है।
- भीड़भाड़ में छोटे बच्चों के लिए आईडी कार्ड या संपर्क नंबर के बैंड काम आते हैं।
- रात देर तक के कार्यक्रमों के बाद अगले दिन की गतिविधियां हल्की रखें—थकान से पढ़ाई और मूड दोनों प्रभावित होते हैं।
स्कूल प्रबंधन की तरफ से क्या बदलेगा? अधिकांश कैंपस इस दौरान मेंटेनेंस, क्लासरूम की डीप-क्लीनिंग और खेल मैदानों की मरम्मत जैसे काम करते हैं। होस्टल चलाने वाले संस्थान विद्यार्थियों को सुरक्षित वापसी के लिए बस/ट्रेन स्लॉट पहले से बताते हैं। परिवहन ठेकेदारों के साथ अगले टर्म की रूट-रीशफलिंग भी इसी खिड़की में होती है, ताकि त्योहार के बाद पहले दिन से बसें समय पर चलें।
अभिभावकों का एक आम सवाल—क्या छुट्टियों के कारण सिलेबस पीछे रह जाएगा? दोनों राज्यों के अकादमिक कैलेंडर इस तरह बनाए जाते हैं कि त्योहारों की लंबी छुट्टियां भी सिलेबस के भीतर समा जाएं। स्कूल आमतौर पर नवंबर में 1–2 ‘इंस्ट्रक्शनल डे’ जोड़ते हैं, या पीरियड प्लानिंग में माइक्रो-एडजस्टमेंट करते हैं—जैसे वैकल्पिक दिनों में डबल पीरियड। भाषा और सोशल साइंस की इंटरचेंजेबल क्लास भी इस काम आती है।
एक और व्यवहारिक पहलू: कई घरों में जहां दोनों माता-पिता कामकाजी हैं, बच्चों की डे-केयर की जरूरत बढ़ जाती है। ऐसे में परिवार पहले से प्लान बनाएं—दादा-दादी के घर भेजना है, या पड़ोस के भरोसेमंद ग्रुप में एक्टिविटी-आधारित डे-प्लान बनाना है। लाइब्रेरी विजिट, पास के स्पोर्ट्स क्लब का मॉर्निंग स्लॉट, या आर्ट-क्लास जैसी 60–90 मिनट की गतिविधियां दिनचर्या में रिदम बनाए रखती हैं।
त्योहारों के दौरान स्वास्थ्य और सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। बाहर का खाना, ऊंची आवाज, देर रात तक जागना—सब कुछ मिलकर थकान और छोटे-मोटे संक्रमण बढ़ा सकते हैं। पानी की बोतल साथ रखना, हल्का घर का खाना, और रोजाना 7–8 घंटे की नींद—ये तीन बातें छुट्टियां मज़े से बिताने की कुंजी हैं। छोटे बच्चों के लिए पटाखों और ऊंचे जुलूस वाहनों से सुरक्षित दूरी एक बेसिक नियम होनी चाहिए।
अंत में, शेड्यूल को लेकर एक बात फिर याद रखें: 24 सितंबर से 5 अक्टूबर तक स्कूल बंद रहेंगे, लेकिन कुछ संस्थान सप्ताहांत और स्थानीय पर्व जोड़कर कैलेंडर को 12 से 17 दिन तक बढ़ा रहे हैं। निजी और बोर्ड-संबद्ध स्कूल अपने परिपत्र अलग से जारी करते हैं—अभिभावक उसी के मुताबिक यात्रा और कार्यक्रम तय करें। त्योहार की भावना, पारिवारिक समय और पढ़ाई का संतुलन—तीनों साथ निभ जाएं तो यही छुट्टियां बच्चों की सबसे प्यारी याद बनती हैं।