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दशहरा अवकाश 2025: कर्नाटक-तेलंगाना में छात्रों को 12–17 दिनों तक स्कूल बंद

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दशहरा अवकाश 2025: कर्नाटक-तेलंगाना में छात्रों को 12–17 दिनों तक स्कूल बंद
  • सित॰, 16 2025
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

क्या है नया शेड्यूल

कर्नाटक और तेलंगाना के स्कूलों ने 2025 के लिए दशहरा अवकाश को इस बार लंबा रखा है। आधिकारिक शेड्यूल के मुताबिक स्कूल 24 सितंबर (बुधवार) से 5 अक्टूबर (रविवार) 2025 तक बंद रहेंगे। नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर को घटस्थापना से मानी जा रही है, इसलिए कई गतिविधियां और पारिवारिक तैयारियां उससे पहले ही शुरू हो जाती हैं। यही वजह है कि कुछ जिलों में साप्ताहिक छुट्टियों, स्थानीय पर्व और वैकल्पिक अवकाश जोड़कर यह ब्रेक कुल 12 से 17 दिन तक जा सकता है।

यह कैलेंडर उन घरों के लिए राहत है जहां नौ दिनों की पूजा-पाठ, गरबा-डांडिया, बथुकम्मा जैसे क्षेत्रीय उत्सव और दुर्गा पंडाल दर्शन परिवार के साथ किए जाते हैं। दोनों राज्यों के शिक्षा विभागों ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों का शेड्यूल मिलाकर तय किया है ताकि बच्चे त्योहारों में बिना पढ़ाई का दबाव महसूस किए शामिल हो सकें।

  • 22 सितंबर 2025: घटस्थापना, नवरात्र का आरंभ
  • 24 सितंबर से 5 अक्टूबर 2025: स्कूल अवकाश अवधि (राज्य सरकार के शैक्षणिक कैलेंडर के अनुरूप)
  • 29 सितंबर 2025: महासप्तमी (स्कूल बंद)
  • 30 सितंबर 2025: महाअष्टमी (स्कूल बंद)
  • अवकाश के दौरान: दुर्गा पूजा, विजयदशमी और तेलंगाना में बथुकम्मा उत्सव की मुख्य तिथियां इसी खिड़की में

यह स्पष्ट रहे कि निजी स्कूल, आवासीय स्कूल और कुछ बोर्ड-संबद्ध संस्थाएं अपने-अपने परिपत्र के अनुसार एक-दो दिन का अंतर रख सकती हैं। अभिभावकों के लिए सबसे सुरक्षित तरीका यही है कि वे स्कूल की आधिकारिक सूचना पर ही अंतिम तिथि मानें।

पढ़ाई, परिवार और यात्रा—इस ब्रेक का असर

पढ़ाई, परिवार और यात्रा—इस ब्रेक का असर

इतनी लंबी छुट्टी में सबसे बड़ा सवाल पढ़ाई पर असर का होता है। आमतौर पर कर्नाटक और तेलंगाना में टर्म-1 मूल्यांकन सितंबर के तीसरे-चौथे हफ्ते या अवकाश के तुरंत बाद रखे जाते हैं। इस बार कई स्कूल अवकाश से पहले यूनिट टेस्ट निपटा रहे हैं ताकि ब्रेक सचमुच त्योहारों के नाम हो। जहां टेस्ट बाद में हैं, वहां गृहकार्य और प्रोजेक्ट आधारित असाइनमेंट दिए जा रहे हैं—जैसे नवरात्र के नौ रूप, मैसूरु दशहरा की परंपराएं, या बथुकम्मा की सांस्कृतिक कहानी पर लघु-प्रोजेक्ट।

छात्रों के लिए काम की रणनीति क्या हो? एक, छुट्टी की शुरुआत में 2–3 दिन बिल्कुल खाली रखें—यही असली त्योहार का समय है। दो, उसके बाद रोज 45–60 मिनट का हल्का रिवीजन रखें: पिछली यूनिट के नोट्स, फॉर्मूला शीट, शब्दार्थ, या मैप प्रैक्टिस। तीन, एक दिन छोड़कर एक दिन 3–4 प्रैक्टिस सवाल—खासकर गणित, विज्ञान और भाषा लेखन। इससे छुट्टी के अंत में घबराहट नहीं होगी।

कक्षा 9–12 के विद्यार्थियों के लिए एक और व्यावहारिक टिप है: एक पेज का साप्ताहिक प्लान। सोमवार को कौन-सा चैप्टर, बुधवार को किस विषय का टेस्ट पेपर, और शनिवार को एक रिकैप। इतना काफी है। इंटर और बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को पायेदर पक्की तैयारी के लिए बस इतनी निरंतरता चाहिए।

अवकाश का एक बड़ा पहलू सांस्कृतिक सीख भी है। घर में पूजा की थाली सजाने से लेकर, पंडालों में शिष्टाचार, या बथुकम्मा के गीत—ये सब बच्चों के लिए लाइव क्लासरूम हैं। कई शिक्षक इस समय को ‘अनुभव आधारित सीख’ की तरह देखते हैं: बच्चों से कहा जाता है कि वे अपने मोहल्ले या गांव की किसी परंपरा पर 5–6 फोटो और 200–250 शब्द का छोटा नोट तैयार करें। इससे भाषा, कला और सामाजिक विज्ञान—तीनों का अभ्यास साथ-साथ हो जाता है।

परिवहन और यात्रा की बात करें तो मैसूरु दशहरा के दौरान बस, ट्रेन और होटल की बुकिंग तेजी से भरती है। तेलंगाना में बथुकम्मा के बड़े कार्यक्रमों और दुर्गा पूजा पंडालों की वजह से हैदराबाद और वारंगल सर्किट में भी भीड़ रहती है। परिवारों के लिए सलाह है कि—

  • यात्रा की बुकिंग पहले से कर लें, खासकर 26–30 सितंबर के आसपास।
  • बच्चों के लिए हल्का रेन-गियर रखें; सितंबर के आखिरी हफ्तों में मानसून की वापसी के दौरान छिटपुट बारिश हो सकती है।
  • भीड़भाड़ में छोटे बच्चों के लिए आईडी कार्ड या संपर्क नंबर के बैंड काम आते हैं।
  • रात देर तक के कार्यक्रमों के बाद अगले दिन की गतिविधियां हल्की रखें—थकान से पढ़ाई और मूड दोनों प्रभावित होते हैं।

स्कूल प्रबंधन की तरफ से क्या बदलेगा? अधिकांश कैंपस इस दौरान मेंटेनेंस, क्लासरूम की डीप-क्लीनिंग और खेल मैदानों की मरम्मत जैसे काम करते हैं। होस्टल चलाने वाले संस्थान विद्यार्थियों को सुरक्षित वापसी के लिए बस/ट्रेन स्लॉट पहले से बताते हैं। परिवहन ठेकेदारों के साथ अगले टर्म की रूट-रीशफलिंग भी इसी खिड़की में होती है, ताकि त्योहार के बाद पहले दिन से बसें समय पर चलें।

अभिभावकों का एक आम सवाल—क्या छुट्टियों के कारण सिलेबस पीछे रह जाएगा? दोनों राज्यों के अकादमिक कैलेंडर इस तरह बनाए जाते हैं कि त्योहारों की लंबी छुट्टियां भी सिलेबस के भीतर समा जाएं। स्कूल आमतौर पर नवंबर में 1–2 ‘इंस्ट्रक्शनल डे’ जोड़ते हैं, या पीरियड प्लानिंग में माइक्रो-एडजस्टमेंट करते हैं—जैसे वैकल्पिक दिनों में डबल पीरियड। भाषा और सोशल साइंस की इंटरचेंजेबल क्लास भी इस काम आती है।

एक और व्यवहारिक पहलू: कई घरों में जहां दोनों माता-पिता कामकाजी हैं, बच्चों की डे-केयर की जरूरत बढ़ जाती है। ऐसे में परिवार पहले से प्लान बनाएं—दादा-दादी के घर भेजना है, या पड़ोस के भरोसेमंद ग्रुप में एक्टिविटी-आधारित डे-प्लान बनाना है। लाइब्रेरी विजिट, पास के स्पोर्ट्स क्लब का मॉर्निंग स्लॉट, या आर्ट-क्लास जैसी 60–90 मिनट की गतिविधियां दिनचर्या में रिदम बनाए रखती हैं।

त्योहारों के दौरान स्वास्थ्य और सुरक्षा भी उतनी ही जरूरी है। बाहर का खाना, ऊंची आवाज, देर रात तक जागना—सब कुछ मिलकर थकान और छोटे-मोटे संक्रमण बढ़ा सकते हैं। पानी की बोतल साथ रखना, हल्का घर का खाना, और रोजाना 7–8 घंटे की नींद—ये तीन बातें छुट्टियां मज़े से बिताने की कुंजी हैं। छोटे बच्चों के लिए पटाखों और ऊंचे जुलूस वाहनों से सुरक्षित दूरी एक बेसिक नियम होनी चाहिए।

अंत में, शेड्यूल को लेकर एक बात फिर याद रखें: 24 सितंबर से 5 अक्टूबर तक स्कूल बंद रहेंगे, लेकिन कुछ संस्थान सप्ताहांत और स्थानीय पर्व जोड़कर कैलेंडर को 12 से 17 दिन तक बढ़ा रहे हैं। निजी और बोर्ड-संबद्ध स्कूल अपने परिपत्र अलग से जारी करते हैं—अभिभावक उसी के मुताबिक यात्रा और कार्यक्रम तय करें। त्योहार की भावना, पारिवारिक समय और पढ़ाई का संतुलन—तीनों साथ निभ जाएं तो यही छुट्टियां बच्चों की सबसे प्यारी याद बनती हैं।

Divya B
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Divya B

12 टिप्पणियाँ

Ahmad Dala

Ahmad Dala

अरे भाई, इस दशहरा ब्रेक को देखकर तो लगता है शिक्षा विभाग ने अचानक ही रिट्रीट मॉड मोड चला दिया है। दो हफ़्ते से भी ज़्यादा छुट्टी का मतलब है कि छात्रों को फैंसी रिवीजन प्लान की ज़रूरत पड़ेगी, नहीं तो ज्ञान का पुल्लिंग भी विसर जाएगा। अभी के लिए तो यही सलाह है – हर दिन एक छोटा‑छोटा टॉपिक ज़िप करके रखो, नहीं तो बाद में दवाब का सागर देखना पड़ेगा। इस शेड्यूल को महत्व देने का मतलब है कि वो लोग समझते हैं, बालकों को सांस्कृतिक धूम में पढ़ाई से दूर नहीं जाना चाहिए, बस थोड़ी‑बहुत जल्ला‑झेले जोड़नी चाहिए।

RajAditya Das

RajAditya Das

सही कहा यार, फिर भी इस लंबी छुट्टी में असाइनमेंट का दबाव तो रहता है 😊 लेकिन थोड़ी‑सी प्लानिंग से सब ठीक हो जाएगा।

Harshil Gupta

Harshil Gupta

एक प्रैक्टिकल टिप: छुट्टी के पहले दो‑तीन दिन पूरी तरह खाली रखें, फिर अगला दिन 30‑45 मिनट के लिए रोज़ रिवीजन सत्र रखें। यह रूटीन गणित, विज्ञान और भाषा में निरंतरता बनाए रखेगा और अंतिम दिन की घबराहट को दूर रखेगा। साथ ही छोटे प्रोजेक्ट्स जैसे स्थानीय त्योहारी परम्पराओं पर फोटो‑एसेस बनाना भी सीखने को मज़ेदार बनाता है।

Rakesh Pandey

Rakesh Pandey

भाई, इधर‑उधर मत घुमा, आधिकारिक कैलेंडर में तो स्पष्ट लिखा है कि 24‑से‑5 अक्टूबर तक स्कूल बंद रहेगा, और फिर डबल पीरियड वाले दिन जोड़ेंगे। इसलिए हर स्कूल के निर्देश को फॉलो करो, नहीं तो टैम‑टेस्ट में दिक्कत आएगी।

Simi Singh

Simi Singh

क्या आपको नहीं लगता कि इस बड़े ब्रेक के पीछे कुछ अंधेरे मकसद छिपे हैं? सरकार शायद इस समय में छात्रों को धुंधले प्रोजेक्ट्स में फँसा कर आगे की परीक्षा में नियंत्रण करना चाहती है, जिससे डेटा संग्रह आसान हो जाएगा। यह एक बड़े सामाजिक प्रयोग जैसा लगता है, जहाँ कक्षा को एक बड़े प्रयोगशाला में बदल दिया गया है।

Rajshree Bhalekar

Rajshree Bhalekar

छुट्टियों का फायदा उठाओ, पढ़ाई मत भूलो।

Ganesh kumar Pramanik

Ganesh kumar Pramanik

देखो यार, आराम तो चाहिए, लेकिन थोड़ा‑बहुत रिवीजन भी डाली रखो, नहीं तो बाद में दिमाग में धुंध कस जाएगा। बचपन के त्यौहारों में भी सीखने के नए‑नए ढंग ढूँढ सकते हैं, जैसे बथुकम्मा के गीतों को रैप में बदलना – मज़ा भी, ज्ञान भी।

Abhishek maurya

Abhishek maurya

दशहरा छुट्टी का विस्तार वास्तव में एक द्विधारी तलवार का काम कर रहा है।
एक ओर यह बच्चों को पारिवारिक समारोहों में पूरी तरह सम्मिलित होने का अवसर देता है, जिससे सामाजिक संस्कृति में उनकी समझ गहरी होती है।
दूसरी ओर, लगातार बिना पढ़ाई के दिन उनके शैक्षणिक लय को बाधित कर सकते हैं, विशेषकर उन विद्यार्थियों के लिए जो आत्म-प्रेरित नहीं होते।
यहाँ तक कि उन छात्रों के लिए भी जो घर पर ट्यूशन लेते हैं, इसका मतलब है कि ट्यूशन को भी हीँ के इर्द-गिर्द समायोजित करना पड़ेगा, जो आर्थिक बोझ बढ़ा सकता है।
शिक्षक वर्ग ने इस बदलाव में अपना योगदान देने के लिए कई उपाय सुझाए हैं – जैसे कि ‘अनुभव‑आधारित सीख’ के तहत विद्यार्थियों को स्थानीय त्योहारी परम्पराओं पर प्रोजेक्ट बनाने को कहा गया है।
ऐसा प्रोजेक्ट न केवल साक्षरता बढ़ाता है, बल्कि छात्रों को शोध‑आधारित सोच की दिशा में भी प्रेरित करता है।
परन्तु यह तंत्र तभी सफल हो सकता है जब स्कूल प्रशासन समय पर सभी निर्देश स्पष्ट रूप से प्रसारित करे, अन्यथा अभिभावकों में भ्रम पैदा हो सकता है।
इसलिए, अभिभावकों को चाहिए कि वे स्कूल द्वारा जारी किए गए आधिकारिक नोटिफिकेशन को प्राथमिकता दें, न कि किसी भी गॉसिप को।
व्यावहारिक तौर पर, यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा ब्रेक के दौरान व्हाईटबोर्ड पर अपनी सोच को अभिव्यक्त करे, तो आप एक छोटा‑सा प्लान बना सकते हैं।
उदाहरण के तौर पर, सोमवार को एक विषय चुनें, मंगलवार को संबंधित वीडियो देखें, बुधवार को नोट्स लिखें, और गुरुवार को छोटे‑छोटे प्रश्न बनाएँ।
ऐसे कदम न केवल ज्ञान को स्थिर रखते हैं, बल्कि बच्चों को स्वायत्तता भी सिखाते हैं।
एक और मुख्य बिंदु यह है कि इस लंबी छुट्टी के दौरान यात्रा और शैक्षिक भ्रमण की योजना बनाते समय सुरक्षा उपायों को न भूलें।
बारिश के मौसम में उचित बारिश‑सुरक्षा कपड़े रखना, और भीड़भाड़ वाले इलाकों में बच्चों के पहचान‑बैंड या आईडी कार्ड रखना अत्यंत आवश्यक है।
अंत में, यह कहा जा सकता है कि इस विस्तारित ब्रेक का सबसे बड़ा लाभ यही है कि यह पारिवारिक बंधनों को सुदृढ़ करता है, बशर्ते कि शिक्षा को भी समान रूप से महत्व दिया जाए।
यह संतुलन ही वह कुंजी है जिससे छुट्टियों को सीखने की सकारात्मक प्रक्रिया में बदला जा सकता है।

Sri Prasanna

Sri Prasanna

बहुत लंबा कर दिया लेकिन असली बात तो ये है कि छुट्टी में किताबें फेंक दूँ, फॉलो अप नहीं करेंगे

Sumitra Nair

Sumitra Nair

✨सभी को नमस्ते✨ इस दशहरा अवकाश को हम सभी को सीखने‑सिखाने के अनंत अवसर के रूप में देखना चाहिए। 📚 कृपया अपने बच्चों को कला‑संस्कृति के अनुसंधान में व्यस्त रखें, और यात्रा‑सुरक्षा को प्राथमिकता दें। 🙏

Ashish Pundir

Ashish Pundir

बच्चे के साथ समय बिताओ बस ये ही काफी है

gaurav rawat

gaurav rawat

भाईयां थाती प्लान बनाओ ✨🚌 बच्चा हप्पी रहेगा 😃 और पढ़ाई भी फौलो।

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