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राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के पांच तरीकों पर चुनाव आयोग ने सबूत की रखी शर्त, भाजपा बोली- आरोप साबित करो

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राहुल गांधी के 'वोट चोरी' के पांच तरीकों पर चुनाव आयोग ने सबूत की रखी शर्त, भाजपा बोली- आरोप साबित करो
  • अग॰, 12 2025
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

राहुल गांधी के आरोप: चुनावी फेहरिस्त में भारी गड़बड़ी?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर सियासी उठा-पटक को हवा दे दी है। इस बार मुद्दा है 'वोट चोरी'। एक INDIA गठबंधन की बैठक में बिहार में मतदाता सूची में गड़बड़ी का हवाला देते हुए राहुल ने चुनाव आयोग (EC) और भाजपा (BJP) की मिलीभगत से 'संगठित वोट चोरी' के पांच तरीके गिनाए। उन्होंने जो आंकड़े सामने रखे, वे कर्नाटक के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की अपनी जांच पर आधारित थे।

तो, वह पांच तरीके कौन से हैं? राहुल गांधी का दावा है कि—

  • वोट चोरी हुई कुल संख्या 1,00,250 है।
  • 11,965 बार duplicate यानी एक जैसे वोटर रजिस्टर्ड मिले।
  • 40,000 से ज्यादा नाम नकली या असत्य पते पर मिले।
  • 10,452 bulk voters—यानि एक ही पते पर दर्जनों वोटर रजिस्टर्ड।
  • 4,132 मामलों में वोटर का फोटो ही गड़बड़ या अमान्य मिला।

इसके अलावा, नया वोटर जोड़ने वाले फॉर्म 6 के 33,692 गलत उपयोग की भी बात सामने आई। राहुल का कहना है कि चुनाव आयोग ने जानबूझकर डिजिटल वोटर लिस्ट और सीसीटीवी फुटेज देने से इनकार किया और सिर्फ मशीन-रीडेबल पेपर दे दिए, जिससे कांग्रेस नेताओं ने लाखों इंट्रीज खुद चेक कीं।

EC, BJP और AAP—तीनतरफा भिड़ंत

चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को पूरी तरह 'गलत और तोड़े-मरोड़े हुए' बताया है। EC ने न सिर्फ Rahul से शपथ-पत्र पर सबूत मांगा है बल्कि एक मामले (बेंगलुरु की शकुन रानी नामक वोटर का दो बार वोट डालना) को झूठा करार देते हुए इसे फर्जी दस्तावेज बताया। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा कि बिना सूचना दिए किसी का नाम वोटर लिस्ट से नहीं हटता, साथ ही बिहार के हटाए गए वोटर्स के नाम न देने की बात कही।

भाजपा की तरफ से अमित मालवीय इस मुद्दे पर सामने आए, जिन्होंने रूल 20(3)(b) का हवाला देकर राहुल से फर्जी वोटरों की लिस्ट शपथ-पत्र के साथ जमा करने की चुनौती दी। भाजपा ने कांग्रेस के इस आरोप को सीधे तौर पर चुनाव आयोग जैसी संवैधानिक संस्था की छवि बिगाड़ने वाला बताया।

इस बीच, आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रियंका कक्कड़ ने राहुल के आरोपों का समर्थन तो किया, लेकिन कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में जब AAP ने ऐसी गड़बड़ी का पर्दाफाश किया था, तब कांग्रेस ने चुप्पी साध रखी थी। उनके मुताबिक ये मामला पूरे सिस्टम के स्तर पर उठाया जाना चाहिए, न कि सिर्फ राज्यों के आधार पर।

राहुल गांधी ने सबूत पेश करने को लेकर दबाव के बीच अपने X (पहले ट्विटर) हैंडल पर एक वीडियो जारी किया है, जिसमें वे साफ तौर पर कहते हैं कि चुनाव आयोग भाजपा की मदद करता दिख रहा है और मतदाता सूची के फेरबदल में जुटा है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर प्रदर्शन की तैयारी की, लेकिन दिल्ली पुलिस का कहना है कि उन्हें अभी तक आधिकारिक रूप से कोई अनुरोध नहीं मिला।

Divya B
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Divya B

15 टिप्पणियाँ

Ashish Pundir

Ashish Pundir

राहुल के आरोपों में आधी सच्चाई, आधा राजनीति का नाटक है। चुनाव आयोग की प्रक्रिया अक्सर अनदेखी रहती है।

gaurav rawat

gaurav rawat

भाई, बिल्कुल समझ आ रहा है कि आप कैसा महसूस कर रहे हैं! 🙌 हर बार जब ऐसी बात आती है, तो हमें थोड़ा सपोर्ट देना चाहिए, क्योंकि राहुल भी अपनी जन‑भाईचारे में दिलचस्पी ले रहा है। 👏

Vakiya dinesh Bharvad

Vakiya dinesh Bharvad

हमारी संस्कृति में भली‑भांति समझा जाता है कि लोकतंत्र की बुनियाद सत्यता पर टिकी होती है :) इस कारण हमें सभी पहलुओं को देखना चाहिए, चाहे वह EC हो या कोई अन्य संस्थान।

Aryan Chouhan

Aryan Chouhan

राहुल के आरोपों को पढ़ कर लगा जैसे सिचुएशन ही गड़बड़ है। वोट चोरी का आंकड़ा इतना बड़ा हो तो इसका मतलब है कि सिस्टम में कहीं बड़ी खामी है। लेकिन क्या ये खामी सिर्फ चुनाव आयोग की है या फिर बड़ी कंपनियों का इन्फ्लुएंस है। अक्सर हमें यह नहीं दिखता कि कितनी बार डाटा मैनिपुलेशन होता है। कुछ लोग कहेंगे कि ये सब राजनीति का खेल है। मैं सोचता हूं कि अगर सच्चाई दिखे तो जनता को समझ में आएगा। इस तरह के आंकड़े आम जनता को भ्रमित कर सकते हैं। फिर भी हमें पूछना चाहिए कि ये 1,00,250 वोट चोरी कैसे हो सकती है। संभव है कि कई बार डुप्लीकेट एंट्रीज हों, लेकिन 40,000 नकली पते भी असामान्य है। कुछ केस में फोटो वैरिफिकेशन भी फेल हो सकता है, पर इसे सिर्फ एक कारण नहीं माना जा सकता। हमें ये भी देखना चाहिए कि फॉर्म 6 के 33,692 गलत उपयोग कैसे हुए। शायद सिस्टम की तकनीकी कमियां इसको आसान बनाती हैं। अंत में, अगर सबूत सही हैं तो EC को कड़ा कदम उठाना चाहिए। अगर नहीं तो यह सब बातें फिर से हवा में ही रह जाएंगी। इसलिए हमें निष्पक्ष जांच की जरूरत है।

Tsering Bhutia

Tsering Bhutia

राहुल जी ने जो आँकड़े बताए हैं, उनके पीछे कई तकनीकी पहलु होते हैं। डिजिटल वोटर लिस्ट में बदलाव अक्सर अपडेट के समय होते हैं, जिससे डुप्लीकेट एंट्रीज बन सकती हैं। साथ ही, कुछ इलाकों में पता अपडेट की प्रक्रिया धीमी है, जिससे गलत पते जुड़ सकते हैं। अगर हम इन बिंदुओं को समझें तो संभावना है कि कुछ त्रुटियां स्वाभाविक हों। इसलिए मैं सुझाव देता हूँ कि EC को इन प्रक्रियाओं की विस्तृत रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।

Narayan TT

Narayan TT

इन सबको सिर्फ़ राजनीति का खेल मानना ही बुद्धिमानी है।

SONALI RAGHBOTRA

SONALI RAGHBOTRA

नरायन जी, आप का बिंदु सही है कि राजनीति में अक्सर मसले उठते हैं, पर यह भी जरूरी है कि हम तथ्य के साथ बात करें। यदि हमें वास्तविक आँकड़े मिलते हैं तो हम बेहतर चर्चा कर सकते हैं। इस कारण से, मैं आप सभी को स्रोतों की जाँच करने के लिए प्रेरित करती हूँ, ताकि हम सभी सच्चाई के करीब पहुँच सकें।

sourabh kumar

sourabh kumar

दोस्तों, इस मुद्दे पर हमें शांति से बात करनी चाहिए और एक-दूसरे की बात सुननी चाहिए।

khajan singh

khajan singh

सही कहा, शांति से डिस्कशन में कई फ्रेमवर्क्स और मीट्रिक्स का प्रयोग करके हम एविडेंस बेस्ड डिसीजन ले सकते हैं :) विशेषकर जब डेटा इंटीग्रिटी की बात हो, तो ट्रीटमेंट प्लान को स्पष्ट रखना ज़रूरी है।

Dharmendra Pal

Dharmendra Pal

आधिकारिक तौर पर देखा जाए तो चुनाव आयोग ने अभी तक कोई विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की है। इस कारण से जनता को स्पष्ट जानकारी नहीं मिल पा रही है।

Balaji Venkatraman

Balaji Venkatraman

हमें ईमानदारी और न्याय के मूलभूत सिद्धांतों को हमेशा याद रखना चाहिए, चाहे कोई भी राजनीतिक दल हो।

Tushar Kumbhare

Tushar Kumbhare

यार, ये सब बातों का क्या है, सीधे-सीधे देखो, अगर फर्जी वोट हैं तो उसे रोकना चाहिए! 😤

Arvind Singh

Arvind Singh

हाहा, बिल्कुल सही कहा, जैसे कि हर बार चुनाव में सब कुछ साफ़-सुथरा रहता है, ऐसा कोई नहीं देखता। 🙄

Vidyut Bhasin

Vidyut Bhasin

अरे, आप क्यों सोचते हैं कि सिस्टम खराब है? शायद ये सब सिर्फ़ आपकी व्यक्तिगत असंतुष्टि है। 🤔

nihal bagwan

nihal bagwan

देश की अखंडता और संप्रभुता को देखते हुए, ऐसी धुंधली बातें केवल विरोधी ताकतों की ही चेष्टा है; हमें राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के अफवाहों को न बेकार बैठाने देना चाहिए।

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