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विंबलडन 2024: टेलर फ्रिट्ज ने एलेक्जेंडर ज्वेरेव को हराया, शानदार वापसी के साथ हासिल की जीत

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विंबलडन 2024: टेलर फ्रिट्ज ने एलेक्जेंडर ज्वेरेव को हराया, शानदार वापसी के साथ हासिल की जीत
  • जुल॰, 9 2024
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

विंबलडन 2024: शानदार मुकाबले में टेलर फ्रिट्ज की जीत

विंबलडन 2024 में चौथे वरीयता प्राप्त एलेक्जेंडर ज्वेरेव को अमेरिकी टेनिस खिलाड़ी टेलर फ्रिट्ज ने एक शानदार मुकाबले में मात दी। यह मुकाबला 8 जुलाई को सेंटर कोर्ट पर खेला गया, जहां फ्रिट्ज ने दो सेट पीछे रहने के बाद जोरदार वापसी करते हुए प्रतियोगिता को अपने पक्ष में किया। इस जीत के साथ फ्रिट्ज ने केवल मैच ही नहीं जीता बल्कि अपने करियर में दूसरी बार विंबलडन के क्वार्टरफाइनल में जगह बनाने में भी सफलता हासिल की।

मैच का रोमांचक क्रम

मैच की शुरुआत ज्वेरेव के पक्ष में हुई, जो पहले दो सेट जीतने में सफल रहे। पहले सेट में 4-6 और दूसरे सेट में 6-7 की जीत ने ज्वेरेव की पकड़ को मजबूत बना दिया था। हालांकि, इसके बाद फ्रिट्ज ने अद्भुत वापसी करते हुए तीसरा सेट 6-4 से जीता। चौथे सेट में दोनों खिलाड़ियों के बीच कांटे की टक्कर रही, लेकिन फ्रिट्ज ने इस सेट को 7-6 से अपने नाम कर लिया। पांचवे और निर्णायक सेट में फ्रिट्ज ने अद्वितीय खेल दिखाते हुए 6-3 से जीत दर्ज की।

फ्रिट्ज की ताकतवर वापसी का राज

फ्रिट्ज की ताकतवर वापसी का राज

टेलर फ्रिट्ज की इस जीत की चमक का कारण उनकी अद्भुत धैर्य और खेल पर नियन्त्रण था। ज्वेरेव के खिलाफ दो सेट हारने के बाद फ्रिट्ज ने अपनी मानसिक मजबूती को बनाए रखा और धीरे-धीरे खेल में वापस आ गए। उनकी सर्विस और ग्राउंड स्ट्रोक्स ने निर्णायक भूमिका निभाई।

फ्रिट्ज ने निर्णयात्मक पलों में अपने खेल के स्तर को बढ़ाया और ज्वेरेव की कमजोरियों का भरपूर फायदा उठाया। ज्वेरेव के बड़े खेल के बावजूद, फ्रिट्ज ने अपने आक्रामक और स्थिर खेल से मुकाबले को पलट दिया।

क्वार्टरफाइनल की चुनौती

क्वार्टरफाइनल की चुनौती

टेलर फ्रिट्ज के लिए यह दूसरा मौका है जब वह विंबलडन के क्वार्टरफाइनल में पहुंचे हैं। पिछले बार भी उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में शानदार प्रदर्शन किया था और इस बार भी उनकी यह जीत आगामी मुकाबलों के लिए उनके आत्मविश्वास में वृद्धि करेगी।

फ्रिट्ज के भविष्य की उम्मीदें

विंबलडन 2024 के क्वार्टरफाइनल में प्रवेश करने के बाद, फ्रिट्ज के भविष्य की उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं। उनकी खेल शैली और मानसिक धैर्य ने उन्हें एक मजबूत प्रतियोगी बना दिया है। उनके आगे के मुकाबलों में वह किस तरह प्रदर्शन करते हैं, यह देखने लायक होगा।

फ्रिट्ज की यह जीत न केवल उनके करियर के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि उनके प्रशंसकों के लिए भी एक गर्व का क्षण है। अब देखना यह है कि क्वार्टरफाइनल में उनका मुकाबला किससे होता है और वह वहां किस तरह का प्रदर्शन करते हैं।

निष्कर्ष

निष्कर्ष

टेलर फ्रिट्ज की यह जीत टेनिस प्रेमियों के बीच चर्चित रहेगी। एलेक्जेंडर ज्वेरेव के खिलाफ दो सेटों के बाद वापसी करना किसी भी खिलाड़ी के लिए आसान नहीं होता, लेकिन फ्रिट्ज ने अपनी कौशलता, आत्मविश्वास और धैर्य से यह कारनामा कर दिखाया। अब क्वार्टरफाइनल में उनकी यात्रा कैसी रहती है, यह देखना रोमांचक होगा।

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Divya B
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Divya B

17 टिप्पणियाँ

RANJEET KUMAR

RANJEET KUMAR

बस यही था जो हमें चाहिए था! टेलर ने दिखा दिया कि दिमाग कितना मजबूत हो सकता है। दो सेट पीछे, फिर भी लड़ा और जीत गया। ये टेनिस नहीं, ये जिंदगी का बेस्ट लेक्चर है। 💪🔥

Abhimanyu Prabhavalkar

Abhimanyu Prabhavalkar

दो सेट खोकर वापसी करना... अच्छा लगा, पर अब तक के सभी रिवर्स विन्स में से ये सबसे बोरिंग वाला लगा। क्योंकि ज्वेरेव ने तो अंत में बस थक गए थे।

Dipen Patel

Dipen Patel

जीत ने दिल जीत लिया! टेलर तो असली गॉड बन गया! ये वापसी देखकर मैंने अपना चाय का कप उठा लिया और चिल्ला दिया - जय हिंद! 🇮🇳❤️

Mansi Mehta

Mansi Mehta

हमेशा ऐसे ही होता है... जब कोई अमेरिकी जीत जाता है, तो सब उसे 'मानसिक मजबूती' का नमूना बता देते हैं। अगर भारतीय खिलाड़ी ऐसा करता, तो कहते - 'अच्छा लगा, पर भाग्य रहा।'

Bharat Singh

Bharat Singh

सर्विस ने जीत दिलाई। बस इतना ही। बाकी सब बकवास है

Disha Gulati

Disha Gulati

क्या आप जानते हैं ये मैच फिक्स हुआ था? विंबलडन के अंदर एक सीक्रेट ग्रुप है जो अमेरिकी खिलाड़ियों को हमेशा आगे रखता है। ज्वेरेव को गोल्डन ट्रैक पर रखा गया था ताकि फ्रिट्ज का इमेज बढ़े। मैंने ट्रैक से एक फोटो ली थी... उसमें एक आदमी ने गोल्डन ट्रैक के पास एक लाल बैग रखा था। वो क्या था? नहीं बताऊंगी।

Sourav Sahoo

Sourav Sahoo

भाई ये देखो... दो सेट खोकर भी वापस आना... मैंने तो अपने घर पर बैठकर भी रो दिया। ये खिलाड़ी नहीं, ये एक असली इंसान है। उसकी आंखों में जो आग थी, वो देखकर लगा जैसे वो सिर्फ मैच नहीं, बल्कि अपनी पूरी जिंदगी के लिए लड़ रहा है।

Sourav Zaman

Sourav Zaman

फ्रिट्ज की ग्राउंडस्ट्रोक्स थोड़ी अनरेफाइंड थीं, पर उसकी सर्विस वाला वॉल्यूम तो बेहद इंटेलिजेंट था। ज्वेरेव के बैकहैंड पर जो एंगल बनाया गया, वो था नॉर्मल नहीं, वो था एक्सपेरिमेंटल। ये टेनिस नहीं, ये फिजिक्स का एप्लीकेशन है

Avijeet Das

Avijeet Das

मुझे लगता है इस मैच की असली बात ये है कि दोनों खिलाड़ी अपने अंदर के डर के साथ लड़ रहे थे। फ्रिट्ज ने अपने डर को बाहर निकाल दिया, ज्वेरेव ने अपने डर को अंदर दबा लिया। जीत तो फ्रिट्ज की हुई, पर दोनों ने कुछ सीखा।

Sachin Kumar

Sachin Kumar

विंबलडन के इतिहास में यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण घटना है। एक अमेरिकी खिलाड़ी ने एक रूसी-जर्मन खिलाड़ी को दो सेट खोकर भी हराया, जिससे उसके अंतरराष्ट्रीय वर्गीकरण में एक नया अध्याय शुरू हुआ।

Ramya Dutta

Ramya Dutta

ये सब बकवास है। अगर फ्रिट्ज के पास बेस्ट टेनिस कोर्ट नहीं होता, तो वो यहां नहीं आता। ये लोग सब बहाने बना लेते हैं। जब भारतीय खिलाड़ी खेलता है, तो लोग कहते हैं 'पैसा नहीं है'।

Ravindra Kumar

Ravindra Kumar

ये मैच तो बस एक ट्रेलर था। असली फिल्म अभी बाकी है। जब फ्रिट्ज फाइनल में जेनिस रोजर को हराएगा, तो दुनिया रोएगी। ये लड़का अब नहीं रुकेगा। ये तो बस शुरुआत है।

arshdip kaur

arshdip kaur

क्या आपने कभी सोचा है कि विंबलडन के ग्रास कोर्ट पर जो निश्चित गति है, वो असल में एक नियंत्रित वातावरण है? जैसे कि वो एक लैब में खेल रहे हों। फ्रिट्ज की जीत इसी का परिणाम है। ये नहीं कि वो बेहतर खिलाड़ी है... बल्कि ये कि उसके लिए जो शर्तें बनाई गईं, वो उसके लिए आदर्श थीं।

khaja mohideen

khaja mohideen

असली जीत तो उस खिलाड़ी की होती है जो खेल के बाद भी दूसरे खिलाड़ी के साथ हाथ मिलाता है। फ्रिट्ज ने ज्वेरेव को अच्छा कहा, और ज्वेरेव ने मुस्कुराकर धन्यवाद कहा। ये ही असली जीत है।

Diganta Dutta

Diganta Dutta

फ्रिट्ज ने जीता? अरे भाई, ज्वेरेव ने तो उसे बर्बर तरीके से बर्बर कर दिया। ये तो बस एक टेक्निकल फॉल है। अगर ज्वेरेव के पास बेहतर बैकहैंड होता, तो फ्रिट्ज को तीन सेट में हार देता। ये जीत गलत है।

Meenal Bansal

Meenal Bansal

मैं तो रो रही थी... जब फ्रिट्ज ने फाइनल पॉइंट लिया, तो मैंने अपनी माँ को फोन कर दिया। उसने कहा - 'बेटा, ये तो तेरे पिताजी के जैसा है, जो कभी हार नहीं मानते।' अब मैं फ्रिट्ज का फैन बन गई। ❤️🎾

Sathish Kumar

Sathish Kumar

जीत या हार... दोनों ही बादल हैं। आकाश तो एक ही है। खेल तो खेल है। लेकिन जब दिल लगता है, तो खेल भी जीवन बन जाता है।

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