जब बारिश शुरू होती है, तो ये सिर्फ आसमान का बदलाव नहीं होता — ये मौसम प्रभाव, प्राकृतिक परिस्थितियों का इंसानी जीवन, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर डाला गया प्रभाव है। दरजीलीन में 300 मिमी बारिश ने लैंडस्लाइड को जन्म दिया, 18 लोगों की जान गई, और सड़कें बंद हो गईं। ये सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक नियम है — जब मौसम बदलता है, तो हमारी जिंदगी भी बदल जाती है।
इंडियन मौसम विज्ञान विभाग (IMD) हर दिन बारिश के पूर्वानुमान जारी करता है, लेकिन असली चुनौती उन पूर्वानुमानों को जिंदगी में उतारना है। गुजरात में तेज़ बारिश ने खेतों को बचाया, लेकिन दिल्ली में उसी बारिश ने दुर्गा पूजा के पंडालों में पानी भर दिया। बारिश ने गर्मी से राहत दी, पर हवाई अड्डों पर उड़ानें रुक गईं। ये विरोधाभास ही मौसम प्रभाव की असली पहचान है — एक ही चीज़ कभी बचाती है, तो कभी बर्बाद कर देती है।
मौसम प्रभाव का सबसे खतरनाक रूप लैंडस्लाइड है। दरजीलीन की बारिश ने न सिर्फ सड़कें बहा दीं, बल्कि राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल को भी तैनात कर दिया। ये कोई अचानक आई बात नहीं — ये एक दोहराव है। बंगाल, केरल, उत्तराखंड — हर साल यही घटना दोहराई जाती है। और इसका असर सिर्फ जिंदगियों पर नहीं, बल्कि बाजारों पर भी पड़ता है। जब बारिश होती है, तो फार्मा शेयर गिरते हैं — क्योंकि डिलीवरी रुक जाती है। जब बाढ़ आती है, तो शेयर बाजार डर जाता है — क्योंकि लोग अपनी बचत निकालने लगते हैं।
मौसम प्रभाव सिर्फ बारिश या गर्मी नहीं है। ये वो चीज़ है जो आपके बिजनेस को बदल देती है, आपके बच्चे की स्कूल यात्रा को रोक देती है, और कभी-कभी आपकी रोज़ की चाय के लिए भी देरी कर देती है। इस पेज पर आपको ऐसी ही असली, जिंदा घटनाएँ मिलेंगी — जहाँ मौसम ने लोगों की जिंदगी को बदल दिया। कुछ लेख बताते हैं कि कैसे बारिश ने एक टेस्ट मैच को बदल दिया, कुछ बताते हैं कि कैसे गर्मी ने शेयर बाजार को झटका दिया। ये सब एक ही कहानी के हिस्से हैं — मौसम प्रभाव की।
साइक्लोन मोंथा आंध्र प्रदेश के तट पर टकराएगा, लेकिन इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव आगरा सहित उत्तरी भारत पर पड़ सकता है। बारिश और तापमान में गिरावट की उम्मीद।
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