जब हम अधिग्रहण, एक कंपनी या व्यक्ति द्वारा दूसरी कंपनी, शेयर या संसाधनों को खरीदकर नियंत्रण प्राप्त करना. भी कहा जाता है खरीदी. अक्सर यह M&A (Mergers and Acquisitions) के बड़े हिस्से में आता है, जहाँ दो या अधिक संस्थाएँ एक साथ मिलकर बाजार शक्ति बढ़ाती हैं.
अधिग्रहण के दो मुख्य रूप होते हैं – शेयर खरीद, कंपनी के शेयर बाजार में उपलब्ध शेयरों को बड़े पैमाने पर खरीदना और पूरी कंपनी का अधिग्रहण, कंपनी के सभी मैनेजमेंट, एसेट और बायोलॉजी को एकत्र करना. दोनों में नियम, वित्तीय स्रोत और एजेंट की भूमिका अलग‑अलग होती है.
पहला प्रकार – कॉर्पोरेट अधिग्रहण. यहाँ बड़े वित्तीय संस्थान या बहुराष्ट्रीय कंपनी छोटे फर्म को खरीदते हैं, जैसे LG Electronics India का IPO और शेयर बेच कर नई कंपनी में प्रवेश करना. इसका उद्देश्य नई तकनीक, ब्रांड या बाजार हिस्सेदारी हासिल करना होता है. दूसरा प्रकार – रिकॉर्ड‑बेस्ड अधिग्रहण, जहाँ खिलाड़ियों या कलाकारों को साइन‑ऑन फीस के जरिए टीम‑पुरा‑खरीद लिया जाता है, जैसे राष्ट्रीय खेल टीमों में विदेशी कोच या सितारा खिलाड़ी की भर्ती.
तीसरा प्रकार – IPO (Initial Public Offering), कंपनी का पहला सार्वजनिक शेयर जारी करना, जो अक्सर अधिग्रहण की धुरी बन जाता है. एक IPO कंपनियों को नई पूँजी प्रदान करता है, जिससे वे आगे के अधिग्रहण के लिए फंड जुटा सकते हैं. भारत में हाल ही में LG Electronics India का ₹11,607 करोड़ का IPO एक स्पष्ट उदाहरण है, जहाँ निवेशक बड़े पैमाने पर शेयर खरीद रहे हैं.
इन सभी प्रकारों में नियामक मंजूरी एक अनिवार्य कदम है. भारतीय प्रतिभूति बोर्ड (SEBI) और विदेशी नियामक अक्सर बड़े अधिग्रहण को रोकते या संशोधित करते हैं, ताकि बाजार में अनियमित प्रभाव न पड़े. इसी कारण से RBI की रेपो दर या मौद्रिक नीति भी अप्रत्यक्ष रूप से अधिग्रहण के माहौल को तय करती है.
जब शेयर बाजार में अचानक बड़ी बॉलिंग या अभिगमन हो, तो यह अक्सर अधिग्रहण के संकेत होते हैं. उदाहरण के तौर पर, पेट्रोकेमिकल या फार्मा सेक्टर में टैरिफ‑बढ़ोतरी से शेयरों में गिरावट आती है, जिससे द्वितीयक बाजार में अधिग्रहण के मौके बढ़ते हैं. यह प्रक्रिया निवेशकों को अल्पकालिक लाभ या दीर्घकालिक रणनीति दोनों प्रदान करती है.
स्पोर्ट्स क्षेत्र में अधिग्रहण अलग ही रंग दिखाता है. जब Nat Sciver‑Brunt ने ट्रेंट Rockets की कप्तानी छोड़ी, तो यह टीम‑संरचना में परिवर्तन का संकेत था, जहाँ नए कोच या खिलाड़ी को साइन‑ऑन कर टीम की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की कोशिश की जाती है. इसी तरह जस्प्रित बुमराह ने ‘जेट’ इशारे से हरिस रौफ़ को आउट करके, भारतीय टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई – यह भी एक रणनीतिक ‘अधिग्रहण’ है, जहाँ खेल‑रनीति को बदलकर जीत हासिल की जाती है.
इन सभी उदाहरणों को जोड़ते हुए एक स्पष्ट सेमांटिक ट्रिपल बनता है: "अधिग्रहण → बाजार → नियामक मंजूरी"; "अधिग्रहण → खिलाड़ी → टीम‑प्रदर्शन"; "IPO → पूँजी → भविष्य‑अधिग्रहण". ये संबंध दर्शाते हैं कि अधिग्रहण सिर्फ वित्तीय लेन‑देना नहीं, बल्कि रणनीति, नियामक और आगे की योजनाओं का संगम है.
अब आप समझते हैं कि अधिग्रहण किस तरह विभिन्न उद्योगों में काम करता है और कैसे इससे जुड़ी प्रक्रियाएँ एक-दूसरे को प्रभावित करती हैं. नीचे की लिस्ट में आप पढ़ेंगे कि कैसे न्यूज़ीलैंड ने क्रिकेट में रिकॉर्ड तोड़ा, LG का IPO कितना बड़ा रहा, या कैसे स्पष्ट रणनीतिक बदलावों ने खेल जीत को बदल दिया. यह जानकारी आपको अधिग्रहण के विविध पहलुओं को गहराई से समझने में मदद करेगी और आपके निवेश या खेल‑दृष्टिकोण को नया आयाम देगी.
TCS ने Rs 11 प्रति शेयर अंतरिम डिविडेंड और $72.8 M में ListEngage के अधिग्रहण की घोषणा की, जिससे शेयरधारकों को लाभ और कंपनी की डिजिटल‑मार्केटिंग क्षमताओं में इज़ाफ़ा होगा।
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