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प्रयागराज में महाकुंभ के कारण यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 की तारीख बदली, नई तारीख 9 मार्च

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प्रयागराज में महाकुंभ के कारण यूपी बोर्ड परीक्षा 2025 की तारीख बदली, नई तारीख 9 मार्च
  • मार्च, 4 2025
  • के द्वारा प्रकाशित किया गया Divya B

महाकुंभ मेले से प्रभावित बोर्ड परीक्षाएं

उत्तर प्रदेश बोर्ड (यूपी बोर्ड) ने 2025 की 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं जो पहले 24 फरवरी को प्रयागराज में आयोजित होनी थीं, उन्हें महाकुंभ मेले के चलते स्थगित कर दिया है। इस मेले में अभी तक 59 करोड़ से अधिक श्रद्धालुगण आ चुके हैं। ऐसे में भीड़ को नियंत्रित करना और परीक्षाओं को सुचारू रूप से संचालित करना एक बड़ी चुनौती बन गई थी।

यह निर्णय करने के पीछे मुख्य उद्देश्य यह था कि प्रयागराज में महाकुंभ मेले की भीड़ परीक्षाओं में अवरोध पैदा न करें। शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने इस बात पर जोर दिया कि इस बार परीक्षाओं में नकल को रोकने के लिए सख्त उपाय किए जाएंगे। अगर कोई अधिकारी इन नियमों का उल्लंघन करते पाया जाता है तो उसे सात साल की सजा और 10 लाख रुपये जुर्माना भरना पड़ सकता है।

अन्य जिलों में परीक्षा का समन्वय

अन्य जिलों में परीक्षा का समन्वय

हालांकि अन्य जिलों में परीक्षा पहले से निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार चलेगी। अयोध्या और वाराणसी जैसे जिलों ने परीक्षार्थियों के लिए विशेष मार्गों की व्यवस्था की है ताकि वहां की यातायात में किसी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न न हो।

प्रयागराज में अब 10वीं कक्षा की प्राथमिक हिंदी और हेल्थकेयर की परीक्षा तथा 12वीं कक्षा की सैन्य विज्ञान और हिंदी की परीक्षा 9 मार्च को आयोजित की जाएगी। परीक्षा का समय वही रहेगा जो पहले निर्धारित किया गया था।

इस वर्ष परीक्षाओं के लिए 54 लाख से अधिक छात्र पंजीकृत हैं जो 24 फरवरी से 12 मार्च के बीच आयोजित होंगी। कुल 8,140 केंद्रों पर ये परीक्षाएं आयोजित की जाएंगी।

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Divya B
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Divya B

10 टिप्पणियाँ

Partho Roy

Partho Roy

महाकुंभ के कारण बोर्ड परीक्षा का पुनः निर्धारण एक सामाजिक दुविधा को उजागर करता है, जहाँ धर्मिक उत्सव की अनिवार्यता और शिक्षा की निरंतरता के बीच संतुलन खोजने की आवश्यकता है। इस प्रकार के बड़े मेलों के समय में भीड़ नियंत्रण का मुद्दा न केवल प्रशासनिक कठिनाई बन जाता है बल्कि छात्र‑छात्राओं की मानसिक शांति पर भी असर डालता है। जब असहिएँ हजारों श्रद्धालु एक ही स्थान पर इकट्ठा होते हैं तो ट्रैफ़िक जाम, सुरक्षा खतरे और ध्वनि प्रदूषण स्वाभाविक हो जाता है। परिणामस्वरूप परीक्षा केंद्रों का माहौल तनावपूर्ण हो सकता है, जिससे छात्रों की परीक्षा‑प्रदर्शन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इस संदर्भ में सरकार द्वारा परीक्षा की तिथि बदलना एक त्वरित समाधान प्रतीत होता है, परन्तु यह केवल त्वरित राहत ही देता है, मूल समस्या का समाधान नहीं। मूल रूप से, महाकुंभ जैसे बड़े आयोजन को अधिक व्यवस्थित और पूर्व‑योजना के साथ संचालित किया जाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, अगर कुछ दिनों के अंतराल में कृत्य‑स्थल को अलग‑अलग क्षेत्रों में विभाजित किया जाता, तो भीड़ को नियंत्रित करना आसान हो जाता। इसके अलावा, बहु‑प्रवेश बिंदु, प्रभावी निगरानी कैमरे और स्वैच्छिक सुरक्षा दल की तैनाती भी आवश्यक है। शिक्षा विभाग को भी इस तरह की स्थितियों के लिए एक आपातकालीन योजना बनानी चाहिए, जिसमें वैकल्पिक परीक्षण स्थल, ऑनलाइन परीक्षा विकल्प या अस्थायी केंद्र शामिल हों। छात्र‑छात्राओं को जल्द‑से‑जल्द सूचना देना भी अनिवार्य है, ताकि वे अपने यात्रा‑प्रबंध को पुनः व्यवस्थित कर सकें। इस प्रक्रिया में अभिभावकों की सहभागिता को भी महत्व देना चाहिए, क्योंकि उनके सहयोग से छात्र अधिक सहज महसूस करेंगे। अंत में, यह कहा जा सकता है कि धर्मिक उत्सव और शैक्षणिक कार्यक्रम दोनों ही समाज की रीढ़ हैं, लेकिन उनका सामंजस्य तभी संभव है जब हम पूर्व‑नियोजन और पारदर्शी संचार के माध्यम से दोनों को संतुलित करें। आशा है कि भविष्य में इस तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए अधिक समग्र रणनीतियों का विकास किया जाएगा।

Ahmad Dala

Ahmad Dala

जैसे ही मैं इस परिप्रेक्ष्य को सम्यक् रूप से विश्लेषण करता हूँ, स्पष्ट होता है कि आध्यात्मिक जलसा का आकर्षण और शैक्षणिक प्रतिबद्धता के बीच का त्रिकोणीय टकराव एक दार्शनिक बौद्धिक विमर्श को जन्म देता है। यह द्वंद्व न केवल प्रशासनिक चुनौतियों को उजागर करता है बल्कि सामाजिक ध्येय के पुनः विचार की पुकार भी करता है।

RajAditya Das

RajAditya Das

सिर्फ तारीख बदलने से सब समस्याएँ हल नहीं होंगी 😅 लेकिन कम से कम छात्रों को कुछ समय मिल गया।

Harshil Gupta

Harshil Gupta

बिल्कुल सही कहा, अब छात्रों को साइलेंट स्टडी के लिए अतिरिक्त दो‑तीन दिन मिलेंगे। साथ ही, कई स्कूलों ने ऑनलाइन मॉड्यूल भी प्रदान कर दिया है जिससे पढ़ाई में कोई बाधा नहीं आएगी। यदि आप अपने नजदीकी सेंटर से संपर्क कर लें तो समय‑सारणी की पुष्टि तुरंत हो जाएगी।

Rakesh Pandey

Rakesh Pandey

वास्तव में, यू.पी. बोर्ड ने एक बार फिर सिद्ध कर दिया कि वह अभ्यर्थियों की सुविधा को नजरअंदाज़ करता है। ऐसा लगता है कि बड़े मेलों के दौरान सुरक्षा इंतजामों की कमी को लेकर अनिवार्य योजना बनाना अत्यावश्यक है। नहीं तो अगले साल इसी तरह की अराजकता फिर दोहराई जा सकती है।

Simi Singh

Simi Singh

ये सब तो बस सतह का ऑपरेशन है, असली सच्चाई तो यह है कि महाकुंभ के पीछे एक विशाल नेटवर्क काम कर रहा है जो सरकारी फैसलों को नियंत्रित करता है। इस बड़े धार्मिक इवेंट को एक कच्ची साजिश के रूप में देखना चाहिए जो जनमत को मोड़ता है और शिक्षा को अस्थिर बनाता है।

Rajshree Bhalekar

Rajshree Bhalekar

इसे तो बहुत जटिल बना दिया है।

Ganesh kumar Pramanik

Ganesh kumar Pramanik

तुम्हे थ्यारी समझ मी नहीं आती क्या? ये सिम्पली एक पॉलिसी चेंज है, फकीर लोग तो हर राकीब बात पे बवाल छेड़ते हैं। बस आपदा को सीरियस लीख ना तो सब ठीक है।

Abhishek maurya

Abhishek maurya

दरअसल, इस तरह की तिथि परिवर्तन से न केवल छात्रों को पुनः समय बंटवारा करने का अवसर मिलता है, बल्कि परीक्षा केंद्रों को भी भीड़ प्रबंधन में राहत मिलती है। कई शिक्षकों ने कहा है कि वे इस बदलाव से करिकुलम को फिर से व्यवस्थित कर पाएंगे। साथ ही, अभिभावकों को भी लॉजिस्टिक समस्याओं से बचने का मौका मिलता है। कुल मिलाकर, अगर इसे सही ढंग से लागू किया जाए तो यह निर्णय लाभकारी साबित हो सकता है।

Sri Prasanna

Sri Prasanna

क्या अब भी कोई इसको सामान्य मानता है। बदलाव से ही कुछ नहीं होगा , बस एक दिन आगे ले जाने से ही सब ठीक हो गया जैसे। ये सब तो बस दिखावा है।

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