जब बात खरना, बिजली के साथ गिरने वाले बड़े बर्फ़ या पॉलर बर्फ़ के टुकड़े, जो अचानक मौसम में दिखते हैं की होती है, तो हमें समझना चाहिए कि यह मौसम, वायुमंडलीय परिस्थितियों का समग्र रूप के किस भाग से जुड़ा है। अक्सर बारिश, वर्षा के रूप में गिरने वाला जल और बाढ़, बहते पानी से उत्पन्न आपदा साथ में आते हैं। इसलिए खरना को समझना सिर्फ वैज्ञानिक जिज्ञासा नहीं, बल्कि दैनिक जीवन की सुरक्षा के लिए भी आवश्यक है।
पहला प्रमुख पहलू है वायुमंडलीय अस्थिरता। जब ठंडी हवा गरम सतह के ऊपर आती है, तो जलवाष्प तुरंत ठंडी हो कर बर्फ़ के रूप में बदल जाता है, और यदि ठंडा प्रवाह तेज़ी से ऊपर उठता है तो बर्फ़ के टुकड़े बड़ी गति से जमीन पर गिरते हैं, जिसे हम खरना कहते हैं। दूसरा पहलू है कृषि पर प्रभाव। कई बार खरना के साथ साथ तेज़ बारिश या शिल्प बर्फ़ गिरती है, जिससे फसलों को नुकसान पहुँच सकता है। यही कारण है कि भारत के कई कृषि‑प्रधान क्षेत्रों में मौसम विभाग खरना की भविष्यवाणी को विशेष अलर्ट के रूप में जारी करता है। तीसरा पहलू है सड़क एवं आवासीय सुरक्षा। खरना के समय बर्फ़ बड़े टुकड़ों में गिरती है, जिससे वाहन और इमारतों की छत को नुकसान हो सकता है, इसलिए स्थानीय प्रशासन अक्सर वन्य‑आधारित चेतावनियाँ देता है।
इन तीन प्रमुख पहलुओं के बीच स्पष्ट संबंध है: खरना वायुमंडलीय अस्थिरता से उत्पन्न होता है, जो सीधे कृषि और बुनियादी ढाँचे पर असर डालता है. यह त्रिकोणीय संबंध हमें बताता है कि खरना को अकेले नहीं, बल्कि उसके साथ आने वाले मौसम के संकेतों को भी देखना चाहिए। इसी कारण कई मौसम विज्ञान संस्थान खरना के साथ साथ बारिश और हवा की गति की जानकारी भी जारी करते हैं। जब इन संकेतों को मिलाकर विश्लेषण किया जाता है, तो बाढ़ जैसी आपदा की संभावना का सही अनुमान लगाया जा सकता है।
वर्तमान में भारत में खरना से जुड़े साक्ष्य काफी प्रकट हो रहे हैं। कर्नाटक के कुछ हिस्सों में हाल ही में खरना के साथ तेज़ बारिश हुई, जिससे कई गांवों में पानी का स्तर बढ़ा और अस्थायी बाढ़ देखी गई। इसी तरह उत्तर प्रदेश में पूर्वी सीमा के पास खरना के बाद अचानक बर्फ़ीली धुंध ने वायु ट्रेनिंग को बाधित किया, जिससे वहाँ के एयर ट्रैफिक को अस्थायी रूप से रोकना पड़ा। ये घटनाएँ दर्शाती हैं कि खरना सिर्फ एक अल्पकालिक मौसमी घटना नहीं, बल्कि व्यापक जलवायु परिवर्तन के लक्षणों में से एक हो सकता है। इसलिए पर्यावरण विशेषज्ञ खरना को जलवायु‑परिवर्तन के संकेतक के रूप में भी अध्ययन कर रहे हैं।
अब आप सोच रहे होंगे कि नीचे की सूची में क्या-क्या लेख मिलेंगे। इस पेज पर आप खरना से जुड़े विभिन्न पहलुओं के विस्तृत विवरण, हालिया घटनाओं की केस स्टडी, और विशेषज्ञों की भविष्यवाणियों का सार पढ़ेंगे। चाहे आप विद्यार्थी हों, किसान हों या सामान्य नागरिक, यहाँ आपको वो जानकारी मिलेगी जो खरना को समझने और उससे सुरक्षित रहने में मदद करेगी। आगे पढ़ते रहें, क्योंकि अगली सामग्री में हम खरना की भविष्यवाणी तकनीक, सरकारी अलर्ट सिस्टम और स्थानीय स्तर पर सुरक्षा उपायों पर गहराई से चर्चा करेंगे।
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